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सोनाली सिन्हा की कलम से – कैसे करे मतदान, जब नही है मतदाता पहचान पत्र, क्यों नही करती सरकारे ये समाधान

सोनाली सिन्हा 

वैसे हर बार चुनाव आता है तो मतदान को प्रोत्साहित करने के लिए हर सरकार के द्वारा प्रचार प्रसार का काम शुरू हो जाता है। मतदान आते आते इस बात की भी चर्चा जोरो शोरो से शुरू हो जाती है कि इतने प्रतिशत मतदाताओ का नाम वोटर लिस्ट में नहीं है। नवजवान तबके को देखे तो स्थिति और भी ख़राब मिलेगी। अधिकतर नवजवान मतदाताओ के पास तो मतदाता पहचान पत्र तक नही होता है। आखिर चुनावों के पहले वोटर लिस्ट सही करवाने और नये नाम जोड़ने तथा जो मतदाता नही है उनके नामो को काटने का जो अभियान चलाया जाता है फिर वो सफल क्यों नही होता है।

सोनाली सिन्हा

क्या होता है सरकारी दावो के विपरीत ज़मीनी स्तर पर

सरकार और प्रशासन चाहे जितने भी दावे करे वह ज़मीनी स्तर पर शुन्य ही रहता है। प्रशासन हर क्षेत्र की बीएलओ को इस कार्य हेतु लगता है। वोटर लिस्ट के लिए डोर 2 डोर तक जाने के फरमान जारी होते है। वही बीएलओ को बूथों पर भी बैठाया जाता है। बूथ पर बीएलओ कुछ दिनों के लिए यानी दो दिन अथवा तीन दिन के लिए बैठती है। मगर ज़मीनी स्तर पर हकीकत का आईना देखे तो नज़र आएगा कि घर घर जाकर लिस्ट को वेरीफाई करना तो बहुत दूर की बात रही काफी बीएलओ तो क्षेत्र में भी नही जाती है। कुछ तो ऐसे भी देखा जाता है कि बीएलओ के जगह उनके पति अथवा भाई या फिर परिवार के अन्य पुरुष इस काम को करते नज़र आते है। कुछ जगहों पर देखा जाता है कि ये काम उनके द्वारा क्षेत्र के किसी राजनितिक चेहरे को प्रदान कर दिया जाता है। अब राजनितिक व्यक्तित्व अपना राजनितिक लाभ देखेगा ही तो वह निष्कर्ष के तौर पर सामने आता है।

क्या नही होता ये काम

देखा जाता है कि अधिकतर युवाओं के पास उनका वोटर आईडी कार्ड नही होता है। वो भले पैन कार्ड और आधार कार्ड के लिए इधर उधर जाते देखे जाए मगर वोटर कार्ड के लिए बहुत अधिक जागरूकता नही होने से वोटर कार्ड नही होते है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन द्वारा कालेजो और यूनिवर्सिटी में कैम्प लगा कर एडमिशन के समय ये काम किया जा सकता है। अगर जिले के हर कालेज और यूनिवर्सिटी में कैम्प लगा दिया जाए और एडमिशन के समय ही वोटर कार्ड का फार्म भर कर उनके कार्ड उनके घरो को भेज दिये जाए तो वोटर कार्ड हेतु जागरूकता के साथ साथ वोटर कार्ड भी हर पढ़े लिखे लोगो के पास हो जायेगा।

ये कैम्प आधार कार्ड जैसे ही किसी को कान्ट्रेक्ट पर देकर भी लगवाया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक शुल्क भी अगर सरकार 50 रुपया रख दे तो भी लोग आधार कार्ड और पैन कार्ड की तरह वोटर कार्ड बनवा लेंगे। इससे एक फायदा ये भी होगा कि वोटर लिस्ट में नाम जुडवाने और वोटर कार्ड बनवाने के लिये परेशान इंसान नही होगा और सत्यता के साथ वोटर लिस्ट बन भी जायेगी। जो जिस शहर का होगा वही अपना नाम वोटर लिस्ट में डलवा सकता है।

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