तो क्या फतेहपुर नगर निगम द्वारा निशुल्क प्याऊ हाथी दॉत सरीखे दिखावे के लिए है

मो० आफताब फ़ारूक़ी
फतेहपुर : जनपद में होने वाले आगामी नगर निगम चुनाव के मद्देनजर अपनी रिपोर्ट कार्ड में कुछ अंक जोड़नें के चलते चेयरमैन साहब आप की दाद देता हुँ कि आपनें उत्तर भारत की प्रचंड गर्मी को देखते हुए हर जगह निशुल्क प्याऊ की मड़ई खुलवा दी, उसमे दो पानी के घड़े रखवा कर ऊपर एक पोस्टर लगवा दिए जिस पर लिखा है ‘नगर निगम फतेहपुर द्वारा निशुल्क प्याऊ’… लेकिन अफसोस आपने कभी यह जानने की जहमत नही की कि अापने जिस निशुल्क जल की दुकान खुलवाया है उसमें एक बूंद पानी है भी या नही?

फतेहपुर बस स्टॉप वह जगह हैं जहॉ पीने के पानी की सबसे अधिक जरूरत है, लेकिन पिछले 15 दिनों से बसस्टैंड वाला प्याऊ बिना पानी के सूखा पड़ा है। हम तो बहरहाल 20रू की एक्वाफिना या बिसलरी की बोतल दिन में कम से कम एक बार तो खरीद ही सकते हैं सो हमारा काम चल जाता है, लेकिन रिक्शेवाले, मजदूर, और दूसरे गरीब लोग, उनका क्या? आप समझ लें हमारी बात प्यास से परेशान लोगो को जब निशुल्क प्याऊ दिखाई देता है तो वह खुश होकर तेज कदम उधर बढ़ाते है, लेकिन जब वहॉ पहुँचकर उसे बिन जल घड़े दिखाई देते हैं तो उनके मुँह से क्या निकलता होगा? भ से शुरू होने वाले प्यार भरे शब्द हमने खुद सुुना है। नगर में जितने भी प्याऊ हैं सब के सब हाथी के दांत, यही हाल हरियरगंज पुल के पहले वाले निशुल्क प्याऊ का है।
प्याऊ के अलावा दुसरी समस्यांए भी हैं, क्या आपनें उसकी सुधि लेने की कोशिश की? मजाल है जो कि हो। नगर में एक वार्ड ऐसा भी है जहाँ गाहे-बगाहे गंदे नाले का पानी भर जाता है? क्या अापने कभी नाले को साफ कराने की कोशिश किया? नही किया। यह हम नही अापके नगर में वास करने वाली जनता कहती है। जिस वार्ड में नाले का पानी भर जाता है, वहॉ की जनता कहती है “ये तो हमारे वार्ड के सभासद की मेहरबानी है कि जो अपने वार्ड को साफ सुथरा रखने में कोई कसर नही छोड़ते है, जब कभी नाले का पानी वापस आने लगता है सभासद जी खुद लेबर लगवा कर सफाई करवाते है। आज फिर शिकायत की गई है सभासद जी से, तो बोले कोई बात नही, कल फिर साफ करवा देंगे।”
लोग कह रहे हैं कि “जिम्मेदार सभासद इस तरह का होता है, जिसे वोट देकर जिताया वो हमे निराश नही कर रहा है।” नगर के लोग चेयरमैन से सवाल पूछ रहे है कि वो बताएं की जीतने के बाद उन्होने जनता के लिए क्या किया?” बहरहाल, जनता की आवाज़ हमने चेयरमैन साहब तक पहुँचा दी, लेकिन कलम उठाने से  पहले जनता का रुख देखते हुए इतना जरूर कहुँगा कि इस बार के चुनाव में भगवान ही जिता सकते हैं।

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