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इब्ने हसन ज़ैदी की कलम से – पत्रकार अपने हक की लड़ाई अकेला क्यों ?

इब्ने हसन ज़ैदी
पत्रकारिता समाज का आईना तो है ही साथ ही दिग्दर्शक भी है। इसलिए पत्रकारिता की समाज के प्रति महती जिम्मेदारी होती है जिसे पत्रकारिता ने  प्रशंसा-आलोचनाओं से प्रेरणा लेते व पुनरावलोकन करते हुए बाखूबी निभाया भी। लेकिन एक यक्षप्रश्न हर पत्रकार के समक्ष इस जवाब की आशा से खड़ा है कि आखिर दीपक तले अंधकार क्यों? जो समाज और सरकार के लिए संमार्ग की दिशा तय करता है । वह स्वयम् दिग्भ्रमित क्यों और कैसे, क्या है कारक ? कौन सी परिस्थितियाँ मजबूरी व बेबसी के लिए है जिम्मेदार ? पत्रकारिता के लिए यह एक गंभीर विवेचना का विषय होना चाहिए।

जैसा कि कहा जाता है कि पत्रकारिता व्यवसाय नही एक मिशन है पत्रकारिता मिशन बनी भी रहनी चाहिए लेकिन पत्रकारिता के मिशन की जिम्मेदारी  समाज के बीच से निकले उन समर्पित लोगो के हाथों मे होती है जिनके समाज के अन्य लोगो की तरह पेट  होता है पत्नी, बच्चे और उनकी जिम्मेदारी होती है माता-पिता, सगे-संबन्धी व मित्रों के प्रति सामाजिक होने की वृहृद जिम्मेदारी होती है। यह जिम्मेदारी पत्रकारिता को मिशन बनाये रख तभी पूरी की जा सकती है जब पेट की भूख और पारिवारिक जिम्मेदारी का सम्मानजनक विकल्प हो। विकल्प की जिम्मेदारी संस्थान और सरकार की उसी प्रकार है जैसे सरकार और प्राईवेट सेक्टर पत्रकारिता से इतर समाज के लिए निभाती है तभी पत्रकारिता मिशन रहेगा अन्यथा भ्रष्टाचार मे डूबा एक पेशा या तन्त्र का अंग बनने से कोई रोक नही सकता।अर्थात “पत्रकारिता मिशन होती है”  एक परिकल्पना मात्र से ज्यादा कुछ नहीं। इस परिकल्पना को साकार करने के लिए पत्रकार एकता को परवान चढ़ाना होगा समाज को न्याय व हक दिलाने में अपनी जान की बाजी लगाकर पत्रकारिता के लिए श्रेष्ठतम, अनुकरणीय और नये प्रतिमान स्थापित करने वाला हर पत्रकार स्वहित के लिए विकलांग हो जाता है।  आपसी बिभाजन पत्रकारों की शाश्वत पहचान बना हुआ है इन जंजीरों में जकड़े हुए हम पत्रकार चिराग तले अंधेरा की कहावत को चरितार्थ कर समाज के समूचे तन्त्र को अराजक व भ्रष्टाचारी बनाने में पूरा सहयोग करते है हमारी विकलांगता भ्रष्ट सरकारों के लिए वरदान होती है अपने वरदान के खिलाफ सरकार कभी -भी हमारी विकलांगता को दूर करने के लिए पहल नही करेगी। हम सब पत्रकारों भाईयों  को “चिराग तले अंधेरा” की कहावत के मिथक को तोड़ना होगा।  नया इतिहास लिखने के लिए हर पत्रकार को अपनी कलम से इंकलाब करना होगा और एकता के साथ संघर्ष को अंजाम तक पहुँचा कर पत्रकार की आर्थिक मजबूती के लिए सरकार व संस्थान को विवश करना होगा तभी पत्रकारिता मिशन रहेगी और पत्रकार सम्मान के हक का अधिकारी।

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