जुझारू व्यक्तित्व का नाम है इस्पेक्टर राजीव सिंह

तारिक आज़मी

वाराणसी. मऊ के रहने वाले राजीव कुमार सिंह के पिता अवधेश सिंह आर्म्स पुलिस में कमांडो थे। पिता के नक़्शे कदम पर चलते हुए साल 1993 में राजीव सिंह आरक्षी पद पर नियुक्त हुए और पहली पोस्टिंग उनकी झाँसी में हुई। राजीव सिंह के एक और भाई इस समय जौनपुर जनपद के शिकारपुर चौकी पर चौकी इंचार्ज के पद पर हैं और पुलिस को सेवा दे रहे हैं। राजीव सिंह ने इंटर तक की पढ़ाई सीतापुर से की जहां उनके पिता की सर्विस थी। 1993 में आरक्षी पद पर झाँसी में तैनाती मिलने के बाद उन्होंने एक बार फिर साल 2001 में सीधी भर्ती में हाँथ आजमाया और सब इन्स्पेक्टर हो गए।

राजीव सिंह की ज़्यादातर सेवा जौनपुर जनपद में रही। साल 2012 में जब वह  जनपद जौनपुर के शाहगंज सर्किल के सरपतहां थाने पर पोस्टेड थे उस समय 8 जुलाई को थानाक्षेत्र के गैरवाह के हटिया गांव में रिटायर्ड अध्यापक के घर लूटपाट हुई थी। उस मामले में राजीव सिंह ने कुछ लोगों को शक के बिनाह पर उठाया था। जिस पर मौजूदा शाहगंज सपा विधायक ने काफी दबाव बनाया और तत्कालीन एसपी आकाश कुलहरि से शिकायत भी की और उस मामले में पकडे गए लोगों से पूछताछ के लिए स्वयं एसपी जौनपुर थाने पहुंचे। इस मामले में वहां ब्लाक प्रमुख को जब भनक लगी कि राजीव सिंह द्वारा आज पूछताछ होने वाली है और एसपी आने वाले हैं तो वह ग्रामीणों को लेकर थाने पहुंच अराजकता फैलाने का प्रयास करने लगा। इस पर राजीव सिंह ने कहा कि अंदर पूछताछ  कर रहा हु जो गलत होगा वो जेल जाएगा बाकी सबको छोड़ दिया जाएगा। इस पर उसने एसपी साहब पर कमेंट किया तो उन्होंने सुन लिया और राजीव सिंह ने पब्लिक के सामने थाना परिसर में पकडे गए आरोपियों का बयान करवा दिया, जिसके बाद ब्लाक प्रमुख बहुत शर्मिन्दा हुए।

राजीव सिंह की पोस्टिंग जब साल 2014 में सुजानगंज थी और वह सुजानगंज थानाध्यक्ष थे उस समय गश्त के बाद थाने लौटते वक्त उनकी नज़र एक सुनसान जगह पर पड़ी। ये केस काफी चर्चा का केंद्र अपने समय में हुआ था। इस प्रकरण पर नेशनल मीडिया में भी काफी चर्चा हुई थी। राजीव सिंह ने देखा कि एक बुज़ुर्ग और एक जवान व्यक्ति एक युवती के सर पर रॉड से प्रहार कर रहे हैं। उन्होंने वहां पहुंचकर इस कृत्य को रोका और दोनों को हिरासत में लेकर युवती को अस्पताल भेजा जहां उसकी जान बचाई जा सकी। पूछताछ में दोनों ने बताया कि वह लड़की उनकी बेटी और बहन है और बीए बीएड पास है। इसके अलावा पिता शिक्षक और भाई भी पढ़ा लिखा है। लड़की ने शादी से मना कर दिया इसलिए उसकी हत्या कर रहे थे। इस आनर किलिंग को होने से पहले रोककर राजीव सिंह नॅशनल लेवल पर चर्चा का केंद्र बने थे। इन्स्पेक्टर राजीव सिंह ने झांसी, जालौन, जौनपुर और वाराणसी जनपद में रहते हुए अपराधियों को कभी चैन से सोने नहीं दिया। राजीव सिंह के एक बेटा और दो बेटियां हैं सभी पढ़ रहे हैं। अब राजीव सिंह का तबादला दुबारा जौनपुर हुआ है।

आदमपुर थाना क्षेत्र के लोगो में उनके जाने से काफी उदासी का माहोल है। क्योकि यही राजीव सिंह थे जिन्होंने सक्का घाट पर अज्ञात लाश की शिनाख्त करवाकर उसके हत्यारोपियो को तलाश कर जेल की सलाखों के पीछे भेजा था। यही राजीव सिंह थे जिन्होंने तीन बार अपने क्षेत्र के असामाजिक तत्वों द्वारा दंगा करवाने के प्रयास को विफल किया था। इनके द्वारा ही नक्कटईया जुलूस के दौरान जब दो वर्ग आमने सामने हो गये थे तो अपनी सुझबुझ से उनको अलग अलग कर एक बड़ा विवाद हल किया था।

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