भारत से विमानवाहक पोत की होड़ ले रहा है चीन, पानी में उतारा पहला स्वदेशी पोत

शबाब ख़ान

नई दिल्ली: चीन विमानवाहक पोत बनाने के मामले में भारत से होड़ ले रहा है। चीन ने बुधवार को अपना पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत पानी में उतार दिया। भारत ने पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत 2013 में ही पानी में उतार दिया था। अब इसे नौसेना में शामिल करने की तैयारी के साथ दूसरे विमानवाहक पोत को बनाने पर भी विचार चल रहा है।

चीन ने जो नया पोत लॉन्च किया है, उसे वहां के मीडिया ने काफी जोरशोर से प्रचारित किया है। हाल में वहां के मीडिया ने भारत को नसीहत दी थी कि वह इकॉनमी पर ध्यान दे, न कि विमानवाहक पोत बनाने पर। लेकिन रक्षा जानकार बताते हैं कि चीन का नया पोत उसके पास पहले से मौजूद विमानवाहक पोत लायोनिंग से काफी कुछ मिलता जुलता है। सोवियत दौर का लायोनिंग पांच साल पहले नौसेना में शामिल किया गया था। नए पोत को चीनी नौसेना में शामिल करने में तीन साल का वक्त लग सकता है।
भारत का अनुभव इस मामले में काफी पुराना है। 30 साल की सेवा के बाद हाल में आईएनएस विराट के रिटायरमेंट के बाद देश के पास विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य बचा है, जो 2004 में रूसी नौसेना से लिया गया था। देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत का नाम आईएनएस विक्रांत है, जिसका अगले साल समंदर में ट्रायल किया जा सकता है। नौसेना में पूरी तैनाती में और वक्त लग सकता है।
खास बात यह है कि भारत में दूसरे विमानवाहक पोत बनाने पर विचार-विमर्श जारी है, जो दुनिया में सबसे बड़ा पोत हो सकता है। नेवी के पोत अधिग्रहण से जुड़े एक टॉप ऑफिसर ने हाल में कहा था कि दूसरे पोत को लेकर काफी उत्साह है। हमें दूसरे विमानवाहक पोत में क्या चाहिए, इस बारे में राय बनते ही हम रक्षा मंत्रालय के पास मंजूरी के लिए जाएंगे। चूंकि यह काफी खर्चीला मामला है, इसलिए इस पर मंत्रालय के सवालों से निपटने की तैयारी भी करनी होगी।

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