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मोरबतिया – तो डीएम साहेब ने भी ज़मीन पर बैठ कर खाना खाया, और टाट उनके लिए भी नहीं आया.

अनंत कुशवाहा
हमारे प्रदेश की एक कहावत हमारे काका कहते रहे है अक्सर कि बतिया है कर्तुतिया नाही, ता भैया हम भी बस बतिया करेगे अब का करे बतिया करने से समस्याएं भी हल हो जाती है मगर हम कैसे हल कर देंगे समस्या जब विकराल हो। तो भैया हम तो पहले ही कह देते है कि हम साफ़ साफ़ कहते है और खाली बतियाते है, अब किसी को अगर इ बतिया से बुरा लगे तो न पढ़े भाई हम कोई जोर जबरदस्ती तो कर नहीं रहे है कि पढ़बे करो साहेब। तो साहेब बतिया शुरू करते है और बतिया की खटिया बिछा लेते है और आज मोरबतिया को बतियाते है अम्बेडकरनगर से.

असल में हुआ कुछ ऐसा कि  जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने मतदाता पुनरीक्षण हेतु क्षेत्र का दौरा कर रहे थे. अब डीएम साहेब के दौरे की भनक क्षेत्र में पुनर्निरीक्षण कार्य हेतु लगे सरकारी कर्मियों को पद गई तो आनन फानन में काम सुधारने का प्रयास किया गया. अब डीएम साहेब अनुभवी निकले और दो मिनट में पकड़ लिया कि क्या हो रहा है बस फिर क्या जिलाधिकारी ने कार्य में शिथिलता पाए जाने पर कई बीएलओ के वेतन काटने का आदेश दे दिया.बतिया यही ख़त्म नहीं हुई है इ ता नार्मल बतिया है. बतियाने के लिए बात थोडा और है.
फिर हुआ ऐसा कि इसी बीच पास के ही एक प्राथमिक पाठशाला में एमडीएम के बने भोजन की गुणवत्ता परखने के लिए डीएम साहेब ने वहा पके भोजन को चखा. एमडीएम को चखने के लिए साहेब खुद भी जमीन पर बैठ गए बच्चो के साथ बैठे और वही ज़मीन पर ही भोजन किया. भोजन की गुणवत्ता के सम्बन्ध में सम्बंधित कर्मियों को निर्देश भी दिए. बस फिर का रहा साहेब आलोचक तो आलोचक होते है. मिल गया मौका बतियाने का और लोग बतियाने लगे.की साहेब जूता पहन के भोजन करे. ऐसा नहीं होता है जूता उतार के भोजन करना चाहिए. जो कहे सो कहे मगर हमको तो बतियाने का अलग मुद्दा मिला. और उ बतिया इ है कि जिलाधिकारी तक अगर ऐसे खुली ज़मीन पर बैठ कर खाना खा रहे है और बगल में ही बच्चे भी बैठ कर ऐसे ही खाना खा रहे है तो इसका तात्पर्य साफ़ साफ़ बनता है कि स्कूल में टाट की व्यवस्था नहीं है टाट की व्यवस्था न होने के कारण ही बच्चो को ज़मीन पर बैठाला गया है. साहेब समझ बतियाने की एक बतिया और है कि क्षेत्रिय खंड सिक्षा अधिकारी फिर कैसे अभी तक अपनी निरिक्षण आख्या देते रहे है. पाठशाला में बच्चे भोजन जब ज़मीन पर ऐसे बैठ कर कर रहे है तो फिर पढाई भी अईसही होती होगी, तब तो भैया यही बतियाया जा सकता है कि जब अईसे पढ़ेगा इंडिया तब कईसे बढेगा इंडिया.
साहेब देखे हम तो कहा रहा की हम खाली बतियाते है. उ काका कहते रहे न कि बतिया है कर्तुतिया नाही. मतलब बात है खाली काम नहीं है. तो भैया हम तो बतिया चुके अब का करे बतियाने के सिवा कुछो करहु न सकते है.हा डीएम साहेब चाहे ता जरुर कुछ न कुछ कर सकते है अब बतियाना बंद करते है.
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