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शिखा की कलम का दर्द – ये कंहा आ गए हम……

बधाई हो कावेरी…. बेटी हुई है..
कावेरी: क्या?…. बेटी!….
सरकारी अस्पताल के बेड पर लेटी कावेरी के तो मानो  पैरों तले जमीं खिसक गई। कारण नहीं जानना चाहेंगे? उसकी उदासी का कारण बेटे के लिए उसका लालची मन नहीं बल्कि अपनी नवजात बच्ची के  भाग्य को लेकर उसका डर था। जैसे ही उसके कानो में बेटी होने की खबर पहुँची कावेरी का कोमल मन उस स्याह रात में चला गया जँहा 10 साल की एक छोटी बच्ची के शरीर पर कई वहशी हाथ न जाने कितने घंटो तक रेंगते रहे, वह बच्ची ज़ार-ज़ार हो रोती रही और वहशी हैवानियत का गन्दा खेल खेलते रहे। मनो स्वयं काल सामने खड़ा हो कर हंस रहा हो और बच्ची उस से विनती कर रही हो की इस दर्द को सहने से अच्छा  है की मुझे अपना ग्रास बना लो।

वो 10 साल की बच्ची कोई और नहीं बल्कि खुद कावेरी थी, और बेटी पैदा होने के नाम पर उसका सहम जाना लाज़मी था। क्या सच में हम एक ऐसे समाज में जी रहे हैं जंहा हर माँ कावेरी और हर औरत या बच्ची वह नवजात बच्ची है।
यह सिलसिला न जाने कब से चला आ रहा था पर पूरा देश तब हिल सा गया जब दिसंबर 2012 में नई दिल्ली में एक 23 साल की लड़की के गैंग रेप की घटना सामने आई जिसमें निर्ममता और वहशियत की सभी हदें पार हुई। हालाँकि आरोपियों को सजा भी मिली पर क्या इस से समस्या का समाधान हो पाया? नहीं….. बल्कि वहशी दिमागी तौर पर और भी अधिक सक्रिय हो गए। जिसके कई उदहारण हाल के दिनों में सामने आएं हैं जैसे-

  • 8 जनवरी 2017 वैशाली के गर्ल्स होस्टल में 10वीं की बच्ची इसका शिकार हुई| और मार दी गई।
  • जून 2016 में मोतिहारी में दो बलात्कार की वारदातें जिसमे एक 10 साल की छोटी बच्ची थी।
  • बिहार के कटिहार जिले में एक नाबालिक से रेप जिसमे अभियुक्त खुद हमारा रक्षक कहा जाने वाला एक पुलिसकर्मी ही था।
  • वंही नालंदा में 15 साल की नाबालिक लड़की ने शिकायत दर्ज कराई जिसमे आरोपी राजद विधायक राजबल्लभ यादव को ठहराया गया।

और हालिया घटना ... भागलपुर की एक बच्ची की जिसे रात में घर से बाहर शौच जाने के क्रम में उठा लिया जाता है और उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया जाता है। इतने से भी मन नहीं भरा तो उसे बेहोशी की हालात में चलती ट्रेन में चढ़ा कर अपने और भी कुछ अन्य साथियों के साथ फिर से उसका सामूहिक बलात्कार किया कई घंटो तक और इतना ही नहीं दरिंदगी की हर हद को पार किया गया जिसका अंदाजा आप इस से लगा सकते हैं की उस बच्ची के गुप्तांग में 2 दर्जन से भी अधिक टांके लगाये गए। और उसपर सबसे बड़ी मार की पुलिस वाले इस मामले से अपना पल्ला झाड़ने के लिए इसे प्रेम प्रसंग के कारण घर वालो के द्वारा बच्ची के साथ मारपीट का मामला बता रहे हैं, और तो और आरोपी सन्तोष को ही उसका प्रेमी भी बता रहे हैं।
कंहा जा रहा है आखिर हमारा समाज । क्यों अपाहिज होती जा रही है सुरक्षा व्यवस्था???  क्या है किसी के पास कोई जवाब????
हालांकि दामिनी केस के बाद पुरे देश में निगरानी समितियों का गठन भी हुआ। जिसका अध्यक्ष हर शहर का DM होता है। इन समितियों में दो पत्रकार, महिला कॉलेज की प्राचार्या , दो महिला  NGO की सदस्य, और महिला आयोग की एक मेंबर  सदस्य होती है। इन समितियों का काम है की निगरानी करे की कौन से वेब साइट्स टीवी चैनल या मोबाइल downloading गलत मटेरियल परोस रहे हैं या इस तरह की पोर्न मटेरियल बाजार में कंहा अपनी शोभा बढ़ा रही है।
परंतु ढाक के वही तीन पात।।। यह सारी व्यवस्थाएं समाज को बस खड़ी होकर दांत  चिहारती नजर आ रही है।क्योंकि पुरे देश के किसी जिले के किसी शहर में न तो आजतक कोई बैठक हुई और न ही कोई ऑपरेशन। न तो कोई प्रैक्टिकल और न ही कागजी  दस्तावेजों पर।
वंही दूसरी तरफ अगर रेप रेशियो पर नजर डाले तो ग्राफ नीचे कि बजाये ऊपर ही चला जा रहा है।
कानून के भय का अनुपस्थित होना भी बलात्कारों का एक सपष्ट कारण है। अपराधियों को पता होता है की कानून व्यवस्था बहुत लचर है और उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। प्रायः यह साबित कर दिया जाता है की यौन सम्बन्ध में लड़की की सहमति शामिल थी। अपराधियों के वकील का प्रसिद्ध और परंपरागत बढ़िया तर्क है की  अगर सुई हिलती रहे तो कोई उसमे धागा कैसे डाल सकता है? प्रसिद्ध विचारक रूसो तक ने कहा है औरत की मर्जी के बिना  कोई यौन सम्बन्ध नहीं बना  सकता। पुलिस के कर्मचारी प्रायः  सामंती समाज से होने के कारण इसे चिंताजनक कृत्य मानते ही नहीं हैं और पीड़िता को पीछे है जाने की सलाह दे  डालते हैं। आरोपी अधिकांशतः जमानत पर छूट कर बाहर घूमते हैं और शिकायत करने वाली लड़की हमेशा दूसरी दुर्घटना के दर में जीती है। दूसरा कानूनी प्रक्रिया का इतना लंबा चलना बलात्कार और टू फिंगर टेस्ट से भी ज्यादा प्रताड़ित कर देता है। कुल मिला कर अपराधियों के मन में इन बातो को लेकर भय का संचार नहीं हो पाता।
ऐसे में सवाल यह है की बलात्कारों की इस संस्कृति को कैसे रोका जा सकता है??किसके पास है जवाब?….
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