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जब तलक है भ्रष्टाचार की जननी, तरीके खत्म हो सकते हैं चोरी कम नहीं होगी

गोविंद साहब मेले में आयोजित हुआ कवि सम्मेलन

कवि सम्मेलन में गांव की सभ्यता पर प्रकाश डालती गीता त्रिपाठी
अनंत कुशवाहा
आलापुर, अम्बेडकरनगर। पूर्वांचल के ऐतिहासिक ख्यातिलब्ध महात्मा गोविंद साहब मेले में आयोजित कवि सम्मेलन में विभिन्न जनपदों से पधारे कवियों ने अपने-अपने स्वर लहरी के जरिए कार्यक्रम में समा बांध दिया। कार्यक्रम में श्वोता कवियों की स्वर लहरी में गोता लगाते रहे।
आयोजित कवि सम्मेलन की अध्यक्षता तहसीलदार राजकुमार तथा संचालन वरिष्ठ कवि डा0 राजाराम सिंह ने किया कवि सम्मेलन में बलिया जनपद से पधारी कवियत्री गीता त्रिपाठी ने गांव की सभ्यता एवं संस्कृति पर प्रकाश डाला। कविता पूरब की सभ्यता खो गई लाज शर्म और हया को गई।आंखों में झलके मक्कारी मानस पर छाई लाचारी।पश्चिम की सभ्यता पैठती आज पसारे पांव हमारा कहां खो गया गांव कविता के जरिए लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।वही बस्ती जनपद के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची कवियत्री शिवा त्रिपाठी सरस ने समय का चक्र बीता जा रहा आने जाने में ,जो रुठा हो उसे मत देर करना तुम मनाने में, कभी ईष्या घृणा और द्वेष का तुम बीज मत बोना ,न जाने कौन सा फल आखिरी हो जमाने में।के जरिए अपनी कविता प्रस्तुत किया। वहीं आजमगढ़ से पधारे कवि भालचंद त्रिपाठी ने काम रावण का है तो कीजे खुशी से राम का चेहरा लगाना ठीक है क्या? कविता के जरिए आधुनिक समाज में व्याप्त बुराइयों पर प्रकाश डाला। उन्नाव जनपद से कार्यक्रम में पहुंचे हास्य कवि के डी शर्मा हाहाकारी ने नोट बंदी पर व्यंग करते हुए हो रही समस्याओं के बारे चर्चा किया। केडी शर्मा की हास्य कविता सुनकर श्वोता हंसी से लोट-पोट हो गये।आजमगढ़ जनपद से कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे शायर मैकश आजमी ने देश की एकता अखंडता पर शायरी किया। वहीं बलिया के कवि बृजमोहन प्रसाद अनारी ने भोजपुरी में कविता मन के सपनवा शयान होई गईले जागा ए सजना विहान होई गईले ।वही कवि आर्य हरीश कौशलपुरी ने नोट बंदी पर व्यंग करते हुए कहा कि निजी पूंजी के रहते यह तिजोरी कम नहीं होगी अनिश्चितता के आलम में यह बोरी कम नहीं होगी।जहां में जब तलक है भ्रष्टाचार की जननी तरीके खत्म हो सकते हैं चोरी कम नहीं होगी। वहीं वरिष्ठ कवि हरिराम द्विवेदी ने उससे कुछ आस मत करे कोई ,हो भले खास मत करे कोई ।अपनी मिट्टी से जो न जुड़ सके उसका विश्वास मत करो। कोई के जरिए देश की एकता अखंडता पर प्रकाश डाला। वही नोट बंदी पर व्यंग करते हुए हास्य कवि झगड़ू भैया ने नोट बंदी पर डूब के पानी पीयत हऊअन बीचे गंगा कल्लू, नोट से भरल तिजोरी जेकर बीच बाजार में उल्लू ।के जरिए अपनी कविता कही।वही कार्यक्रम में श्रोताओं की भारी भीड़ उमड़ी कार्यक्रम में एसडीएम विनय कुमार गुप्ता वीजेवी कालेज के प्रबंधक अंजनी कुमार वर्मा वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेन्द्र नाथ उपाध्याय मेला समिति अध्यक्ष भौमेन्द सिंह पप्पू बसंत यादव राजकुमार दूबे अरूण कुमार सविन्दर समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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