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जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा मैं जस्टिस ए.के. सीकरी के ईमानदारी की गारंटी ले सकता हु, बताया उनके निर्णय का कारण

तक्शीर हुसैन

नई दिल्ली: अपनी बेबाक लफ्जों के लिये मशहूर सुप्रीम कोर्ट के पुर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने जस्टिस सीकरी के ऊपर कथित तौर पर लोगो के शंका को आज अपनी फेस बुक पोस्ट से विराम दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने उन कारणों को बताया है, जिसकी वजह से जस्टिस सीकरी को मल्लिकार्जुन खड़गे के विरोध के बाद पीएम मोदी के निर्णय का समर्थन करना पड़ा।

पढ़े क्या लिखा है मार्कंडेय काटजू ने

बता दें कि आलोक वर्मा को हटाने वाली सलेक्शन कमेटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सीजेआई के प्रतिनिधि के तौर पर जस्टिस एके सीकरी शामिल थे। बता दें कि आलोक वर्मा ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और इस मसले पर अब सियासत गर्म है।

इस मसले पर उठ रहे लोगो के सवालो पर जस्टिस काटजू ने 10 जनवरी को एक फेसबुक पोस्ट लिखा- ‘आलोक वर्मा को प्रधान मंत्री, मल्लिकार्जुन खड़गे (विपक्ष का प्रतिनिधित्व करते हुए) और न्यायमूर्ति ए के सिकरी (सीजेआई के प्रतिनिधि) की एक समिति द्वारा सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया गया है। पीएम और जस्टिस सीकरी ने उन्हें हटाने का फैसला किया, जबकि खड़गे ने इसका विरोध किया। इस सिलसिले में मुझे रिश्तेदारों और दोस्तों से जस्टिस सीकरी के बारे में पूछताछ के लिए कई टेलीफोन कॉल आए, क्योंकि जाहिर तौर पर यह उनकी राय थी जो निर्णायक थी, और यही मैंने उन्हें बताया।”मैं जस्टिस सीकरी को अच्छी तरह से जानता हूं क्योंकि मैं दिल्ली उच्च न्यायालय में उनका मुख्य न्यायाधीश था और मैं उनकी ईमानदारी की गारंटी ले सकता हूं।

उन्होंने तब तक निर्णय नहीं लिया होगा, जब तक उन्हें आलोक वर्मा के खिलाफ रिकॉर्ड में कुछ मजबूत तथ्य नहीं मिले होंगे। वह तथ्य क्या हैं मुझे नहीं पता। लेकिन मैं जस्टिस सीकरी को जानता हूं, और व्यक्तिगत तौर पर कह सकता हूं कि वह किसी से भी प्रभावित नहीं हो सकते। जो भी उनके बारे में कहा जा रहा है वह गलत और अनुचित है।’

आलोक वर्मा पर सेलेक्शन कमेटी के दो-एक के फैसले के बाद जस्टिस काटजू ने जस्टिस सीकरी के हवाले से एक और फेसबुक पोस्ट किया और आलोक वर्मा को हटाए जाने के कारणों का खुलासा किया है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने पोस्ट में लिखा है कि जब सेलेक्शन कमेटी ने आलोक वर्मा को हटाया, तो मैंने एक फेसबुक पोस्ट किया था। बहुत से लोगों ने मुझे फोन कर इस बात पर सवाल उठाया कि आलोक वर्मा को अपनी सफाई रखने का मौका आखिर क्यों नहीं दिया गया। इस कारण मैंने जस्टिस सीकरी से फोन पर बातचीत की। इस बातचीत में आलोक वर्मा मामले में हुए फैसले के पीछे के कारण सामने आए, जिन्हें जस्टिस सीकरी की अनुमति से मैं फेसबुक पर पोस्ट कर रहा हूं।

मारकंडे काटजू के अनुसार जस्टिस सीकरी ने उनसे कहा कि सीवीसी ने पाया कि आलोक वर्मा के खिलाफ आरोप गंभीर हैं और प्रारंभिक जांच में भी सीवीसी को कुछ सबूत और निष्कर्ष मिले थे। सीवीसी ने प्रथम दृष्टया सामने आ रहे निष्कर्ष को अपनी रिपोर्ट में दर्ज करते हुए आलोक वर्मा को सुनवाई का मौका दिया था। प्रथम दृष्टया इन सबूतों और निष्कर्षों के आधार पर ही जस्टिस सीकरी का मानना था कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती और जब तक यह फैसला नहीं हो जाता कि आलोक वर्मा दोषी हैं या निर्दोष तब तक उन्हें सीबीआई चीफ के पद पर नहीं रहना चाहिए। मगर इस दौरान उनकी रैंक के बराबर उन्हें किसी अन्य पद पर स्थानांतरित कर दिया जाए।

आलोक वर्मा को बर्खास्त नहीं किया गया है, जैसा कि कुछ लोगों का मानना है। उन्हें निलंबित भी नहीं किया गया है। आलोक वर्मा को उनकी रैंक और उसी सैलरी के बराबर वाले पद पर ट्रांसफर किया गया है। अब जहां आलोक वर्मा का पक्ष नहीं सुनने की बात है तो इसका भी तय सिद्धांत है कि बिना किसी सुनवाई के पद से नहीं हटाया जाता, मगर किसी अधिकारी को निलंबित किया जा सकता है। निलंबित रहने के दौरान भी जांच जारी रहती है, जो कि सामान्य प्रक्रिया है। वर्मा के मामले में न तो उन्हें निलंबित किया गया और न ही हटाया गया, बल्कि उन्हें सिर्फ सीबीआई डायरेक्टर के बराबर वाले दूसरे पद पर स्थानांतरित किया गया है।

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