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अराजकता व अपराधियों के अड्डे बने कांशीराम शहरी गरीब आवास

आवासों को भगवान भरोसे छोड़ मौज फरमा रहे अधिकारी
कभी बड़ी घटना का कारक बन सकते हैं ये आवास
मनीष मिश्र
अम्बेडकरनगर। मान्यवर कांशीराम शहरी गरीब आवास नहीं अराजकता व अपराधियों का अड्डा कहिए जनाब। जीं हां, यह महज एक लाइन का वाक्य ही नहीं है बल्कि इसी एक वाक्य में कांशीराम आवास की पूरी दास्तां छिपी हुई है। अधिकारियों ने जिस तरह से कांशीराम आवासों की तरफ से मुंह मोड़ रखा है वह कभी गंभीर घटनाओं का कारक बन सकता है। बहुजन समाज पार्टी की सरकार में शहरी गरीब तबके के लोगों को निःशुल्क आवास  उपलब्ध कराने की मंशा पूरी तरह तार-तार हो गयी है।

कांशीराम आवासों में रहने वाले आधे से अधिक ऐसे लोग है जिनके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं। शाम होते ही इन आवासीय परिसरों में गोपनीय रूप से जहां महफिले सजने लगती है वहीं यह आवास अपराधियों के सबसे सुरक्षित पनाहगार भी साबित हो रहे हैं। जिला प्रशासन की लापरवाही जनपदवासियों के लिए कभी भी काली सुबह साबित हो सकती है।

जिला मुख्यालय पर पांच स्थानों पर कांशीराम शहरी गरीब आवासों का निर्माण कराया गया है। इनमें सबसे बड़ा आवासीय परिसर कटरिया याकूबपुर में है। यहां पर लगभग एक हजार से अधिक कमरों का आवास बनाया गया है। बसपा सरकार के दौरान आवासों के आवंटन का कार्य तेजी से किया गया था लेकिन सरकार जाते ही इन आवासों की दुर्दशा की शुरूआत हो गयी। हालात यह है कि यहां के बाशिंदे मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम हो गये हैं। आवासों के निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का प्रयोग अब लोगों के लिए जानलेवा साबित हो गया है। जगह-जगह छतो से गिर रहे प्लास्टर के टुकडे़ किसी बड़ी घटना को आमंत्रण देते नजर आते है। मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे इन आवासों के निवासी जिस सबसे बड़ी समस्या से ग्रस्त है उसकी तरफ प्रशासन की नजर कभी नहीं जाती। कांशीराम आवासों में आधे से अधिक लोग ऐसे हैं जिनके नाम पर इन आवासों का आवंटन ही नहीं हुआ है। ऐसे लोगों में अपराधी व गैर सामाजिक कार्य करने वाले तत्व भी शामिल है। इन तत्वों के आवासों पर शाम होते ही लोगों का जमावड़ा शुरू हो जाता है जो देर रात तक जारी रहता है। ये तत्व कहां के है व वे किस कार्य से इन आवासों में खुलेआम रह रहे है इसकी जानकारी भी किसी को नहीं। बीते तीन-चार सालों में किसी भी अधिकारी ने इन आवासों की स्थिति को देखने की आवश्यकता नहीं समझी। साफ है कि प्रशासन की लापरवाही पूर्ण कार्यप्रणाली किसी भी समय जिले के लिए दुखदायी साबित हो सकती है।
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