आज भी बंद रही मुर्री, खामोश रहे लूम, बुनकरों ने सुनाया दर्द-ए-दिल अधिकारियो को

कमिश्नर, जिलाधिकारी, एसएसपी, ने सुनी समस्या, दिया अश्वासन : अतीक़ अहमद

(जावेद अंसारी की ख़ास रिपोर्ट)

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जीएसटी को लेकर विरोध जारी है इसके साथ ही बुनकर व साड़ी व्यवसायियों ने मुर्री बंद करके आंदोलन को तेज कर दिया है। जीएसटी के विरोध में बनारस के सभी बुनकर बिरादराना तन्जिमों के जानिब से सरैयाॅ बाज़ार में एक नुक्कड़ सभा हुई। जिसकी सदारत बाजी रफीक महतों व हाजी ओकास अंसारी ने किया।

इस सभा में वाराणसी वस्त्र उद्योग एवं बनारसी साड़ी एसोसीयेशन के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। वक्ताओं ने कहा कि मोदी जी के संसदीय क्षेत्र काशी में हथकरघा और पावरलूम से बनने वाले कपड़े और साड़ियों पर जीएसटी लागू होने से बुनाई उद्योग के चौपट होने का आखिरकार संदेश आ ही गया।जीएसटी हम बुनकरों के लिए एक काला कानून हैं जिसका पालन हम कभी भी नहीं कर सकते। जब हम बुनकर धागा खरीदने जाते हैं तो आठ 8% जीएसटी दे। और जब साड़ी लेकर जाए तो 5% जीएसटी पहले दे।जबकि हमारा कारोबार उधारी का हैं जो 2% से 5% मार्जिन का होता है हम बुनकर इतना टैक्स कहा से दे पाएँगे। भारत सरकार ने जीएसटी के मकड़जाल में बुनकरों को बेबस एवं मजबूर कर दिया है।
चौहट्टा लाल खां में हुई दुआ खानी, मजदूर बुनकरों के आँखों से छलका आॅसु
हमारे सहयोगी जाहिद अली ने हमको बताया कि चौहट्टे में गरीब मजदूर बुनकर के आँखों से तब निकल पड़े आॅसु जब उन्होनें अपने एवं अपने बच्चो के भविष्य में सोचने लगें. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में उस वक्त चर्चा का विषय बन गया जब मजदूरों के आँख से निकल पड़े आॅसु। चाय पान की दुकान पर जीएसटी को लेकर बुनकरों में खलबली सी मच गई, और गर्मी गर्मा का माहोल बन गया, बुनकरों ने कहा कि जनपद मुख्यालय से लेकर छोटे बड़े कस्बों व बाजारों में घर-घर हैंडलूम एवं पावरलूम लगे हैं।
इन पर बुनकर साड़ियां और कपड़े तैयार करते हैं और उन्हें फुट्कर में 2% की मार्जीन रख कर बेचते तो 5% जीएसटी कहा से देंगे।बुनकर गद्दिदारों द्वारा दी गई डिजाइन के आधार पर सिर्फ मजदूरी पर साड़ियां, लुंगी और अन्य कपड़े तैयार करते हैं। अब हैंडलूम और पावरलूम पर तैयार कपड़ों पर भी सरकार ने 5% जीएसटी टैक्स लगा दिया है। तो क्या गरीब बुनकर जीएसटी के मकड़जाल में इसी तरह घुटघुट कर मरेगा। या फिर हमारे प्रधानमंत्री जी जीएसटी हटाकर काशी में बुनकरों के बीच अपनी एक मिशाल कायम करेंगे।
कमिश्नर, जिलाधिकारी, एसएसपी, से मुलाकात कर बुनकरों ने बया किया अपना दर्द
जीएसटी को लेकर वाराणसी के सभी बुनकर की बिरादराना तन्जिमों के नुमाईनदों ने वाराणसी के कमिश्नर एवं जिलाधिकारी एवं एसएसपी से मुलाकात कर बनारस के बुनकरों की समस्या एवं परेशानी को बताया जिसकी अगुवाई सामाजिक कार्यकर्ता अतीक़ अहमद ने की। अतीक़ ने सभी आलाधिकारी को जीएसटी को हो रही परेशानी को बताया कि बनारसी वस्त्र पर कभी भी की तरह का टैक्स नहीं लगा और बुनकर द्वारा बिना हुआ कपड़ा कुटीर उद्योग के दायरे में आता है।
सुरत हड़ताल की वजह से बनारस में धागा नहीं आ रहा है चौक गद्दिदारों ने भी बंदी की हैं। अब बुनकर भी जीएसटी के विरोध में शाँति पुर्वक कानून के दायरे में रहकर जीएसटी का विरोध कर रहे हैं। जीएसटी से सारी परेशायाॅ हम बुनकर पर आ गयी हैं। कुल मिलाकर बुनकरों की बातों को सभी आलाधिकारीयो ने बड़े ध्यान से सुना और समस्या को सरकार तक पहुंचाने का अश्वासन दिया।
प्रतिनिधि मंडल में ये थे शामिल
अतीक अंसारी, ओकास अंसारी, अनवारूल हक़, हाजी सलमान शाहिद, मुमताज अहमद, हाजी बाबूलाल, वहीदूद्दिन, हाफ़िज़ कल्लू , हाजी वक़ार, हाजी असलम, अंसार अहमद, शमीम अंसारी, (जावेद अंसारी) मेराज, हाफ़िज़ अजमल, स्वालेह, हाजी सुक्खु , ज़फर बनारसी, ज्याउद्दिन, सलीम उस्ताद, कमरूद्दिन, सेराजुद्दिन, सरपरस्ती सरदार गुलाम रसूल, सरदार रज्जु आदि लोग मौजूद थे।

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