जेटली से मिलने के बाद सूरत में कपड़ा व्यापारियों की हड़ताल खत्म

(जावेद अंसारी) 
केन्द्र सरकार की तरफ से उनकी मांगों पर गौर करने का आश्वासन मिलने के बाद सूरत के कपड़ा व्यापारियों ने दो सप्ताह से जारी हड़ताल समाप्त कर दी है। कपड़ा क्षेत्र पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाये जाने के विरोध में कपड़ा व्यापारी हड़ताल पर चल रहे थे। सूरत के हजारों कपड़ा व्यापारियों ने जीएसटी की नई कर व्यवस्था के खिलाफ पिछले दो सप्ताह से अपनी दुकानें बंद रखीं हुई थी। कपड़ा व्यापारियों ने जीएसटी के खिलाफ हड़ताल और विरोध प्रदर्शन समाप्त करने की घोषणा वित्त मंत्री के साथ मुलाकात करने के बाद की है।

व्यापारियों के प्रतिनिधिमंडल ने 17 जुलाई को नयी दिल्ली में वित्त मंत्री से मुलाकात की। एक कपड़ा व्यापारी मनोज अग्रवाल ने बताया, मुलाकात के दौरान वित्त मंत्री जेटली ने हमें आश्वासन दिया कि कपड़े पर जीएसटी के मुद्दे पर जीएसटी परिषद की अगली बैठक में विचार किया जायेगा। यह बैठक पांच अगस्त को होगी। उनके इस आश्वासन के बाद हमने तब तक के लिये हड़ताल समाप्त करने का फैसला किया है। व्यापारी ने कहा, जीएसटी की प्रस्तावित बैठक में यदि अनुकूल फैसला नहीं आता है तो हम अपनी मांग उठाने के लिये फिर से हड़ताल पर जाने का फैसला कर सकते हैं। हम कपड़े पर पांच प्रतिशत जीएसटी समाप्त किये जाने की मांग कर रहे हैं। सूरत देश के सबसे बड़े कपड़ा बाजारों में से एक है। कपड़ा व्यापारियों ने तीन जुलाई को सूरत के रिंग रोड़ पर एकत्रित होकर कपड़ा कारोबार पर जीएसटी हटाने की मांग करते हुये विरोध प्रदर्शन किया था। उसके बाद आठ जुलाई को उन्होंने कपड़ा क्षेत्र पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने के विरोध में रैली निकाली।

कपड़ा व्यपारियों हड़ताल खत्म, विरोध शेष, जीएसटी नहीं हटा,
केंद्र का जीएसटी नहीं हटाने का स्पष्ट रुख, प्रतिनिधियों में आपसी फूट और पुलिस द्वारा दंगों का मामला दर्ज करने के दबाव से आखिरकार उम्मीद टूट गई। ऊपर से कारोबारी नुकसान और मजदूरों के पलायन को देखते हुए व्यापारियों ने मंगलवार को जीएसटी के खिलाफ 21 दिन से जारी हड़ताल खत्म करने की घोषणा कर दी। ज्यादातर मार्केट और दुकानें भी मंगलवार दोपहर को खुल गईं। हालांकि घोषणा के समय व्यापारी मायूस दिखे, क्योंकि 75 हजार व्यापारी और करीब तीन लाख इनसे जुड़े कारोबारी कपड़े पर जीएसटी पूरी तरह हटाने की लड़ाई लड़ रहे थे, जो नहीं हो सका। हड़ताल से करीब 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान सूरत के टेक्सटाइल उद्योग को हुआ है। इसमें 2125 करोड़ रुपए का नुकसान सिर्फ ट्रेडर्स को है। कारोबारियों का करीब 2,600 करोड़ रुपए तो उधारी में फंसा हुआ है। सबसे बड़ा नुकसान यह है कि करीब दो लाख वर्कर काम न मिलने से पलायन कर गए।
दंगों का केस बना सबसे बड़ा डर 
एक बार लाठीचार्ज के बाद पुलिस ने भले आक्रामक रुख छोड़ दिया लेकिन उसने 1000 लोगों पर दंगे भड़काने का केस लगा दिया। व्यापारी उठा-उठा कर ले जाए जाने लगे। इससे व्यापारी डर गए।

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