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चुनाव तो अब पेचीदा हो जायेगा क्योकि मधुबन को यह साथ पसंद है

संजय ठाकुर.
मऊ. भाजपा को लगभग पुरे पूर्वांचल में ही टिकट बटवारे के विरोध दंश झेलना पड़ा. लगभग हर जगह ही बगावती सुर कही न कही से निकल पड़े. इसी दौरान टिकट के लिए मऊ के मधुबन विधानसभा सीट से दो प्रबल दावेदार थे. एक भारत भैया और दुसरे डॉ एच.एन. सिंह.  पहले आपको इन दोनों की सामाजिक पकड़ बता देते है. भारत भैया के नाम से मशहूर भरत ने अपने खुद के खर्च से समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी भूमिका बनाई और लम्बे समय से समाज सेवा से जुड़े हुवे है. समाज के छोटे बड़े कार्यो में सरकारी योजनाओ का थका देने वाला इंतज़ार करने के बजाये अपनी खुद की मेहनत की कमाई लगा कर समाज का भला कर देते है. शायद यही कारण है कि वह समाज में अपनी एक बढ़िया पकड़ रखने लगे. क्षेत्रिय लोगो की माने तो उनको टिकट मांगने के लिए आम जनता ने प्रोत्साहित किया था.

वही दूसरी तरफ डॉ. एच.एन. सिंह पुराने समाजसेवक है और जिले के एक मशहूर चिकित्सक है. आज लम्बे समय से उनके चिकित्सालय में सप्ताह में एक दिन मुफ्त चेकअप और चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध है. समय समय पर समाज के लिए करते रहना उनकी लोकप्रियता का कारण बना और उनको समाज में सम्मान दिलाता है. समाज में अच्छी पकड़ रखने वाले डाक्टर सिंह ने भी टिकट मांग लिया पार्टी से. बात तो तब आकर फंसी जब टिकट इन दोनों को न मिलकर किसी तीसरे को मिल गया. एक भाजपा कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी ने इन दोनों ज़मीनी स्तर से जुड़े कार्यकर्ताओ को टिकट न देकर एक इम्पोर्टेड कैंडिडेट को टिकट दिया है. इसका विरोध पार्टी का हर कार्यकर्ता कर रहा है.
इस टिकट बटवारे का गुस्सा हर कार्यकर्ता के दिमाग में चल ही रहा था कि पार्टी से अलग निर्दल प्रत्याशी के तौर पर डॉ एच. एन. सिंह ने नामांकन का मन बनाया और अपनी दावेदारी पेश करने का विचार बनाया. इस बात की जानकारी मधुबन के भरत भैया को पता चलते ही उन्होंने भी डॉ एच. एन. सिंह को समर्थन की घोषणा कर डाली. क्षेत्र में इसकी जानकारी पहुचते ही क्षेत्र के पार्टी के अधिकतर कार्यकर्ता और जनता के चेहरे पर मुस्कराहट नज़र आने लगी और समर्थन करने वालो की भीड़ इकठ्ठा होना शुरू हो गई है.
चुनाव का परिणाम जो भी हो मगर क्षेत्र में इन दोनों नेताओ का फोटो लेकर कई लोगो ने चौराहे पर चाय पान की चर्चा में इसकी बात किया और निष्कर्ष यही निकला कि मधुबन को ये साथ पसंद है. चुनाव का निर्णय जो भी हो मगर इस दो लोगो के एक प्रकार के इस गटबंधन ने क्षेत्र के राजनैतिक हलके में सनसनी फैला दिया है. शायद यह प्रदेश में पहला ऐसा मौका होगा कि गटबंधन दो दलों में न होकर दो व्यक्ति विशेष में हुआ और वह गटबंधन चुनाव पर बड़ा प्रभाव डालता नज़र आ रहा है
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