तारिक खान
प्रयागराज : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान हनुमान जी को वनवासी और दलित बताया। हनुमान जी की इस तुलना पर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती नाराज हैं।
प्रयागराज प्रवास के दूसरे दिन गुरुवार को मनकामेश्वर मंदिर में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि हनुमान जी जाति बताकर सीएम योगी ने पाप किया है। हम समझते थे कि वह बड़े मठ के महंत हैं, उन्हें देवी-देवताओं के बारे में अच्छा ज्ञान होगा, लेकिन उनके बयान को सुनकर ऐसा नहीं लगता।
शंकराचार्य ने कहा कि लगता है कि उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ नहीं किया है, जिसमें वर्णित ‘हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै, कांधे मूंज जनेऊ साजै’ है। अगर योगी ने हनुमान चालीसा का पाठ किया होता तो वह हनुमान जी को दलित न कहते। शंकराचार्य ने कहा कि हनुमान जी ने रूद्र का रूप छोड़कर वानर रूप धारण किया था। हमारी संस्कृति में देवताओं और वानरों की कोई जाति नहीं होती है। हमारी सनातन संस्कृति में दलित शब्द का उल्लेख नहीं है। मायावती ने दलित शब्द की उत्पत्ति की है।
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