सीप्लेन – ‘हूँ छू विकास, हूँ छू गुजरात’ की खूब उधेडा बखिया सोशल मीडिया यूज़र्स ने.

तारिक आज़मी 

गुजरात चुनाव भले ही कोई जीते या फिर कोई हारे मगर चुनावी नतीजो के पहले ही राजनैतिक जानकारों ने इस नतीजे में भाजपा की छवि को हारता हुआ देख लिया है. अब अगर मैं गौरी लंकेश जैसा जिगर वाला होता तो ज़रूर लिखता झूठ पर चोट, मगर कहा साहेब उस बहादुर औरत जैसा जिगर हमारा होगा, फिर भी ये ज़रूर कहना चाहूँगा की जिस सोशल मीडिया के बल पर केंद्र से लेकर राज्य तक में भाजपा सरकार अपना परचम लहरा रही है वही भाजपा कामयाबी के बाद इस सोशल मीडिया का एक सूत्र भूल गयी शायद कि ये एक पढ़े लिखो का प्लेटफार्म है और इसमें अधिक देर तक भ्रम की स्थिति नहीं रहती है. भाजपा के चुनाव बाद हर एक शब्द पर इस सोशल मीडिया ने सवाल खड़े किये, और सवाल भी ऐसा वैसा नहीं सवाल उस स्तर का जिससे भाजपा को उलटे बांस बरेली दिखाई देने लगे. गुजरात चुनावो ने तो और भी अधिक सरदर्द दे दिया. हर एक शब्द के कई अर्थ निकाले जाने लगे और सभी अर्थो का जवाब भी दिया जाने लगा. उदहारण के तौर पर हिमांचल में चावल की बात न कर हमारे देश के प्रधानमंत्री एक दल के वक्ता के रूप में ये कह जाते है कि कश्मीर में हिमांचल के सैनिको को पत्थरबाज़ पत्थर मारते है, प्रथम तो यह शब्द इस कारण विरोध झेल गया कि प्रधानमंत्री के द्वारा एक राज्य के लोगो के लिये दुसरे राज्य के लोगो के दिल में नफरत पैदा करना इस शब्द से तात्पर्य निकल रहा है. वही दूसरी तरफ सोचिल मीडिया पर ऐसे भी जवाब आने लगे कि बड़े से बड़ा भाजपा समर्थक उन तर्कों का जवाब नहीं दे सका कि आखिर पत्थरबाज़ कैसे पहचानते होंगे कि अमुक फौजी अमुक प्रदेश का रहने वाला है.

खैर साहब अब भाजपा दुबारा सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बिंदु बना हुआ है. गुजरात में दूसरे दौर के प्रचार के आखिरी दिन मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सी-प्लेन में साबरमती रिवरफ्रंट से धरोई डैम की उड़ान को स्ट्रीम मीडिया ने प्रमुखता से उठाया और तथ्यों से अलग हटकर मीडिया ने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए मोदी की अनूठी सोच और  विकास पर उठाये जा रहे राहुल गाँधी के सवालों का  जवाब देने के लिए लाजवाब कदम उठाया और इसको प्रधानमंत्री नरेंद्रा मोदी का विपक्ष को जवाब के तौर पर एक  मास्टर स्ट्रोक करार दिया. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में इसे एक ‘विरल, अविस्मरणीय अनुभव’ बताया. मोदी ने ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक अपना यह अनुभव साझा करने के लिए हिंदी, अंग्रेजी के अलावा गुजराती में भी ट्वीट किया. आनन फानन में मोदी की इस उड़ान के वीडियो को ‘हूँ छू विकास, हूँ छू गुजरात’ के नारे से जोड़ दिया गया और व्हाट्सएप्प और फेसबुक पर ये दनादन बीजेपी समर्थकों के बीच पहुँचने भी लग गया और भाजपा समर्थक इसको एक बड़ी उपलब्धी बताने लगे.

लेकिन यह ख़ुशी बहुत देर तक नहीं टिक पाई और शायद स्ट्रीम मीडिया ने इसके लिये बढ़िया होमवर्क नहीं किया होगा, लेकिन सोशल मीडिया ने बढ़िया होम वर्क के साथ इस सी-प्लेन शो को ‘पब्लिसिटी स्टंट’ की तरह देखा . प्रधानमंत्री मोदी की  इस उड़ान को देश की पहली सी प्लेन उड़ान बताये जाने पर  फेसबुक, ट्विटर पर आई प्रतिक्रियाओं से कुछ दिलचस्प बातें निकल कर आयीं.

कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे देश की पहली सी प्लेन उड़ान बताये जाने पर चुटकी ली और अंग्रेजी में अपने ट्वीट में कहा- “अंडमान में 2010  में और केरल में 2015  में यह सेवा शुरू की जा चुकी है लेकिन  बीजेपी और मोदी के अफ़साने में तथ्यों को कभी भी आड़े नहीं आने देना है .”  पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल पटेल ने ट्वीट करके याद दिलाया कि सी प्लेन सेवा का उद्घाटन उन्होंने ही किया था. आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष और स्वराज अभियान के नेता प्रशांत भूषण ने भी ट्वीट करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा.

मशहूर टीवी पत्रकार रवीश कुमार ने फेसबुक पर लिखा,” भारत की चुनावी राजनीति में पहली बार सी-प्लेन ने गुजरात के चुनावों में उड़ान भरी है। समय नहीं मिला होगा वरना इसरो से कहा जाता कि अहमदाबाद से सूरत के बीच राकेट ही छोड़ दे जिस पर बैठकर एक पार्टी के सारे उम्मीदवार दस मिनट में पहुंच जाएं। 2019 में उम्मीद कर सकते हैं कि इसरो अब ऐसा राकेट बना देगा जिस पर बैठकर नेता लोग सीधे अपने मंचों पर ही लैंड कर जाएंगे। जनता तमाशा देखकर नाच उठेगी और फिर उसे नाचते देख टीवी वाले झूम उठेंगे। आमीन।“

जानकारों ने जो बाते इस सी प्लेन के सम्बन्ध में बता रहे है वह सबसे अधिक दिलचस्प है कि प्रधानमंत्री मोदी को लेकर जिस सी प्लेन ने उड़ान भरी थी वह पाकिस्तान के कराची से मुंबई होते हुए साबरमती के तट तक पहुंचा था. यह देखना दिलचस्प होगा कि एक ऐसे चुनाव प्रचार में जहाँ खुद प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर गुजरात चुनावों में पाकिस्तान से गुपचुप मंत्रणा का खुले आम चुनाव मंच से आरोप लगाया हो,  विपक्ष इस जानकारी का किस तरह इस्तेमाल करता है.

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