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बीजेपी की जीत के पीछे हैं ये 12 कारण

(जावेद अंसारी)
बीजेपी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में बड़ी जीत दर्ज की. इसके बाद हर किसी के मन में ये सवाल है कि आखिर ये करिश्मा हुआ कैसे. इसका जवाब है सटीक चुनाव प्रबंधन की रणनीति और सजग चुनाव प्रचार. भाजपा ने पूरे चुनाव के प्रचार सैकड़ों पब्लिक मीटिंग कीं तो 10,344 व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से सोशल फ्रंट पर भी यूपी के वोटर्स पर बराबर कमल की छाप बनाई. यूपी में बीजेपी के एक साल की मेहनत का नतीजा है 403 सीटों में 325 पर जीत. बीजेपी के शीर्ष स्रोतों से जुटाए गए तथ्यों के आधार पर हम यहां आपको बता रहे हैं आजाद भारत की सबसे बड़ी चुनावी जीत का राज:

कैसे पार्टी ने मजबूत किया संगठन
मेंबरशिप: यूपी में पिछले एक साल में करीब 1.80 करोड़ लोगों को बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता दी गई. इसके अलावा पार्टी के डाटा बेस में करीब 1.13 लाख सदस्यों के नाम, पता और बूथ की जानकारी जुटाई गई.
सक्रिय सदस्य: पिछले एक साल में यूपी में 67,605 सक्रिय सदस्यों का पंजीकरण किया गया जो कि पिछले सालों की तुलना में दोगुना है.
ट्रेनिंग: बीजेपी ने अपने ट्रेनर्स को पहले ट्रेनिंग दी. ये ट्रेनिंग राज्य स्तरीय और उपराज्य स्तरीय थी. इसी तरह यहां से प्रशिक्षित पाए ट्रेनरों ने करीब 75,428 कार्यकर्ताओं को मंडल स्तर पर और 13,676 कार्यकर्ताओं को जिले के स्तर पर ट्रेनिंग दी.मंडल का पुनर्गठन: बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीति के तहत 100-125 बूथों पर एक मंडल का गठन किया था.
बूथ प्लानिंग:
बीजेपी ने पूरे प्रदेश में कुल 1,47,401 बूथ के लिए बूथ कमेटी बनाई थी. हर कमेटी में 10 से 21 सदस्य थे. इस तरह करीब 13.50 लाख बूथ स्तरीय कार्यकर्ता तैनात किये गए थे. अमित शाह ने पूरे चुनावी मौसम में छह स्थानीय स्तर के सम्मेलन किये जिसमें ये सभी बूथ कमेटियों को बुलाया गया था.
लाइफ टाइम सपोर्ट: इस तरह से पार्टी ने कुल 16,91,72,315 रुपये प्रति व्यक्ति योगदान के तौर पर जुटाए.
कैंपेन कम्यूनिकेशन
यूपी के पूरे चुनाव प्रचार को बीजेपी ने तीन मुख्य बिंदुओं पर बांट रखा था. उत्तर प्रदेश की जनता का निराशजनक तथ्य, मोदी सरकार की उपलब्धियां और भाजपा का संकल्प पत्र यानी आगामी योजनाएं.
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापन: पार्टी ने प्रदेश के हर प्रमुख अखबार, टीवी चैनल और प्रकाशन को विज्ञापन दिए थे. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह खुद इस मामले में एड एजेंसियों के साथ बैठे थे ताकि पार्टी का संदेश दूर दूर तक जाए.
वीडियो वैन: बीजेपी ने सभी 403 विधानसभाओं के लिए एक वीडियो वैन तैनात किया था. 58,809 छोटे बड़े चुनावी कार्यक्रम को इसके जरिए दिखाया गया जिसमें करीब 46,08,674 लोगों ने हिस्सा लिया. इसके अलावा 11 वर्चुअल रिएलिटी वैन को शहरों में दौड़ाया गया था.
कमल मेला: चुनाव से पहले छह महीने में करीब 34 कमल मेले का आयोजन किया गया था. हर मेले के माध्यम से करीब 60000 लोगों से संपर्क किया गया, इसको देखते हुए ये कहा जा सकता है कि इसके माध्यम से भाजपा का संदेश करीब 20.4 लाख लोगों तक पहुंचा.
मोटर साइकिल रैलियां: बीजेपी ने चुनाव से पूर्व 1,649 मोटर साइकिलों का इंतजाम किया था. इसके माध्यम से यूथ कार्यकर्ता तकरीबन 76,000 गांवों तक पहुंचे और उन्होंने करीब 64,57,486 युवाओं से 2,80,267 बैठकें कीं.
सोशल मीडिया पर पूरा फोकस
कमल मेला, वीडियो वैन और मोटरसाइकिल रैली ने भी पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई. इससे बीजेपी की आम वोटर्स के बीच सीधी पहुंच बनी और पार्टी को इससे बढ़ावा मिला. वहीं सोशल मीडिया पर बीजेपी ने 10,344 व्हाट्सएप्प ग्रुप से 15 लाख लोगों तक पहुंच बनाई. सोशल मीडिया पर प्रचार करने के लिए बीजेपी ने 5,031 कार्यकर्ताओं को स्पेशल ट्रेनिंग भी दी.
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