आरिफ अंसारी
दांतेवाडा. ज़िन्दगी के 12 साल बहुत बड़े होते है। इस महिला ने ज़िन्दगी के 12 साल सलाखों के पीछे काटे। एक नहीं, दो नही बल्कि 157 मामलो में पुलिस ने उसको जेल भेजा था। मगर जब अदालत का फैसला आया तो 12 सालो के बाद भी पुलिस किसी भी मामले में महिला की संलिप्तता सिद्ध नही कर सकी और महिला को अदालत ने बरी कर दिया, हम बात कर रहे है जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा बंदिनी के रूप में गुजारने के बाद आज़ाद हुई निर्मलक्का की। उन्हें नक्सली गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जो कि साबित नहीं हुए।
जेल से रिहा होने के बाद निर्मलक्का ने बताया कि साल 2007, 2008, 2014 और 2015 में भी नए-नए मामले दर्ज होते रहे, लेकिन किसी में भी अपराध साबित नहीं हो पाया। जब उनसे पूछा गया कि इतना लंबा वक्त उन्होंने जेल में बिताया तो क्या वे शासन से कुछ कहना चाहती हैं? उन्होंने रुंधे गले से सिर्फ इतना कहा कि मैं कुछ नहीं कहना चाहती, बस अपना वक्त परिवार के साथ बिताना चाहती हूं।
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