सुरक्षित प्रसव के लिए आया एप

आसिफ रिज़वी

सेफ डिलिवरी एप में होंगी एनिमेटेड फिल्में

 गर्भावस्था व प्रसव के दौरान की जटिलताओं के उपचार का सरल तरीका भी फिल्मों के जरिये चलेगा पता

 स्टाफ नर्स व एएनएम का प्रसव संबंधी स्किल भी होगा अपडेट

मऊ। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में प्रभावी कमी लाने की दिशा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सतत प्रयासरत है। इसके लिए जहां एक ओर प्रसव पूर्व जांच, संस्थागत प्रसव, होम बेस्ड न्यू बार्न केयर (एचबीएनसी) के साथ ही अन्य तमाम योजनाओं पर ज़ोर दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर तकनीकी पहलुओं पर भी पूरी तरह से फोकस किया जा रहा है। सुरक्षित प्रसव कराने के लिए ही सेफ डिलिवरी एप (Safe Delivery App) लाया गया है। इस एप में गर्भावस्था एवं प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं के उपचार का सरल तरीका बताया गया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश के मिशन निदेशक पंकज कुमार ने प्रदेश के सभी मंडलीय अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र जारी करके इस एप का उपयोग अपने-अपने जिले की सभी स्वास्थ्य इकाइयों में करने के लिए निर्देशित किया है। पत्र में कहा गया है कि सेफ डिलिवरी एप एक नवीनतम स्वास्थ्य उपकरण है। इसके द्वारा एनीमेटेड फिल्मों के माध्यम से बहुत ही सरल तरीके से प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं के उपचार का तरीका दर्शाया गया है।
सेफ डिलिवरी एप के माध्यम से स्वास्थ्य इकाइयों में काम करने वाली स्टाफ नर्स और एएनएम का प्रसव संबंधी क्लीनिकल स्किल अपडेट किया जा सकेगा। स्वास्थ्य कार्यकर्ता इस एप को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरह से उपयोग कर सकते हैं। प्रदेश की समस्त चिकित्सा इकाइयों के प्रसव कक्ष एवं मैटरनिटी ओ॰ टी॰ में कार्यरत स्टाफ नर्स/एएनएम और चिकित्सा पदाधिकारियों द्वारा इतनी सारी खूबियों वाले इस एप का उपयोग सुनिश्चित कराये जाने पर पूरा ज़ोर दिया जा रहा है।

क्या कहते हैं आंकड़े : मातृ एवं शिशु मृत्यु दर के आंकड़ों की बात करें तो उससे साफ होता है कि सरकार द्वारा किए जा रहे इन प्रयासों का नतीजा ही है कि उत्तर प्रदेश में इसमें बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। वार्षिक स्वास्थ्य सर्वे (AHS) 2012-13 के अनुसार प्रदेश की मातृ मृत्यु दर प्रति लाख 258 थी जो कि सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) 2014-16 में घटकर 201 पर आ गयी। इसी प्रकार शिशु मृत्यु दर एसआरएस 2014 के अनुसार प्रति हजार 48 थी जो कि एसआरएस 2016 में 43 दर्ज की गयी।

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