दालमंडी- पहलवानी के वर्चस्व से लेकर अपराध के आतंक तक – भाग 12, साहब दर्ज हुई ये ऍफ़आईआर कहती है कि जेल में मोबाइल होने सम्बन्धी हमारी खबर सही थी

तारिक आज़मी

वाराणसी। दालमंडी के व्यापार जहा दिन दुनी रात चौगुनी रफ़्तार से बढ़ रहे थे। वही अपराध जगत भी अपना पैर फैला रहा है। इन अपराधियों के कारण आम व्यापारियों का जीना मुहाल भले हो गया हो मगर ये व्यापारी अपने व्यापारिक सोच के बंदिशों और पुरानी सोच के तहत शिकायत करने को तैयार नही रहते है। इनमे से कई व्यापारियों से इस बात के लिये घुमा फिरा कर बात करने की कोशिश किया गया तो निष्कर्ष निकल कर सामने आता है कि आखिर दालमंडी में रहकर कारोबार करना है तो इन अपराधियों से किस तरह दुश्मनी लेकर जी पायेगे। दुसरे पुलिस कार्यवाही के लिये इनके खुद के दिमाग में एक अजीब खौफ बैठा हुआ है कि पुलिस अप्लिकेशन लेकर रख लेगी और कार्यवाही नही करेगी। उलटे अपराधियों के थानों में बैठे सूत्र उनके तक ये जानकारी अवश्य पंहुचा देगी। इसका एक बड़ा उदहारण आपको देता चलता हु। शायद इसके लिये पीड़ित भी कुछ अब बोलने को तैयार न हो। फिर भी बात निकलेगी तो बहुत दूर तक जायेगी।

एक मोबाइल कारोबारी को जेल में बैठे कुख्यात अपराधी फैजान ने फोन पर रंगदारी मांगी। एक नही कई बार फोन आया, फिर व्यापारी ने हिम्मत दिखाई और तहरीर लेकर थाने पंहुचा तत्कालीन थाना प्रभारी कही क्षेत्र में रहते है। मौके पर उपस्थित पुलिस कर्मियों को घटना की जानकारी होती है। इसी दौरान इस मामले की सुचना कुख्यात फैजान के लोगो को हो जाती है। फिर क्या था ? सफेदी की चमकार दिखाते हुवे कुछ सफेदपोश थाने के इर्दगिर्द चक्कर काटने लगते है और व्यापारी की मन्मनव्वल में जुट जाते है। आखिर युवा व्यवसाई को झुकना पड़ता है और तहरीर पड़ने के पहले ही मामला सुलझ जाता है।

इसी क्रम में एक हाजी साहब को भी कथित रूप से फैजान के द्वारा फोन पर जेल मुलाकात करने को बुलाया जाता है। कथित रूप से हाजी साहब मुलाकात हेतु मुलाकात पर जाते है। बताने वाले तो ये भी बताते है कि इसके बाद मुलाकात न करना पड़े तो हाजी साहब ने सिम ही तोड़ कर फेक दिया। इस घटनाओ से हम सिर्फ ये बताने का प्रयास कर रहे है कि इस एक नाम की दहशत कितनी है क्षेत्र में। लोग अपराध के शिकार होते है मगर शिकायत करने की हिम्मत नही जुटा पाते है।

अब आज के प्रमुख मुद्दे पर आते है। हमने अपने पिछले अंक में चार नम्बरों के कुछ अंक कम करके खबर प्रकाशित किया था कि जेल में बैठा दहशत का दूसरा नाम बनकर उभर रहा फैजान जेल में मोबाइल प्रयोग करता है। हमने अंक कुछ कम केवल इस कारण किया था कि उक्त नम्बरों की जानकारी आम जनता को न हो और समाज सुरक्षित रहे। हमारे खबर पर प्रतिक्रया कई तरफ से आई। जहा दालमंडी के व्यापारियों ने दबी ज़बान से हमारी खबर का समर्थन किया तो वही महकमे के कुछ अधिकारियो का कहना था कि हम इसके ऊपर काम कर रहे है। शिकायतों का पूरा संज्ञान लिया भी जा रहा है। इस शब्द पर हमको कोई आपत्ति नही है और न ही कोई अतिश्योक्ति है क्योकि वर्त्तमान थानाध्यक्ष चौक ने इसके लिये नजीर भी कायम किया है। साथ ही हम उनके कामो की सराहना करते है। ऐसा इस कारण नही कि हम थानेदार साहब के हितैषी बनने का प्रयास कर रहे है, बल्कि वास्तविकता के पैमाने पर भी हमने इसको खरा पाया है। रात के एक बजे एक पीड़ित ठेकेदार थाने अपने साथ हुई घटना की सुचना देने जाता है तो उसका मुकदमा रात को ही पंजीकृत होता है और साथ में 48 घंटे के भीतर मुख्य आरोपी की गिरफ़्तारी भी होती है। घटना 6 मार्च को रात 10:30 की है जब एक स्थानीय छोटे ठेकेदार से फ़िरोज नाम का फैजान का रिश्ते में भाई लगने वाले युवक ने रंगदारी की मांग फैजान के नाम पर किया था। ठेकेदार ने हिम्मत आखिर में जुटा कर थाने रात एक बजे तहरीर दिया। थाना प्रभारी ने रात को ही उस शिकायत पर मुकदमा दर्ज करवाया और सिर्फ 48 घंटे के अन्दर मुख्य आरोपी को हिरासत में ले लिया।

मगर दुसरे तरफ महकमे के कुछ ज़िम्मेदार इस बात पर अधिक बल देते है कि फैजान केवल एक लुटेरा है। खैर हम उनके जानकारी पर कोई सवाल नही उठा रहे है। हमने अपने खबर में चार मोबाइल नम्बरों का ज़िक्र करते हुवे बताया था कि फैजान के पास ये चार मोबाइल नंबर होने की सूत्रों से सुचना प्राप्त हो रही है। नम्बरों को हमने सुरक्षा के दृष्टिगत कुछ कम अंक के साथ लिखा था। ऐसा नही है कि हमारे पास पुरे नंबर नही थे, हमको ये सभी चारो फोन नंबर उस जगह से उपलब्ध हुवे थे जिनसे फैजान ने खुद रंगदारी मांगी थी फोन पर। हमारी खबर का संज्ञान लेकर उसी क्षेत्र के एक समाजसेवक और व्यापारी ने हमको बताया कि उसको भी उनमे से एक नंबर से फोन आया था। बताया जाता है कि फाटक शेख सलीम पर फायरिग का आरोपी इनामिया अपराधी भंटू की शिनाख्त करने में वह युवक मुख्य था। आरोप है कि भंटू इससे नाराज़ है और वह कहता है कि उसी युवक ने उसको पुलिस के हाथो धरवाय है। इसी कड़ी में उस युवक का आरोप है कि दिनांक 8 फरवरी 2019 को भंटू ने उसको जेल से फोन करके जान से मारने की धमकी दिया था। पीड़ित ने इस सम्बन्ध में दिनांक 10 फ़रवरी को थाना चौक पर लिखित तहरीर देकर खुद के जान माल के सुरक्षा की गुहार लगया था। जिस सम्बन्ध में थाना चौक प्रभारी ने कार्यवाही करते हुवे मु०अ०स० 38/2019 थाना चौक में दर्ज हुआ।

ये इस अपराध में विवेचना प्रचलित है। मगर यहाँ ध्यान देने योग्य बात ये है कि इस घटना में पीड़ित ने जिस मोबाइल नंबर का ज़िक्र किया है वह मोबाइल नंबर हम अपने पिछले अंक में लिख चुके है। अर्थात ये घटना हमारी खबर में सूत्रों द्वारा प्रदान जानकारी को सही साबित करती है। अर्थात हम कह सकते है कि जेल के अन्दर बंद अपराधियों द्वारा खुल्लम खुल्ला मोबाइल का प्रयोग किया जा रहा है। या सवालिया घेरे में जेल प्रशासन और उसकी व्यवस्था आ रही है। क्योकि हमारे द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार 8 फरवरी को फैजान अथवा भंटू की पेशी नही थी। इस घटना पर अगर गौर करे तो एक बात और हमारी खबर को बलवती करता है। हमने अपने पिछले अंक में बताया था कि पूर्व बाहुबली समाजसेवक ने फैजान से हाथ मिला लिया है इसकी चर्चा क्षेत्र में जोरो से है। अब बात ये है कि जिस नंबर से फैजान द्वारा फोन करने की बात सामने आती है उसी नंबर से भंटू द्वारा फोन करके धमकी देने की बात अगर सामने है तो ये इस ओर इशारा करता है कि फैजान और भंटू जो दोनों ही इनामिया अपराधी है में आपसी तालमेल हो चूका है। अथवा फिर जेल के अन्दर कोई चलता फिरता पीसीओ है जो सुविधा फोन करने की उपलब्ध करवाता है।

बहरहाल जेल प्रशासन के दावो पर सवालिया निशाँन तो हम नही लगा रहे है। मगर इस बात पर भी जिला प्रशासन को ध्यान देना होगा कि आखिर कैसे जेल से फोन आने की बाते शहर में लोग कर रहे है। कही इसमें कोई सत्यता तो नही है। वैसे देखा जाए तो औचक हुवे निरिक्षणों में अक्सर जेल से मोबाइल बरामद हुवे है। मगर ये मोबाइल किसके थे, इसका उपयोग कौन करता था अथवा किसके द्वारा उपलब्ध होते थे इसका कभी कोई बड़ा खुलासा नही हो पाया।अब देखना होगा कि क्या प्रशासनिक अमला इसका संज्ञान लेता है। क्योकि सर पर खड़े चुनावों में कही ये अपराधी अपनी भूमिका न निभाने लगे ये भी ये विषय है।

अगले अंक में हम बतायेगे कि आखिर एक छोटी सी मोबाइल रिपेयरिंग की दूकान से कौन सी ऐसी आय है कि खर्च आलिशान होते है। जुड़े रहे हमारे साथ। हम फिर एक बार कहना चाहते है कि दालमंडी के समस्त व्यापारी अमन पसंद है। वह सुकून से अपने कारोबार को करना चाहते है और करते है। मगर उनके दिल में खौफ कही न कही भरा हुआ है। इसके लिये चौक पुलिस को एक बार और प्रयास करना होगा कि जनता उनके करीब आये और समाज में डर का साया दूर हो। वैसे इसके लिये वर्तमान थानाध्यक्ष द्वारा किया जा रहा प्रयास सराहनीय है।

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