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सरकारी डाक्टरों की लापरवाही नें छीन ली एक मासूम की जान, पीड़ित नें की सीएम से शिकायत

हरिशंकर सोनी 

सुलतानपुर: दोस्तपुर सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र पर तैनात सरकारी डाक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आयी है। डाक्टरों की जरा सी लापरवाही नें एक नवजात की जान ले ली, जिसकी शिकायत पीड़ित नें उत्तरप्रदेश मुख्यमंत्री को फैक्स के माध्यम से भेजी है। उचित कार्यवाई होगी या जॉच का झुनझुना पीड़ित के हाथ लगेगा यह फिलहाल भविष्य के गर्भ में है।

मामला सुलतानपुर जिले के दोस्तपुर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र का है। सुरहुरपुर गाँव की हाजरा खातून पत्नी महमूद आलम को रात में प्रसव पीडा शुरू हो गई जिससे परिजन उसे दोस्तपुर सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र पर ले आये। महमूद का आरोप है कि उस समय केंद्र पर कोई डाक्टर मौजूद नही था। डाक्टरो की गैर मौजूदगी मे नर्स ने डेलिवरी कराया।
नवजात शिशु को जन्म के बाद सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। ऐसे में शिशु को वेंटिलेटर में रखा जाता है जिसमें पर्याप्त ऑक्सीजन शिशु को मिलनें लगता है और कुछ समय बाद अमूमन शिशु की श्वासन क्रिया अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन दोस्तपुर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में ऐसा नही हुआ, यानि नवजात शिशु जिसे तत्काल ऑक्सीजन की आवश्यकता थी वो उसे स्वास्थ केंद्र में नही मिली। परिजनों से कहा गया कि यहॉ ऑक्सीजन सिलेण्डर उपल्बध नही है और बच्चे को वेंटिलेटर पर रखे जाने की तत्काल जरूरत है इसलिए आप बच्चे को प्राइवेट अस्पताल ले जाएं।
बदहावस पिता नवजात शिशु को किसी तरह एक प्राइवेट नर्सिंग होम लेकर पहुुंचा, लेकिन बदकिस्मती से वहॉ इंंमरजेंसी केस को देखने के लिए कोई डाक्टर नही मिला। नर्सिंग होम में लगभग एक घण्टे तक महमूद नें डाक्टरों का इंतजार भी किया लेकिन बच्चे को वेंटिलेटर सुविधा नही मिली और अतत: ऑक्सीजन के अभाव में नवजात शिशु की मौत वहीं हो गयी।
बच्चे के शरीर को लेकर पिता महमूद वापस सरकारी स्वास्थ केंद्र आ गया। सुबह जब सामुदायिक स्वास्थ केंद्र अधीक्षक से ऑक्सीजन सिलेण्डर के उपल्बध न होने के विषय में पूछा गया तो अधीक्षक ने बताया कि हमारे यहाँ दो ऑक्सीजन सिलेन्डर मौजूद है, लेकिन जब यह पूछा गया कि यदि ऑक्सीजन यहॉ उपल्बध था तो फिर नवजात को बाहर क्यो भेज दिया गया तो अधीक्षक महोदय नें जूनियर स्टॉफ पर आरोप मढ़ दिया कि शायद नर्स को ऑक्सीजन सिलेण्डरों के उपल्बध होने की जानकारी न हो।
वहीं जब अस्पताल के एक डाक्टर से पूछा गया कि अधीक्षक का कहना कि आक्सीजन तो मौजूद है तो डाक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर दबी ज़बान में बताया कि यह कोई पहला मामला नही है, ऐसा पहले भी हो चुका है। कागज़ पर तो हमेशा ऑक्सीजन मौजूद होता है लेकिन वास्तविकता यह है कि उन सिलेण्डरों में ऑक्सीजन नही होता, वो हाथी के दांत की तरह खाली स्टोर में पड़े रहते हैं। यदि आपात स्थिति में ऑक्सीजन होता तो नर्स जरूर बच्चे को वेंटिलेटर में रखती।
मतलब साफ है कि ऑक्सीजन सिलेण्डरों की खरीद का वॉउचर बनाकर सरकार को भेज दिया जाता है, लेकिन ऑक्सीजन सिलेण्डरों को वास्तव में खरीदा नही जाता। हॉ, सिलेण्डरों की कीमत जरूर स्वास्थ केंद्र के अधिकारियों के जेब में चली जाती है। पीड़ित पिता महमूद आलम ने मुख्यमंत्री के पास फैक्स भेजकर लापरवाह डाक्टरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आवश्यक कार्यवाही की माँग की है।
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