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बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय – कुलपति महोदय, अगर ये पढ़ेगा इंडिया तो क्या सीखेगा इंडिया.

(तारिक आज़मी) राजू आब्दी
झाँसी. भारत में शिक्षा का अपना एक अलग ही मुकाम है. अन्य
देशो की अपेक्षा हमारे देश में केवल शिक्षा ही नहीं दिया जाता है बल्कि शिक्षा के
साथ दीक्षा भी दिया जाता है. दीक्षा का तात्पर्य यहाँ संस्कार से लगाया जाता है.
हमारे यहाँ आज भी प्रश्न यह नहीं होता है कि आपकी एजुकेशन कहा से है. हमारे देश
में हमेशा पूछा जाता है कि आपकी शिक्षा दीक्षा कहा से हुई है. शिक्षा के साथ इस
दीक्षा के लिए केवल शिक्षण संस्थान के शिक्षक ही नहीं अपितु शिक्षण संस्थान से
जुड़े हर एक व्यक्ति को अपना प्रयास करना पड़ता है. भले वह लिपिक हो या फिर चतुर्थ
श्रेणी के कर्मचारी. मगर जब शिक्षण संस्था से जुड़े लोग ही ऐसे कार्य करे जिससे आम
जन उनको कर्मो को धिक्कारे तो फिर सवाल संस्थान पर उठना लाज़मी हो जाता है.

ऐसी ही एक घटना कल ब्रहस्पतिवार को देखने को मिली. हुआ कुछ
इस तरह कि सम्बंधित विश्वविद्यालय पुलिस चौकी पर एक शिकायतकर्ता ने फ़ोन करके
शिकायत दर्ज करवाया कि एक व्यक्ति शराब के नशे में धुत होकर विश्वविध्याल स्थित
स्टेट बैंक एटीएम के अन्दर बैठा है. जिससे डर कर छात्राये एटीएम के बाहर ही रुकी
है और अन्दर नहीं जा पा रही है. शिकायत पर तत्काल सम्बंधित चौकी इंचार्ज ने दो
पुलिस कर्मियों को वहा भेजा. पुलिस कर्मियों ने एटीएम पर जाकर देखा तो
विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में क्लर्क के पद पर कार्यरत अजय वर्मा शराब के
नशे में धुत होकर एटीएम के अन्दर लेता था. एक मशक्कत के बाद पुलिस कर्मियों ने अजय
वर्मा को एटीएम से बाहर निकाला. अजय वर्मा को देख कर लग रहा था कि शराब के नशे में
धुत अजय वर्मा कही नाली में भी गिरा था क्योकि अजय वर्मा के कपड़ो पर काफी कीचड लगा
हुआ था. शरीर पर धुल मिटटी लगी थी. जब हमने इस सम्बन्ध में कुलपति के पीआरओ से बात
किया तो उन्होंने अजय वर्मा के फोटो को पहचान कर बताया कि हां यही अजय वर्मा है. हमारे
सवाल पर कि वोर्किंग अवर में कैसे शराब पीकर टहल रहा है तो वह इसका कोई संतोष जनक
उत्तर नहीं दे पाए. इसी प्रकरण में हमने जब सम्बंधित विश्वविद्यालय के कुलपति से
बात किया तोउन्होंने प्रकरण को सुनकर कहा की मैं इस प्रकरण में आगे की कार्याही
देखूंगा. अगर यह सत्य निकला तो कठोर कार्यवाही किया जायेगा.

जो भी हो कार्यवाही होती है या नहीं होती है मगर सवाल के
अधूरे है. पहला सवाल तो यह है कि वोर्किंग टाइम में आखिर अजय वर्मा ने शराब कैसे
पी लिया. दूसरा सवाल कि प्रशासनिक भवन में कार्यरत कर्मी ने शराब पिया इतना हंगामा
किया मगर प्रशासनिक भवन के जिम्मेदारो को इसका पता नहीं चला यह कैसे संभव है. अजय
वर्मा जैसे अभी और कितने कर्मी है इसकी जाँच कब तक होगी.
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