तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – चीफ प्राक्टर साहब, पत्रकारों को गोली मरवा दे न साहब

तारिक आज़मी

महामना की बगिया में सुलग रही चिनगारिया अक्सर ही शोला बनकर भड़क उठती है। इसका कारण मैंने पहले ही बताया था कि जब तक राजनितिक इस विद्या के मंदिर में अपनी घुसपैठ बना कर रखेगी तब तक बगिया की ये सुलगती चिनगारिया अकसर ही आग उगलती रहेगी। राजनीत ख़त्म भी कैसे हो जब यहाँ शिक्षको के बीच कुछ ऐसे भी है जो दल विशेष के अंध समर्थक बने बैठे है। शिक्षा देना क्या है साहब खुद ही ऐसे राजनितिक पाठ पढ़ा देते होंगे कि नफरते परवान चढ़ जाए। कई ऐसे भी है जिनके फेसबुक वाल को देख कर आप तनिक भी अंदाज़ नहीं लगा सकते है कि ये महामना के बगिया में शिक्षक है। लगता है कि किसी दल विशेष के प्रवक्ता हो। अब आप समझ सकते है जब खुद एक दल के प्रवक्ता बने है तो फिर नफरतो का सौदा करना कौन सी बड़ी बात है।

पिछले कई महीनों से बीएचयू में हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोई न कोई मुद्दे पर बवाल हो जाता है। बीएचयू की सुरक्षा व्यवस्था पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं पर ना तो यहां हंगामा खत्म हो पाता है ना ही चोरी। पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा लगाए गए चंदन पेड़ काटने का काम किया जाता है, अभी तक चोर पकड़ से बाहर है। कभी बीएचयू में पूरे हॉस्टल खाली कराए जाते हैं तो कभी आगजनी हो जाती है। कभी लड़कों को मार करने के लिए उसको उकसाया जाता है। कभी ऐसे ही मजाक मजाक में मार हो जाती है। सब मिला जुला कर लगता है पठान पाठन के अलावा सब कुछ आज कल यहाँ चल रहा है। आज तक चन्दन के चोरी हुवे पेड़ किसने चुराये ये न पता कर पाने वाला विश्वविद्यालय प्रशासन सिर्फ सुरक्षा पर पैसा खर्च करना जानता है।

यही नही अब तो महामना की बगिया पत्रकारों के लिये भी सुरक्षित नही है। पहले रविश कुमार जैसे वरिष्ठ पत्रकार का मोबाइल नंबर सोशल मीडिया पर वायरल करके उनको गालिया सुनवाने वाले शिक्षक ही यहाँ थे, अब उससे दो कदम आगे बढ़कर लोग पत्रकारों को पिटवाने का काम भी शुरू कर दिये है। क्यों न करे, आखिर पत्रकार उनका असली कुरूप चेहरा जो सबके सामने लाने में नही हिचकते। अब कौन अपना इतना कुरूप चेहरा देखना पसंद करेगा। फिर क्या मौका मिल जाए तो चौका मार दो, और कुटवा दो अपने गुंडों से पत्रकारों को क्या फर्क पड़ेगा ? दो चार दिन लोग अपने यहाँ लिखेगे फिर शांत बैठ जायेगा और हो जाएगा काम ख़त्म। फिर अगली बार किसी और को निशाना बनायेगे। फिर वही राग होगा और फिर मामला ठंडा पड़ जायेगा।

अब मौजूदा मामला ही देख ले। एक पत्रकार  को खबर करते समय चीफ प्राक्टर रोयाना सिंह ने उसका मोबाइल छीन कर उसको मारा पीटा। मोबाइल से पुरे वीडियो डिलीट कर डाला। आखिर उनके कुकृत्यो का कच्चा चिटठा जो उस पत्रकार के मोबाइल में कैद हो गया था कि कैसे एक स्टूडेंट को हॉस्टल में चीफ प्राक्टर के सुरक्षा कर्मी गुंडागर्दी पर उतारू है। रोयाना सिंह के ही आदेश पर एक छात्र को घेर कर मारने का काम किया जा रहा था। जिसका वह पत्रकार वीडियो बना रहा था। बस शाब जी यानी मैडम को नागवार गुजर गई ये बात। कैसे किसी पत्रकार की हिम्मत होगी कि उनके हिटलर शाही में खलल डाल दे, भला मैडम को बुरा नही लगेगा। बस फिर क्या था अपने सिपाहसालारों से पत्रकार को पीटने को कहा और मोबाइल छीन ली।

मैडम के इस अंदाज का कारण ये था कि कुछ छात्रों ने कुलपति कार्यालय पर लंबा धरना दिया था। जिसमें प्रशासन के हस्तक्षेप से लड़कों ने अपना धरना समाप्त किया। मैडम के कार्यकाल को देखे तो बीएचयू में जितना बवाल हुआ है शायद ही किसी के भी कार्यकाल में नही हुआ होगा। पर कुलपति महोदय अभी तक मैडम से इस्तीफा लेने का काम नहीं किए। शायद लगता है वीसी साहब भी मैडम की ताकत से खौफ खा रहे होंगे। तभी तो छात्र जितना चाहे इतना चिल्लाये मगर वीसी साहब को मैडम पर पूरा आँख बंद करके विश्वास है। खैर साहब पत्रकार प्रह्लाद को पीटने के खिलाफ पीड़ित पत्रकार द्वारा लंका थाना को तहरीर दिया गया जिसमे सुसंगत धाराओ में रायना सिंह और उनके 5-6 सुरक्षा कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्यवाही की तैयारी कर रहे है, वैसे मालूम ही होगा क्या कार्यवाही होगी।

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