परवान चढ़ने से पहले लापरवाही की भेंट चढ़ी आयुष्मान योजना

मोहम्मद रियाज़

कानपुर, 03 अक्टूबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आयुष्मान योजना शुरू की। जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि गरीबों को अब बेहतर स्वास्थ के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। लेकिन में यह योजना परवान चढ़ने से पहले ही लापरवाही की भेंट चढ़ गयी। आलम यह है कि लाभार्थी की सूची में उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना का परिवार, पूर्व विधायक अजय कपूर और प्रमुख उद्योगपति विजय कपूर के परिवार का नाम दर्ज है। हालांकि जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया है कि सत्यापन में जो गड़बड़ी हुई है उसकी जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना के रूप में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना शुरू की है। इसमें गरीब परिवारों को पंजीकृत कर पांच लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा दी जानी है। पात्रता की कई शर्तें हैं। उनके अलावा 2011 की बीपीएल सूची से भी नाम लिए गए हैं। मगर, लाभार्थी चयन में अभी से खेल और फर्जीवाड़ा शुरू हो चुका है। इस कार्य में लगी सरकारी मशीनरी अपनी मर्जी से लाभार्थियों के नाम जोड़ रही है। हद तो तब हो गयी जब आयुष्मान योजना की सूची में प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना और उनके परिवार का  नाम शामिल हो गया। यही नहीं कांग्रेस पार्टी से लगतार तीन बार विधायक रहे अजय कपूर और शहर के प्रमुख उद्योगपति विजय कपूर के परिवार का भी नाम जुड़ गया।

इसकी जानकारी होते ही सतीश महाना ने जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत और मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अशोक कुमार शुक्ला को पत्र लिख कहा है कि वह और उनका परिवार आयु्ष्मान योजना की पात्रता सूची में नहीं आते हैं। इस कारण सूची से नाम तो कटवाएं ही, साथ ही इस पूरी सूची की जांच करवाएं और ऐसे जितने भी अपात्र इस सूची में है, उनके नाम कटवाकर पात्र लोगों को इसमें शामिल करें ताकि आमजनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना का लाभ मिल सके। वहीं कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय कपूर ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की कोई भी योजना सफल नहीं है और इसका जीता जागता प्रमाण है कि मेरे परिवार को इसमें शामिल कर दिया गया।

2012 में हुए सर्वे का बनाया आधार

स्वास्थ सेवाओं के लाभ के लिए वर्ष 2012 में एक सर्वे हुआ था। इसमें जिसके पास न तो मोटर-गाड़ी थी और न ही मकान। साथ ही आमदनी भी इतनी नहीं थी कि वह विषम परिस्थितियों में अपना और अपने परिवार का इलाज करवा सके। इस सर्वे में कानपुर जिले के कोई 2.25 लाख परिवार मिले। इस कारण आयुष्मान योजना में इसी सर्वे को आधार मानकर शामिल किया गया।

जिलाधिकारी का कहना

जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत ने मामला प्रकाश में आने पर बुधवार को कहा कि आयुष्मान योजना के लाभार्थियों की सूची में लापरवाही बरती गयी है, जो क्षम्य नहीं है। आयुष्मान योजना की तैयार सूची का सत्यापन त्रिस्तरीय स्तर पर करायी जाएगी। तीनों स्तर पर जो पात्र लोग मिलते हैं, उनका नाम तो सूची में रहने दिया जाएगा और बाकी सभी के नाम विलोपित कर दिए जाएंगे। इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा और दोषी कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *