तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – वाराणसी की जनता करे शोर, सरैया का कोटेदार है चोर, कथित भाजपा नेता पुलिस से अभद्रता कर छुड़ा ले गया कोटेदार को

तारिक आज़मी

वाराणसी। गरीबी हटाओ के लिये प्रयासरत सरकारों पर हमेशा से चोर चांडालो ने उनके हक़ पर डाका डालकर सरकारों के मंशाओं पर पानी फेरा है। सरकारी मुहीम के तहत गरीबो के पेट को पालने के लिये सस्ते गल्ले की दुकानों को खोला गया। ये दुकानदार भी घटतौली करने वाले और ब्लैक में माल बेचने वाले निकले। अक्सर इनके चोरी के कस्से आम होने लगे तो सरकार ने सभी राशन कार्ड को बदल कर नया राशन कार्ड बना दिया। इस नये राशन कार्ड को बनाने में भी कोटेदारो ने खूब मनमर्जी किया। हकीकत तो ये भी है कि आज भी किसी भी शहर में आप चले जाए तो आपको जानकारी हासिल होगी कि काफी बड़ी तयदात में लोगो के पास राशन कार्ड नही है। ये राशन कार्ड न होना इस बात की दलील नही है कि वह लोग यहाँ के मूलनिवासी नही है। बल्कि ये घूसखोरी और हरामखोरी की दलील पेश करता है। लोगो के राशनकार्ड का सही वेरिफिकेशन कोटेदार और उनसे मिलकर बीएलओ ने नही किया और घर पर बैठ कर कोटेदार और क्षेत्रीय नेताओ की राजनीती का शिकार होकर राशन कार्ड बने,

बहरहाल, जिनके राशन कार्ड बन चुके है उनके लिये भी उनके हक़ का राशन उपलब्ध नही होता है। कोटेदार उसमे भी चोरी करने से बाज़ नही आते है। ताज़ा मामला जैतपुरा थाना क्षेत्र के सरैया का है। जहा कोटेदार ने कई महीनो से लोगो को मिटटी का तेल नही दिया है और उनके कार्ड पर तेल चढ़ा दिया है। इसका मतलब होता है कि कोटेदार ने चोरी करके उनके हक का तेल किसी खाद्यान माफिया को बेच डाला। ऐसा ही मामला कल सरैया के कोटेदार श्रीप्रकाश जायसवाल का सामने आया।

मामला कुछ इस तरह से रहा कि कोटेदार साहब का नाम भले श्रीप्रकाश है मगर इस प्रकाश में भ्रष्टाचार का अन्धकार मिला हुआ है। प्रकाश बाबु की किस्मत है कि इनके यहाँ सम्बद्ध कार्ड अधिकतर अनपढ़ लोगो के है जो क्या लिखा है समझ ही नही पाते है। अब ये चावल देकर उनका अंगूठा गेहू चावल और तेल पर लगवा ले किसको पता चले। खूब चांदी काट रहे थे प्रकाश बाबु। कल लगता है सुबह सुबह ही इनका दिन ख़राब था। इलाके के रहने वाले एक पढ़े लिखे लड़के ने इनके दूकान पर दस्तक दे डाली। आदत से मजबूर प्रकाश बाबु ने उसका भी अंगूठा लेकर चावल के साथ गेहू और तेल चढ़ा दिया। अब ये निकल गया पढ़ा लिखा और तुरंत सवाल दाग डाला कि तेल और गेहू कहा है। बात बढ़ी और काफी दूर तक गई। इस दौरान कोटेदार महोदय ने अपने भाजपा के घनिष्ट सम्बन्ध की खूब गीदड़ भभकी दिया।

भनक मिलते ही मौके पर कुछ पत्रकार भी इकठ्ठा हो गये। फिर क्या था ? एक आवाज़ उठी तो सैकड़ो लोग मौके पर पहुच कर इसकी शिकायत दर्ज करवाने लगे कि तेल मिलता ही नही है। किसी को दस माह तो किसी को 5 महीनो से तेल नही मिला।। मगर तेल सबके कार्ड पर चढ़ा हुआ था।

हंगामा शुरू होने पर मौके की नजाकत जानकर पहुची पुलिस ने कोटेदार साहब को चौकी की सैर करवाने के लिये खुद के साथ ले लिया। फिर चौकी पर बैठा दिया कोटेदार साहब को। अब उनके पैरवी करने के लिये दो भाजपा नेता लेफ्ट राईट करने लगे, प्रत्यक्षदर्शियो की माने तो चौकी इंचार्ज के साथ अभद्रता भी किया। यही नही एक नेता जी ने तो कहा कि चौकी हमारी संपत्ति पर है। आज चाहूँगा तो इसको बंद करवा कर खाली करवा लूँगा, खूब हंगामा कटा। एक नेता तो ऐसे भी थे जिन्होंने मौके पर उपस्थित पत्रकारों को ही फर्जी करार दे दिया और कहा कि सबके खिलाफ हम लोग डीएम को शिकायत देंगे। लम्बे चौड़े भभकियो के बाद नेता जी लोगो ने आम जनता को घुड़किया देते हुवे वापस भेज दिया और फिर कोटेदार को लेकर चलते बने।

अब सवाल ये उठता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने की बात करने वाली भाजपा सरकार के ये दो कार्यकर्ता आखिर किसी भ्रष्टाचारी को सहयोग क्यों कर रहे थे। आखिर क्या वजह है कि एक भ्रष्ट कोटेदार के लिये इस लोगो ने पुलिस से अभद्रता करने वाले कथित भाजपा नेता को किसने यह अधिकार दे दिया कि पुलिस कर्मियों के साथ अभद्रता करे। सबसे बड़ा सवाल तो जैतपुरा थाना प्रभारी पर उठता है कि उनके अधिनस्थो के साथ हुई अभद्रता को आखिर कैसे थाना प्रभारी बर्दाश्त कर गये। आखिर क्या मनोबल बचेगा पुलिस कर्मियों का। क्या इसी मनोबल के सहारे ये पुलिस कर्मी निष्पक्ष चुनाव करवायेगे।

सवालिया घेरे में है पत्रकार की सुरक्षा

प्रत्यक्षदर्शियो की माने तो इन दो नेताओ ने चौकी इंचार्ज के साथ विधिवत अभद्रता किया। उनके लिये अश्लील शब्दों का प्रयोग तक कर डाला। ऐसे में वो अगर पत्रकारों को भी गाली दे गये तो कौन सी बड़ी बात साहब। अगर पत्रकार एतराज़ करता तो उसको ये भाजपा ने नेता गोली मार सकते थे। वहा मौके पर चार पत्रकार थे। चाहते तो दस मिनट में नेताजी की नेतागिरी धरी की धरी रह जाती और नेता जी चियाऊ चियाऊ करने लग जाते, मगर कलम के सिपाही हाथो का प्रयोग सिर्फ कलम के लिये करते है। वरना चुडिया तो पत्रकारों ने भी नही पहन रखी थी। नेता जी 2019 में आपके शब्दों का जवाब एक एक वोट से लेने की कसम भी पत्रकारों ने खाई है। ध्यान रखियेगा। 19 मई दूर नही है।

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