बहराइच – सरकारी चिकित्सक का सरकारी आवास या फिर ये है प्राइवेट नर्सिंगहोम

तस्वीरे गवाह है - बहराइच जिला अस्पताल से ज़्यादा अपने आवास पर मरीजों का इलाज कर रहे है ये सरकारी डॉक्टर

सुदेश कुमार

बहराइच। प्रदेश की योगी सरकार उत्तर प्रदेश दिवस मनाते हुए प्रदेश की जनता को बेहतर से बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिये प्रदेश में परियोजनाओं की सौगात दे रही है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावों की धज्जियां खुद उन्हीं के अधिकारी कर्मचारी ही जमकर उड़ा रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल स्वास्थ्य विभाग का है। जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर जो हड्डी रोगों के स्पेसलिष्टहै अस्पताल से ज़्यादा सरकारी आवास पर देखते है मरीज. यही नही अगर सूत्रों की माने तो अस्पताल के दाएं बाये कुकुरमुत्ते की तरह जो प्राइवेट नर्सिंग होम संचालन हो रहे है उनको चलाने ने भी डॉक्टर साहब का बड़ा योगदान है।

डॉक्टर साहब प्राइवेट नर्सिंग होमों में जाकर ज्यादातर बड़े बड़े ऑपरेशन तो निपटाते है यही नही उससे ज्यादा अपनी सरकारी आवास पर प्रेक्टिस चमकाना ज़्यादा रास आ रहा है। आलम यह है कि मरीज अपना उपचार कराने जिला चिकित्सालय तो आते हैं लेकिन डॉक्टर साहब के अपने आवास पर चलाए जा रहे प्राइवेट नर्सिंग होम में ही होने के कारण उन्हें डॉक्टर साहब के सरकारी आवास पर जाकर इलाज कराना पड़ रहा है। वहीं डॉक्टर साहब अपने आवास पर इलाज करने की एवज में मरीजों से मोटी रकम वसूल कर रहे हैं। ये सब खुला खेल जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर साहब बड़ी आसानी से खेल रहे हैं जिसकी पूरी पूरी जानकारी होने के बावजूद भी अस्पताल प्रशासन किसी भी प्रकार की कार्यवाही करने से बच रहा है।

कहने को तो डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं लेकिन भगवान माने जाने वाले डॉक्टर ही जब इंसानियत भूल जाएं तो फिर उन्हें क्या कहा जाए ये समझ से परे है। डॉक्टर साहब सरकारी आवास को प्राइवेट नर्सिंग होम की शक्ल देने में रातो दिन एक कर रहे है इरादे साफ हैं जिला अस्पताल में मरीजों का निःशुल्क इलाज कर अस्पताल की दवाएं मरीजों को दी जाती हैं जिससे डॉक्टर साहब को ऊपरी इनकम नहीं हो रही इसीलिए अपने सरकारी आवास में चलाई जा रही प्राइवेट नर्सिंगहोम में डॉक्टर साहब अपनी मनमानी फीस वसूल रहे हैं कहि और नही ये गन्दा खेल जिला अस्पताल के सरकारी कैम्पस के अंदर खुले आम चल रहा है लेकिन इस पर लगाम कसने में जिला अस्पताल प्रशासन पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। सवाल यह उठता है कि जब सरकारी अस्पताल में तैनात चिकित्सक प्राइवेट प्रेक्टिस नहीं कर सकते हैं फिर स्वास्थ्य विभाग ऐसे भृष्ट डॉक्टर पर कार्यवाही क्यों नही कर रहा है ये बात काबिले गौर है।

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