कोतवाल को सस्पेंड कराने वाली पीड़िता व तीन सगे भाइयों के खिलाफ मुकदमे का आदेश

आरोपी युवक के दादा ने विपक्षियों व पीड़िता पर साजिश कर फर्जी केस दर्ज कराने का लगाया आरोप 

हरी शंकर सोनी

सुलतानपुर। युवती को धोखा देने के बाद उसकी मोबाइल पर अश्लील फोटो व मैसेज भेजकर धमकाने के मामले में आरोपी युवक को जेल भिजवा देंने का वायदा कर पीड़िता को गुमराह करने वाले कोतवाल तो सस्पेंड हो गये,लेकिन आरोप लगाने वाली युवती पर लगे इल्जाम भी मामूली नहीं है। पीड़िता व तीन सगे भाइयों के खिलाफ आरोपी युवक के दादा की अर्जी पर एसीजेएम पंचम हरीश कुमार की अदालत ने मुकदमा दर्ज कर जांच के आदेश दिये हैं। अदालत के इस आदेश से मामले में नया मोड़ आ गया है।

मामला कुड़वार थाना क्षेत्र के सोहगौली गांव से जुड़ा हुआ है। जहां के रहने वाले शुभम तिवारी के खिलाफ मुसाफिरखाना क्षेत्र की रहने वाली एक युवती ने गंभीर आरोप लगाते हुए बीते जनवरी माह में एसीजेएम पंचम की अदालत में केस दर्ज कराने को लेकर अर्जी दी थी। जिसमें पीड़िता ने आरोपी शुभम के खिलाफ वर्ष 2017 में ही मुकदमा अपराध संख्या 187/17 अंतर्गत धारा 493,504,506 दर्ज कराने के बाद से ही उस मुकदमें में सुलह के लिए धमकी देने एवं अश्लील मैसेज व फोटो भेजकर डराने का आरोप लगाया। पीड़िता ने अपनी मोबाइल पर आये अश्लील मैसेज व वीडियो को आरोपी शुभम के मोबाइल से ही भेजे जाने का आरोप लगाया है आैर आये अश्लील मैसेज का प्रिंट निकालकर भी दाखिल किया है। पीड़िता ने अपनी अर्जी में मुकदमा न उठाने पर उसके घर वालों को भी जान से मार डालने की धमकी देने का आरोप शुभम पर लगाया।

इस मामले में संज्ञान लेते हुए बीते चार सितम्बर को न्यायाधीश हरीश कुमार ने केस दर्ज कर जांच के लिए कुड़वार थानाध्यक्ष को आदेशित किया था,जिसकी जांच चल रही है। उधर कुड़वार थाने में दर्ज मुकदमें में आरोपी शुभम समेत अन्य आरोपियों पर कार्यवाही की आश में पीड़िता तात्कालीन थानाध्यक्ष कुड़वार नंद कुमार तिवारी के संपर्क में आ गयी। इस संपर्क का सिलसिला नंद कुमार का स्थानांतरण कुड़वार से नगर कोतवाली हो जाने के बाद भी जारी रहा। नतीजा यह हुआ कि थाना क्षेत्र बदलने के बाद भी नंद कुमार से कार्यवाही की आश लगाये बैठी पीड़िता से आरोपी शुभम को जेल भिजवा देने का वायदा कर वह गुमराह करते रहे। किया वायदा पूरा नहीं हुआ तो कोतवाल की करतूत उच्चाधिकारियों के सामने आ गयी आैर कोतवाल नंद कुमार को सस्पेंड भी कर दिया गया।

उनके इस कारनामे से पुलिस विभाग की जमकर किरकिरी भी हुई। विभाग की एक जिम्मेदार कुर्सी पर होने व अधिकार क्षेत्र बदलने के बाद भी नंद कुमार तिवारी के जरिये दूसरे थाने से जुड़े मामले में आरोपी को जेल भिजवा देने के नाम पर युवती से संपर्क होने के नाते वायदा किया जाता रहा और उसकी मोबाइल पर अश्लील पोस्ट भी किए गए ,जो कि काबिले माफी नही था,इसलिए विभागीय कार्यवाही भी जरूरी रही,लेकिन पीड़िता व उनके बीच हुई बातों पर गौर किया जाय तो लगता है कि भले ही निज स्वार्थो की वजह से लेकिन दोनों एक – दूसरे से अच्छी तरह से सम्पर्क में रहे,क्योकि बात अगर सिर्फ कुड़वार थाने से जुड़े आरोपी शुभम व अन्य पर कार्यवाही की होती तो बतौर पीड़िता वादिनी को अब नन्द कुमार से संपर्क में बने रहने का कोई औचित्य ही नही बनता है,बावजूद इसके ऐसा किया गया तो मात्र पीड़िता की नासमझी या निज स्वार्थ ही सम्पर्क में बने रहने की वजह मानी जा रही है। शायद दोनों के बीच काफी समय से अच्छे व पुराने सम्पर्क होने के विश्वास में ही नन्द कुमार ने उसकी मोबाइल पर अपने अंदर की बात को बयां कर दिया है।फिलहाल दुनिया के सामने दोनों के बीच हुई वार्ता की चंद बाते ही नजर आयी है,और पुरानी बातें नही। ऐसे में पद की हनक के दम पर नन्द कुमार तिवारी ने तो बहुत बड़ी गलती की ही,लेकिन पीड़िता भी कम जिम्मेदार नही। वहीं मामले के आरोपी शुभम तिवारी के दादा श्रीकांत तिवारी ने भी पीड़िता व अपने गांव के ही कुछ लोगों पर गंभीर आरोप लगाते हुए मामले में नया मोड़ ला दिया है।

श्रीकांत तिवारी के जरिए एसीजेएम पंचम की अदालत में दी गयी अर्जी के मुताबिक मामले की पीड़िता ने उसके नाती शुभम के खिलाफ फर्जी एवं मनगढ़ंत तथ्यों के आधार पर वर्ष 2017 में मुकदमा दर्ज कराया था,जिसमें हाईकोर्ट से अरेस्ट स्टे भी रहा। फिलहाल बाद में आरोपी शुभम को मामले में जमानत करानी पड़ी। इस प्रकरण की विवेचना कुड़वार थाने से हटाकर कोतवाली देहात थाने के सुपुर्द कर दी गयी है,जिसकी तफ्तीश अभी जारी है। श्रीकांत तिवारी के मुताबिक उसके नाती ने न तो पीड़िता के मोबाइल पर कोई मैसेज ही भेजा है आैर न कोई अश्लील वीडियो,बल्कि सभी मैसेज व अश्लील वीडियो पीड़िता के मोबाइल पर भेजने का जाल खुद उसके जरिये ही बुना गया है। इस खेल में अभियोगी श्रीकांत ने अपने गांव के ही विपक्षी विकास तिवारी उसके भाई आदित्य तिवारी व विक्की तिवारी को शामिल होना बताया है और शुभम पर फर्जी आरोप लगाकर इसे मात्र बदनाम करने की साजिश बताया है।

अभियोगी का कहना है कि पीड़िता के मोबाइल पर अश्लील मैसेज व वीडियो भेजने वाले मोबाइल नंबर की जांच कराये जाने के लिए उन्होंने स्वयं पुलिस अधिकारियों से मांग की है,जो कि अभी चल रही है। इस मामले में दोनों पक्षों के जरिए पेश किये गये कहानी से पूरा मामला संदेह के घेरे में है।दोनों ही पक्ष अपने को एक -दूसरे से पीड़ित बता रहे है। फिलहाल न्यायाधीश हरीश कुमार ने श्रीकांत की अर्जी को स्वीकार करते हुए पीड़िता व उसके तीन सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश के लिए कुड़वार थानाध्यक्ष को आदेशित किया है।दोनों पक्षो में कौन कितना सही है,यह जांच का विषय है,जिसका परिणाम आना अभी शेष है।

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