कच्चे घरौंदों को बारिश से बचाने की तैयारी

आफ़ताब फ़ारूक़ी

प्रयागराज । इन दिनों जहां लोग उमस भरी गर्मी से परेशान हैं वहीं ग्रमीण बरसात के पानी से बचने के लिए अपने घर की मरम्मत व छप्पर छाने का काम कर रहें है। उनका कहना है कि मिट्टी का घर व खपरे की छत होने से हर साल घर की मरम्मत करनी पड़ती है। कुछ ग्रमीण इन दिनों नया घर बनाने की तैनाती में लगे हैं। वैसे भी अब लगन और वैवाहिक आयोजनों का दौर खत्म हो गया है। अब ग्रामीणों की चिंता बरसात आने से पहले घर की मरम्मत पूरी करना है। इसलिए ग्रामीण इन दिनों घर की छबाई व छप्पर छाने का काम कर रहे हैं।
वहीं कुछ ग्रामीण नया घर या अलग से कमरा बनाए जाने में लगे हैं। इसके पीछे उनका कहना है कि अब बच्चों की शादी तो कर दी , पर उनके रहने का इंतजाम नही हो पाया है। इसलिए उनके लिए अलग से कमरा बना रहे हैं तो कुछ लोग उनके लिए अलग से घर बनाने में लगे हैं। ’पहले से तैयारी’ ग्रामीणों का कहना है कि हम मई में या फिर जून के दूसरे सप्ताह में ही हर हाल में घर की मरम्मत पूरी कर लेना चाहते हैं। क्योंकि बरसात के पहले खेती की तैयारी भी करनी होती है। सामान्यतः जून के तीसरे या अंतिम सप्ताह में बारिश शुरु हो जाती है। इसलिए यह काम हमें जल्द ही पूरा करना होगा।
’नही मिलती मजदूरी’ ग्रामीण छेदीलाल का कहना है कि गर्मी के मौसम में हमें मजदूरी तो मिलती नही है। इसलिए अपने परिवार के साथ घर की मरम्मत में ही लग जाते हैं। इस तरह खाली समय का सदुपयोग हो जाता है और बरसात में होने वाली परेशानी भी दूर हो जाती है। उजागन ने बताया दोपहर को तेज धूप से बचने से हम मरम्मत का काम सुबह 10 से पहले या शाम को 5 बजे के बाद ही करते हैं।


समय लाल ने बताया कि घर बनाने में बड़ी परेशानी पानी की होती है। इसलिए सुबह उठते ही हम सबसे पहले पानी का इंतजाम करने निकल पड़ते हैं। ’हर साल की मरम्मत’ गौरतलब है ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर लोगों का घर मिट्टी से बना होता है ,वहीं छत खपरैल की। इसलिए हर साल उनकी मरम्मत आवश्यक होती है । बंदरो के कारण हर साल खपरैल की मरम्मत जरुरी होती है। ऐसा न करने पर बारिश होने पर छत से पानी टपकने लगता है। इसलिए घर मे बैठने तक कि जगह नही बचती। वहीं पानी टपकने से मिट्टी से बने दीवार के गिरने का भी डर बना रहता है। ऐसा होने पर किसी की जान भी जा सकती है। यही कारण है कि हम हर साल घर की मरम्मत करते हैं।

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