भाजपा की मजबूरी राजनाथ जरूरी!

73 सांसद और 325 विधायकों का भारी दबाव, लोगों में बढ़ता उन्माद और नेताओं की जोश भरी हसरतों को राजनाथ के अलावा नहीं संभाल सकता कोई नया चेहरा

निलोफर बानो 

सत्ता का ताज भले ही प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा को मिल गया हो, मगर यह ताज इतनी ताकत के साथ मिला है कि उसे कोई कम अनुभवी व्यक्ति अगर संभालेगा तो भाजपा को लेने के देने पड़ सकते हैं। ऐसे में राजनीतिक गलियारों से लेकर नौकरशाहों तक यह चर्चा आम है कि यूपी की कमान राजनाथ सिंह को ही मिलनी चाहिए क्योंकि वह एक मात्र ऐसा चेहरा हैं जिनके आगे भाजपा के नेता दबाव बनाने की स्थिति में नहीं होंगे। 

भाजपा के लिए जितनी जरूरी यूपी की सत्ता थी उतना ही जरूरी यह भी है कि इस सत्ता को 2019 तक बचाकर रखा जाय। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस बात को लेकर भी चिंतित है कि अगर किसी नए नाम को मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ा दिया गया तो भाजपा के विधायक और सांसद उस पर दबाव बना सकते हैं, जो पार्टी के हित में नहीं होगा।
राजनाथ सिंह यूपी के मुख्मंत्री रह चुके हैं और वह सफल मुख्यमंत्रियों में गिने जाते हैं। ब्यूरोक्रेसी पर भी उनकी अच्छी पकड़ है। यहीं नहीं विपक्ष भी उनका खासा सम्मान करता है। राजनाथ के अलावा जो नाम चर्चा में है उनमें कोई भी ऐसा नाम नहीं है जो प्रदेश को पूरी तरह से जानता हो और हर क्षेत्र में उसकी पकड़ हो। यह बात दीगर है कि जैसी चर्चा होती है कि राजनाथ मोदी के सबसे विश्वस्त कैंप में नहीं हैं, मगर पीएम मोदी को 2019 का ताज पहनना होगा तो राजनाथ सिंह को आगे बढ़ाना ही होगा। यूपी में इस बार रिकार्ड संख्या में जीते क्षत्रिय विधायक भी अपने सजातीय के सिर पर यह ताज देखना चाहते हैं।

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