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“इंकलाब जिन्दाबाद, शिक्षामित्र एकता जिन्दाबाद” की नारे के साथ शिक्षा मित्र उतरे सड़क पर,

नही खुलने दिया बीएसए कार्यालय का ताला

अंजनी राय 

बलिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से आंदोलित शिक्षामित्रों ने दूसरे दिन भी बीएसए कार्यालय नहीं खुलने दिया। कार्यालय परिसर में धरना-प्रदर्शन कर रहे शिक्षामित्रों के समर्थन में प्राशिसं, विशिष्ट बीटीसी एसोसिएशन व कर्मचारी संगठन भी उतर आया है। आंदोलनकारियों ने दो टूक कहा कि सरकार उनका सम्मान वापस लौटाये, इससे कम हमें कुछ भी मंजूर नहीं है।

वहीं, प्राशिसं ने ऐलान किया कि शिक्षामित्रों की लड़ाई में तहसीलवार स्कूलों को बंद किया जायेगा। इस क्रम में 28 जुलाई को बैरिया व बलिया तहसील के सभी परिषदीय स्कूल बंद रहेंगे। 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के खिलाफ फैसला सुनाया था। कोर्ट ने शिक्षामित्रों की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार को दे दी है। लेकिन फैसला के दो दिन बाद भी राज्य सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की। सरकार की चुप्पी से शिक्षामित्रों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। गुरुवार को हजारों शिक्षामित्र बीएसए कार्यालय पहुंचे और कार्यालय को बंद करा दिया। इस दौरान आयोजित धरना सभा को प्राशिसं के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ने सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षामित्रों की इस लड़ाई में प्राशिसं हर कदम पर साथ है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में पहले तहसीलवार विद्यालय बंद रखे जायेंगे, फिर भी बात नहीं बनी तो जनपद के सभी स्कूलों में ताला लटका दिया जायेगा। उन्होंने मंच से ऐलान किया कि गुरुवार को बैरिया व बलिया तहसील के सभी स्कूल बंद रहेंगे। सभा को सुनील सिंह, अजय सिंह, अजेय किशोर सिंह, बृजकिशोर पांडेय, वेदप्रकाश पांडेय, काशीनाथ यादव, पंकज सिंह इत्यादि ने सम्बोधित किया। अध्यक्षता सरल यादव व संचालन संगम अली ने किया। बीएसए कार्यालय में धरना-प्रदर्शन के बाद हजारों शिक्षामित्रों का जत्था भाजपा कार्यालय के लिए कूच किया। मालगोदाम चौराहा, चित्तू पांडेय चौराहा होते हुए शिक्षामित्र टीडी कालेज चैराहा पहुंचकर सड़क पर ही बैठ गये। इस दौरान एनएच-31 पर जाम की स्थिति बनी रही। इंकलाब जिन्दाबाद, शिक्षामित्र एकता जिन्दाबाद का नारा लगा रहे शिक्षामित्रों ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के खिलाफ भी आवाज बुलंद किया। उधर, टीडी कालेज चौराहा पर शिक्षामित्रों के बीच पहुंचे भाजपा के जिलाध्यक्ष विनोद शंकर दूबे ने मांग पत्र लिया। शिक्षामित्रों ने मांग किया कि सरकार संविधान में संशोधन कर शिक्षा मित्रों का सम्मान वापस करें।

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