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हाई अलर्ट के बाद भी चैन की नींद सोता रहा जिला प्रशासन,पहले भी आतंकी बना चुके है ठिकाना

शहजादपुर से ही बनी थी रामजन्म भूमि पर हमले की पूरी रणनीति
कांशीराम आवास बन रहे सबसे सुरक्षित पनाह

मनीष मिश्र

अम्बेडकरनगर। भोपाल उज्जैन पैसेन्जर टेªन में हुए धमाके के बाद हरकत में आयी मध्यप्रदेश एटीएस की सूचना पर सक्रिय हुई प्रदेश की एटीएस की कार्यवाही में उसे प्राथमिक तौर पर ताबड़तोड़ सफलता भले ही मिल गयी हो लेकिन इसको लेकर प्रदेश मे किये गये हाई अलर्ट का असर कम से कम इस जिले में तो नहीं देखा गया। पूर्व में आतंकवादियों की शरण स्थली रहे इस जिले का खूफिया व पुलिस महकमा लखनऊ की घटना के बाद भी चैन की नींद सोता रहा। किसी भी अधिकारी ने जिले के पुराने इतिहास को खंगालने की आवश्यकता नहीं समझी। जाहिर है जिले को हमेशा बारूद के ढेर पर रखकर अधिकारी मस्ती में सो रहें हैं।

जिले के 10 साल पुराने इतिहास पर नजर डाले तो रोंगटे खडे़ कर देने वाली तस्वीर एक बार फिर से सामने आ जाती है। अयोध्या में रामजन्म भूमि पर हुए आतंकी हमले में शामिल सभी आतंकवादियों ने इसी जिला मुख्यालय को अपना ठिकाना बना रखा था। शहजादपुर कस्बे में नदीं के किनारे स्थित एक मस्जिद के बगल का मकान इन आतंकियों ने किराये पर ले रखा था। वे सभी प्रतिदिन सुबह साइकिल से फेरी करने के निकल जाते थे लेकिन उनका असली मकसद कुछ और हुआ करता था। शहजादपुर में रहकर ही उन्होने रामजन्म भूमि की पूरी रेकी की थी तथा घटना को अंजाम देने के लिए पुराने तहसील तिराहे से गाड़ी बुक करके वे सभी अयोध्या पहुंचे थे। जांच के दौरान पता चला था कि आतंकी नेपाल के रास्ते गोरखपुर होते हुए अम्बेडकरनगर पहुंचे थे। अयोध्या से नजदीक होने के कारण शहजादपुर कस्बे को सबसे सुरक्षित पनाहगार मानकर उन्होने यहीं पर अपना ठिकाना बनाया था। घटना का पर्दाफाश होने के बाद पुलिस ने कई दिशा निर्देश जारी किये थे जिनका अनुपालन होता आज तक नहीं दिख रहा है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात थी कि नगर पालिका क्षेत्र में किसी भी मकान में रहने वाले किरायेदार की सूचना मकान मालिक को पूरे विवरण के साथ संबंधित थाने में जमा करना था। यह आदेश जारी होने के बाद इस बात की संभावना न के बरारबर है कि किसी भी गृहस्वामी ने इसकी सूचना थाने पर दी होगी। मजे कि बात यह है कि पुलिस व प्रशासन ने भी इस दिशा में कभी भी गंभीर प्रयास नहीं किया। बसपा शासनकाल के दौरान बनवाये गये कांशीराम शहरी गरीब आवास भी मौजूदा समय में संदिग्ध लोगों का सबसे सुरक्षित पनाहगार बने हुए है। सपा सरकार में किसी भी अधिकारी ने इन आवासों में रहने वालों की हकीकत को जानने का प्रयास नहीं किया। स्पष्ट है कि आतंकवादियों से जिले का पुराना रिस्ता होने के बावजूद जिला व पुलिस प्रशासन चैन की नींद सो रहा है। चार वर्ष पूर्व जिले में तैनात रहे एक अधिकारी की बात पर यकीन करे तो उसने कहा था कि कुछ समय बाद यह जिला बारूद के ढेर पर होगा। कारण कि जिले के अगल-बगल बस रही बस्तियों पर किसी की नजर नहीं पड़ रही है।
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