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चमनगंज मदरसा कलीमिया तालीमुल कुरान में षहीदे करबला का जलसा मनाया गया

रियाज़ अहमद राजवी

कानपुर 17 सितम्बर। इमामे हुसैन की मोहब्बत हमें याद दिलाती है कि मुसलमान चाहे कितनी ही कठिनाइयों में हो हक और सच्चाई का साथ न छोड़ें। षहीदे आजम हजरते सैयदना इमामे हुसैन का सबसे बड़ा काम यही था कि मैदान में 22 हजार के लष्कर के बावजूद हक की आवाज को थमने न दिया। अपनी जान को कुरबान कर दिया मगर नाना के बताये हुये दीन व हक को सिर बुलन्द रखा। उक्त विचार आल इंडिया गरीब नवाज कौन्सिल के तत्वाधान में शोहदाए कर्बला अशरा का छठे जलसे को मदरसा कलीमिया तालीमुल कुरान चमनगज में हजरत मौलाना सूफी गुलाम हसन अध्यापक मदरसा अहले सुन्नत गुलषने रजा ने व्यक्त किये।

उन्होंने कहा कि समाज की बिगड़ी हुई सूरत के सुधर के लिये प्रयासरत रहना इमामे आली मकाम से सच्ची मोहब्बत की निषानी है। इसलिये हमें अपने इमामे आली मकाम की मोहब्बत को बरकरार रखने के लिए बुराइयों के खिलाफ सदा तैयार रहना चाहिये। हसन ने कहा कि इमामे हुसैन ने जान-बूझकर करबला जाने का उद्देष्य मात्र नाना के दीन को बचाना थ ऐसे हालात में जबकि यजीद जैसा जालिम बदकार इन्सान जो खुले आम दीन की धज्जियां उड़ा रहा था षराब, जिना, जुआ हर वह काम जो समाज को तहाब व बरबाद कर दे उसे फैला रहा था। ऐसे नाजुक मोड़ पर इमामे हुसैन ने अपनी आल व औलाद व जान की परवाह किये बगैर मौत के हवाले कर के दीने मोहम्मदी को बचा लिया। यकीनन इनकी यह मोहिम दोनों जहान में सोने के पानी से लिखने के काबिल है।

हजरत मौलाना गुलाम अहमद रजा खतीब व इमाम मस्जिद अजीज फात्मा सिविल लाइन्स ने कहा कि मोहर्रम का महीना इस्लाम का पहला महीना है। इसमें हमें और महीनों की अपेक्षा नेक कामों के लिये प्रयासरत रहना चाहिये। इस महीने में करबला का इतिहास हमें यही संदेष देता है कि हम जिस इमाम से मोहब्बत करते हैं। हमें हर हाल में उसकी पैरवी करनी चाहिए। इमामे हुसैन जहां एक तरफ पैगम्बरे इस्लाम के नवासा हैं वहीं दूसरी तरफ जन्नती जवानों के सरदार हैं. आपके नाना मोहम्मद मुस्तफा सल्ल. आपसे बहुत प्यार फरमाते थे। हदीसे पाक में आया है कि पैगम्बरे इस्लाम हजरते इमामे हुसैन के नन्हें होठों को ऐसा चूसा करते थे जिस तरह आदमी खजूर खाकर गुठली चूसा करता है। बेषक नाना व नवासा के बीच मोहब्बत अनबुझ मिसाल है।

इससे पूर्व प्रोग्राम का आरम्भ कुराने पाक से मदरसा कलीमिया तालीमुल कुरान के प्रधानाचार्य हजरत हाफिज कारी मोहम्मद नासिर हषमती ने की और बारगाहे रिसालत में कारी मोहम्मद साबिर हषमती व हाफिज मोहम्मद खुर्षीद ने नता षरीफ का नजराना पेष किया। जलसे की अध्यक्षता हाफिज मोहम्मद इरफान हषमती ने की। इस अवसर पर जलसे में प्रमुख रूप से आल इडिया गरीब नवाज कौंसिल के राश्ट्रीय प्रवक्ता मो. षाह आजम बरकाती, हाफिज मोहम्मद षान आलम, हाफिज षारिक, हाफिज गुलाम वारिस, हाफिज अबीर, हाफिज एैयान, हाफिज हमजा, हाफिज ऐहतषाम, हाफिज मुस्तजाब, हाफिज अफजल आदि लोग मौजूद रहे।

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