मौसम की मार से बेहाल बलिया के ग्रामीण इलाको में पेट पर पहरा देते बन गए है चक्की कारोबारी हलक के दरोगा

तारिक आज़मी

बलिया। मौसम की मार से पहले ग्रामीण खुद बेहाल थे। जिले के ग्रामीण क्षेत्रो में कई कच्चे मकान बारिश की मार बर्दाश्त नही कर पाए और आंसू की शक्ल में पानी टपकाने लगे। ऐसा लग रहा था जैसे कच्चे मकान बारिश के खौफ से बेसाख्ता रो उठे हो। वही महलों और हवेलियों ने इस बारिश का जमकर लुत्फ़ भी उठाया। बारिश के कहर की सबसे ज्यादा मार गरीबो पर पड़ी ही थी कि हलक के दरोगा बनकर उभरे चंद आंटा चक्की वालो ने गरीबो के पेट की रोटी तक छीनने में कोई कोर कसर नही छोड़ रखा है।

मामला कुछ इस प्रकार से है कि बारिश की मार से सबसे अधिक असर बिजली सप्लाई पर पड़ा। इस वजह से ग्रामीण के कई इलाको में हफ्ते से बिजली नदारद है। ऐसे में जिन परिवार के रसोई में आंटा ख़त्म हो चूका है वह ऐसी चक्की के तरफ रुख करके खड़े हो गए है जिसके यहाँ जेनरेटर की सुविधा उपलब्ध है। ऐसे चक्की वालो की चांदी कट रही है। लोग मिन्नत करके आंटा पिसवा रहे है जिससे घरो में रोटी पक सके।

इस मज़बूरी का फायदा ऐसी आंटा चक्की वाले भी खूब जमकर उठा रहे है। उन्होंने अपनी नियमावली तैयार कर डाली है और गरीबो का गला दबाने का कोई भी मौका नही छोड़ रहे है। पिसाई का दाम दूना किये इन चक्की वालो की सीधी मांग है कि गेहू पिसने के लिए देने के साथ ही अडवांस में पिसाई का पैसा देना होगा तभी गेहू पिसेगा।

ऐसी ही एक चक्की से हम भी रूबरू हो गए। बलिया के बेल्थरा रोड तहसील क्षेत्र के ग्राम मलेरी के आंटा चक्की से। ग्राम में बृजेश बरई पुत्र इनरु बरई की आंटा चक्की है जिसके पास आस पास के क्षेत्र में एकलौता जेनरेटर है। अमीर तो पिसा पिसाया आंटा ले ही लेते है। मगर गरीब किसान कहा जाये। घरो की रसोई में ख़त्म हो रहे आंटा के हेतु बिजली की समस्या झेल रहे इस इलाके के लोग गेहू देकर आंटा पिसवाते है। ऐसे मौके का फायदा भला न उठाया जाये ये कैसे मुमकिन है तो ब्रिजेश बाबु ने तत्काल पिसाई की मजदूरी बढ़ा दिया। साथ में एक शर्त और भी रख दिया है कि आंटा पिसने के लिए गेहू देते समय जो पैसा अडवांस देगा आंटा उसी का पीसा जाएगा वरना गेहू ऐसे ही पड़ा रहेगा।

बृजेश बाबु दिल के भी बड़े मजबूत है और किसी के आंसू इनके दिल को पिघला नही सकता यह बात ये बखूबी जानते है। अब गरीब भले घर में भूखे बच्चो का हवाला देता रहे या फिर पैसे तुरंत न होने की दुहाई देता रहे कि पीस के रखो कल पैसे देकर ले जाऊंगा मगर बृजेश बाबु अपनी जगह से टस से मस होते नही दिखाई दिये। वैसे क्षेत्रीय चर्चाओ को अगर आधार माने तो अक्सर लोग चक्की में बिजली कनेक्शन होने के बावजूद भी कटिया कनेक्शन से चक्की चलाते है। शर्ते अपनी अपनी होती है। पिसवाना है तो पिस्वाओ वरना भूखे रहो मेरी बला से, हम तो यहाँ केवल कमाने के लिए बैठे है।

वैसे बृजेश बाबु को यह भी अच्छी तरह से मालूम है जिसका मुजाहिरा उन्होंने हमारे सामने किया कि यह कोई अपराध नही है जो मैं कर रहा हु। प्रशासन इस मामले में कुछ नही कर सकता है। मैं खुद अपना कारोबार कर रहा हु और मेरी मर्ज़ी मैं अपना माल अथवा सेवा देने का जैसे और जो भी चार्ज करू। प्रशासन मुझे उसके लिए मजबूर नहीं कर सकता है।

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