प्रधानमंत्री मोदी को प्रचंड बहुमत के बाद सबसे बड़ी चुनौती – कैसे रोकेगे वह इस विचारधारा को ?

तारिक आज़मी.

लोकसभा चुनाव समाप्त हो चुके है। जनादेश आ चूका है और जनादेश में भाजपा को बहुमत ही नही बल्कि प्रचंड बहुमत मिला है। इस बहुमत के बाद प्रधानमंत्री ने कार्यकर्ताओ को संबोधित किया और कहा कि मैं आपका हु। आपकी इच्छाओं को समझता हु। संविधान में रहकर आपकी इच्छाये पूरी होंगी। संविधान से ऊपर किसी को नही जाने दूंगा आदि आदि। प्रधानमंत्री के भाषण में सबका साथ सबका विकास जैसा मुद्दा प्रमुखता से रहा। प्रधानमंत्री ने अपने बातो में स्पष्ट किया कि किसी को कानून अथवा संविधान से उपर जाने नही दूंगा। अच्छा लगा प्रधानमंत्री का नई लोकसभा चुनाव में पहला भाषण सुनकर। मगर कई प्रश्न अचानक दिमागों में कौधने लगे है। कई प्रश्नों के बीच सिर्फ एक प्रश्न का उत्तर तलाश रहा हु। मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के क़ाबलियत पर कोई शक नही कर रहा हु। वह एक काबिल प्रधानमंत्री है जिसका उदहारण इस लोकसभा चुनावों में सामने है कि सभी विपक्ष को अकेले पटखनी देकर खुद के बल बुले सरकार बनाने से अधिक जनादेश लेकर आये है।

मगर इसके बीच विगत कुछ समय से सोशल मीडिया पर भी एक मोबलीचिंग की तरह ही घटनाये होने लगी है, जहा सरकार के किसी निति की अपने सभ्य भाषा में आलोचना किया तो आपको लोग एक झुण्ड बनाकर गालियों की बौछार कर देते है। ऐसे ऐसे शब्दों द्वारा आपको नवाज़ा जाने लगता है कि आप खुद शर्म से पानी पानी हो जायेगे। एक अजीब तरह का माहोल बन चूका है जहा कई झुण्ड में आये लोग किसी एक का शिकार करते है और खुद को शेर कहते है। स्थिति ऐसी होती जा रही है कि ये लोग यह तक भूल जाते है कि जिसको वह कुछ अभद्र शब्द का प्रयोग कर रहे है वह कौन है ? आपको कुछ उदहारण देते है।

पहला उदहारण है मेघा पाटेकर का। मेघा पाटेकर ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (अब सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर) के गोडसे को देश भक्त कहने पर एक ट्वीटर पर कहा था कि “राष्ट्रपिता के हत्यारे को देशभक्त कहने वाले राष्ट्र द्रोही हैं, देश उन्हें और उनकी पार्टी को कभी माफ़ नहीं करेगा”। उनके इस बयान के बाद अचानक एक विचारधारा के लोगो ने उनको नक्सली से लेकर देश द्रोही तक की उपाधि दे दिया। नर्मदा बचाओ आन्दोलन से मशहूर मेधा पाटेकर ने तो शायद सपने में भी नही सोचा होगा कि उनकी फजीहत लोग इस तरह करेगे। जमकर गाँधी का विरोध और गोडसे का महिमा बखान होने लगा। गांधी को गलिया देने वाले लोगो की भी उस पोस्ट के कमेन्ट में कमी नही रही। यह एक विचारधारा थी। उसका काम ही लगता है गलिया देना है। आप मेधा पाटेकर के ट्वीट पर इसको देख सकते है।

दूसरा उदहारण देता हु कैलाश सत्यार्थी का। कैलाश सत्यार्थी जिनको नोबेल अवार्ड मिला है। नोबेल अवार्ड पाकर देश का नाम रोशन करने वाले कैलाश सत्यार्थी ने गाँधी के सम्बन्ध में साध्वी के बयान पर एक ट्वीटर पोस्ट लिख दिया। उन्होंने पोस्ट में लिखा कि “गोडसे ने गांधी के शरीर की हत्या की थी, परंतु प्रज्ञा जैसे लोग उनकी आत्मा की हत्या के साथ, अहिंसा,शांति, सहिष्णुता और भारत की आत्मा की हत्या कर रहे हैं।गांधी हर सत्ता और राजनीति से ऊपर हैं।भाजपा नेतृत्व छोटे से फ़ायदे का मोह छोड़ कर उन्हें तत्काल पार्टी से निकाल कर राजधर्म निभाए।“ फिर क्या था, कैलाश सत्यार्थी के इमानदारी पर भी सवाल उठाने वाले अचानक उनके पोस्ट पर झुण्ड बना कर हावी हुवे और जमकर उनकी फजीहत किया। कुछ ने तो उनको धर्म परिवर्तन करवाने वाला मिशनरी तक कह दिया। एक तो उनसे उनकी एनजीओ की आय पूछने लगा। है न विचारधारा, आप खुद ट्वीट में देख ले।

अब आज का ही आपको उदहारण देता हु। आज बालीवुड डायरेक्टर अनुराग कश्यप का एक ट्वीट आया। अनुराग कश्यप सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय बेबाकी के साथ अक्सर सोशल मीडिया पर रखते है, हालाकि अक्सर वह अपनी राय को लेकर ट्रोल भी हो जाते है। उनको कमेन्ट बाक्स में काफी अभद्र शब्दों को भी बर्दाश्त करना होता है। सत्ता के विरोध में अपनी बातो को रखना लोकतंत्र में विचारों की अभिव्यक्ति है। इसकी हमको स्वतंत्रता मिली है। जो गलिया देते है, अभद्र टिप्पणी करते है यह उनके विचारों की अभिवयक्ति है। मगर किसी को अपशब्द कहना अपराधिक कृत्य भी है। आप अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर सकते है मगर आपको शब्द शालीन रखना होगा।

इस ट्वीट के माध्यम से बॉलीवुड डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन कथित फॉलोअर्स से निबटने की सलाह मांगी है। बॉलीवुड डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने अपनी बेटी के इंस्टाग्राम एकाउंट पर कमेंट का एक स्क्रीन शॉट लिया है, और अपने ट्विटर एकाउंट से ट्वीट किया है। अनुराग कश्यप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए ट्वीट किया हैः ‘डियर नरेंद्र मोदी सर। जीत के लिए बधाई और सबको साथ लेकर चलने के संदेश के लिए शुक्रिया। सर प्लीज हमें यह भी बताएं कि आपके इन फॉलोअर्स से कैसे निबटें जो आपकी जीत का जश्न मेरी बेटी को इस तरह धमकाकर दे रहे हैं क्योंकि मेरे विचार आपके विरोध में रहते हैं।’ इस ट्वीट में सबसे बेहूदा लगा वह स्क्रीन शॉट जिसे अनुराग कश्यप ने अपनी बेटी के इन्स्ताग्राम से उठाया है। स्क्रीन शॉट में उनकी बेटी के लिए ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है जिसको आप कभी सोच भी नही सकते है। ये एक अलग विचारधारा है। कहने को यह प्रधानमंत्री के खुद को फालोवर बताते है। मगर शायद यह फालो नही कुछ और ही है।आप खुद देख सकते है ट्वीट में।

एक सबसे शर्मनाक उदहारण देता हु। बच्चे तो बच्चे होते है। चाहे वो हमारे हो या हमारे दुश्मन के। किसी बच्चे की मौत पर इंसानियत रोने लगती है। मगर कुछ ऐसे भी है जो इसको भी धर्म के चश्मे से अब देखने लगे है। मामला पाकिस्तानी क्रिकेटर से जुड़ा हुआ है। पाकिस्तानी क्रिकेटर आसिफ अली की मासूम बच्ची को कैंसर था, वह बच्ची जो नन्ही सी जान थी शायद अपना नाम भी ठीक से नही बोल पाती होगी आखिर कैंसर से जंग हार गई। दर्दनाक घटना है ये। कैंसर से जूझती वह नन्ही जान कैसर से हार कर मौत की नींद हमेशा के लिए सो गई। NDTV क्रिकेट ने इस सम्बन्ध में समाचार प्रकाशित किया। ट्वीटर पर समाचार प्रकाशित होने के बाद एक इंसान जैसे दिखने वाले व्यक्ति ने जो कमेन्ट किया वह इंसानियत पर ही कलंक है। जब सभी उस बच्ची के मौत का मातम मना रहे थे, तभी उस फलोवर ने ऐसी बात लिखा कि देखकर इंसानियत भी शर्मसार हो जायेगी। उसने लिखा कि बधाई हो, दुनिया ने एक और आतंकी खो दिया। भले ही उसके इस ट्वीट के स्क्रीन शॉट वायरल होने और उसकी लानत मलानत होने पर उसने ट्वीट को डिलीट कर दिया मगर उसका स्क्रीन शॉट अब उसकी सोच को ज़ाहिर करता हुआ वायरल हो रहा है।

इस प्रकार की मानसिकता का विकास जो हुआ है उसकी रोकथाम हेतु प्रधानमंत्री को ही प्रयास करना है। नफरत के इस खेती में पड़े राजनैतिक खाद से लहलहा रही नफरतो की फसल को जड़ से खत्म करना प्रधानमंत्री के लिए इस बार एक बड़ी चुनौती होगी। हम आशा करते है कि प्रधानमंत्री जल्द ही इसके लिए पहल करेंगे।

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