Categories: Crime

इमरान सागर की कलम से – राष्ट्रीय पर्व पर ही प्रेसो को क्यूं याद आते हैं पत्रकार

इमरान सागर
शाहजहाँपुर:-पर्व और राष्ट्रीय पर्वो पर ही विभिन्न तथाकथित प्रेसो को पत्रकारो की याद क्यूं सताती है, यह एक बिचित्र सा प्रश्न हो सकता है परन्तु सत्य है! प्राया: देखने मे आता है कि विभिन्न तथाकथित प्रेसे होली,दिपावली, ईद आदि पावन पर्व हो या फिर नववर्ष, गणतंत्रता दिवस एंव स्वतंत्रता दिवस या फिर चुनावी समर आदि राष्ट्रीय पर्व इन सभी पर्वो पर, कुकरमुत्तो की भांति विभिन्न तथाकथित प्रेसे, पत्रकारो को प्रलोभन देने में एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा की होढ़ में आगे निकलने का प्रयास करती है,परन्तु इसके बाद पत्रकार अपना जीवन कैसे जीता है यह देखने की तो दूर की बात है बल्कि जानने की भी कोशिश नही करती कि वह किस हाल में है!
लोकतंत्र का चौथा स्थंभ कहीं जाने वाली पत्रकारता इन समयो के हालातो के मद्देनज़र आजाद भारत में आज भी गुलामी की जंजीरो में जकड़ी नज़र नही आती क्या?पत्रकारता में  व्यावसायिकता की लगातार बढत के चलते जहाँ पत्रकारो को निरंकुश बनाती जा रही है तो वहीं विभिन्न तथाकथित प्रेसे उक्त समयो पर बड़े प्रलोभनो के साथ पत्रकारो के हितैसी बनने के प्रयास में प्रतिस्पर्धा की दौड़ में सबसे आगे निकलने का प्रयास करते हैं और उस समय किसी गुब्बारे से निकलती हवा के समान नज़र आती हैं जब उक्त समय निकल कर गुजर जाता है! यह कहना गलत नही होगा कि खास तौर पर प्रिंट मीडिया के समाचार पत्र की प्रति महंगाई के इस दौर में बड़ी कीमत में तैयार होकर चन्द पैसे मे ही पढ़ने को मिल जाती है तो ज़ाहिर है कि उसकी घटाई हुई कीमत पल्ले से नही दी जाती होगी बल्कि विज्ञापन से की गई कमाई से किया जाता होगा परन्तु यह कहना भी गलत नही कि जब पैसे के आभाव मे कोई कारोबार लगातार चलाया ही नही जा सकता तो फिर उक्त समयो पर विभिन्न पत्रकारो को बस थोड़े समय के लिए प्रलोभन देकर बाद में बंद करने का क्या औचित्य!
जनपद में विभिन्न तथाकथित प्रेसे विभिन्न तथाकथित साप्ताहिक ,दैनिक समाचार पत्र एंव पत्रिकाओं का प्रकाशन उक्त समयो पर ही होता देखा गया जबकि उक्त समय गुजर जाने के बाद सूचना कार्यालय की टेबिलो तक से विभिन्न तथाकथित साप्ताहिक,दैनिक समाचार पत्र एंव पत्रिकाएं नदारद नज़र आती हैं! प्रलोभन में फसें विभिन्न तथाकथित पत्रकार उक्त समय गुजरने के बाद अपना मुंह तक दिखाने के लायक नज़र नही आते है! राष्ट्रीय एंव धार्मिक पर्वो पर ही पत्रकारो को प्रलोभन दे कर मोटी कमाई के लालच में पत्रकारो एैसे याद करती है कि यह तक लगने लगता है जैसे वर्षो वरस का रिश्ता रहा हो परन्तु यह सब एक सपने से अधिक कुछ नही होता!
गौर तलब हो कि विभिन्न तथाकथित प्रेसे दिल्ली तक से जनपद क्षेत्र में आने वाले साप्ताहिक समाचार पत्र एंव पत्रिकाएें क्षेत्र के विभिन्न पत्रकारो को विभिन्न पैकेज देने का प्रलोभन देकर पत्रकार बनाना उक्त समयो को अनूकूल समझते है और चन्द समय के लिए विज्ञापन से छपी चन्द कॉपी बटवा कर क्षेत्र से अचानक नदारद हो जाती है! बिडम्बना यह है कि आखिर उक्त पर्वो के समय ही क्यूं बीच के दिनो में उक्त विभिन्न तथाकथिक प्रेसो को पत्रकार समझ नही आते या फिर उक्त तथाकथित प्रेसे भी फर्जीकरण बढ़ाने में अपनी भुमिका निभाती दिखाई पड़ती हैं!
pnn24.in

Recent Posts

न्यूज़ क्लिक मामला: एचआर हेड अमित चक्रवर्ती बने सरकारी गवाह, दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया अमित की रिहाई का आदेश

तारिक़ खान डेस्क: दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यूज़क्लिक के एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती की रिहाई…

1 day ago

रफाह पर हमले के मामले में इसराइल के पूर्व प्रधानमंत्री ने नेतन्याहू को दिया चेतावनी, कहा ‘अब युद्ध रोकना होगा’

आदिल अहमद डेस्क: रफाह पर इसराइली हमले को लेकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री एहुद ओलमर्ट…

1 day ago