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घर में घुसे दो बदमाशो को ग्रामीणों ने पीट पीट कर उतारा मौत के घाट, भीड़ तंत्र के इस कृत्य को एसपी ने करार दिया ग्रामीणों से मुठभेड़, देखे एसपी का बयान

तारिक आज़मी

लखीमपुर खीरी। इसको मोब लीचिंग कहे या फिर ग्रामीणों ने किया दो बदमाशों का एनकाउंटर, बात समझ से परे है। मगर घटना कुछ इस प्रकार है कि डकैती डालने आए बदमाशों में 2 को पीट-पीटकर ग्रामीणों ने मौत के घाट उतार दिया है। बकिया एक बदमाश फरार होने में कामयाब हो गया है। ग्रामीणों द्वारा पीट पीट कर मारे गए दोनों बदमाशों का नाम सबीर और रईस बताया जा रहा है। मृत बदमाशो पर दर्जनों मुकदमे पहले से दर्ज।

देखे एसपी का बयान

घटना ईसानगर थाना क्षेत्र के नदी पार इलाके की ग्रामसभा बेलागढ़ी के मंझरा टेकी गौढ़ी गांव की है। जहा एक रिटायर्ड फौजी सूबेदार विश्वकर्मा के घर में रविवार-सोमवार की देर रात एक बजे के करीब ३ की संख्या में बदमाश लूट के इरादे से घुसे थे। रिटायर्ड फौजी के ३ अन्य भाई तीरथराम, मलिकराम और किशोरी विश्वकर्मा संयुक्त रूप से एक ही मकान में रहते है। दौरान घटना बताया जाता है कि बदमाशो के पैरो से बाल्टी को धक्का लगा जिससे परिवार के एक सदस्य किशोरी की आँख खुल गई। जागने पर परिजनों ने जब शोर मचाया तो परिजनों का आरोप है कि बदमाशो में से एक ने अपने साथ लिए कट्टे से फायर झोक दिया परन्तु संयोगवश गोली किसी को नही लगी। इसके बाद शोर सुनकर ग्रामीण इकट्टा हो गए। इस मोब लीचिन अथवा पब्लिक एनकाउंटर में दो बदमाशो को ग्रामीणों ने पीट पीट कर मार डाला।

घटना की सुचना मौके पर पहुची पुलिस पुलिस ने लाश का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। घटना के संबध में पुलिस अधीक्षक ने पूनम ने पत्रकारों को बताया कि एक बदमाश भागने में सफल हो गया है जिसकी तलाश जारी है, और दो बदमाश मुठभेड़ में मारे गए है। सवाल ये उठता है कि इसको पुलिस अधीक्षिका महोदय कैसे मुठभेड़ कह रही है यह तो वह ही बता सकती है। आखिर कानून को हाथो में लेने का अधिकार ग्रामीणों को किसने दे दिया था। ग्रामीणों ने दो बदमाशो को पीट पीट कर मार डाला, फिर मैडम मोब लीचिंग को किस शब्दों में परिभाषित करेगी। आखिर किस प्रकार से मैडम ने इस घटना को जायज़ अपने शब्दों में करार दे दिया ये तो वही बता सकती है। मगर अगर इस भीड़ तंत्र द्वारा कृत घटना को मुठभेड़ का नाम दिया जाये तो कही न कही समाज में एक गलत सन्देश जाएगा।

खैर जिले में कानून व्यवस्था मैडम के हाथो में है और वह अगर इस प्रकार के भीड़ तंत्र द्वारा कृत घटना को जायज़ ठहरा कर उसको मुठभेड़ का नाम देती है तो हम आपत्ति भी कैसे कर सकते है। और आपत्ति करके कर भी क्या सकते है। मगर पुलिस अधीक्षिका महोदया इस प्रकार की घटना को मुठभेड़ का नाम देकर इस भीड़ द्वारा कारित घटना को न्यायसंगत कहना भी शायद सही नही होगा। इस बार भीड़ के हत्थे दो शातिर अपराधी चढ़े और यह घटना हो गई। जबकि कानून को अपने हाथो में लेने की इजाज़त किसी को भी नही होनी चाहिये क्योकि कानून की नज़र में सभी एक सामान है। इस भीड़ की उत्तेजना का शिकार दो अपराधी हुवे। मगर मैडम कही न कही ये भी कानून को अपने हाथो में लेना ही हुआ। बताते चले कि मृतक दोनो बदमाशो रईस और साबिर पर पर पहले से ही अनेको मुकद्दमे पंजीकृत है। लेकिन लखीमपुर खीरी की पुलिस की मुस्तैदी पर प्रश्न चिन्ह भी यह घटना लगा रही है। इस प्रकार से जनता द्वारा खुद को कानून समझ कर कानून को अपने हाथो में लेना भी एक अंधकारमय भविष्य और घातक समाज के तरफ इशारा कर रहा है।

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