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असमान से नही उतरेगे 50 ख़राब डॉलर, कांग्रेस ने दिया है इसका मजबूत आधार – डॉ प्रणव मुखर्जी

आफताब फारुकी / आदिल अहमद

नई दिल्ली: अमूमन देखा जाता है कि राजनीत से राष्ट्रपति के पद पर जाने के बाद सक्रिय राजनीत में वापसी नही होती है। मगर कांग्रेस एक तरफ जहा राष्ट्रीय अध्यक्ष के खोज में लगी है वही उसके लिए राहत कुछ दिखाई दे रही है कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रणव मुखर्जी का रुझान एक बार फिर से सक्रिय राजनीत की तरफ दिखाई दे रहा है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी ने एक बयान में कहा है कि आधुनिक भारत की नींव उन संस्थापकों ने रखी थी, जिनका योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में मज़बूत भरोसा था। जैसा आजकल नहीं है, जब योजना आयोग को खत्म कर दिया गया है।

उन्होंने यह वक्तव्य दिल्ली में मावलंकर हॉल स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक कार्यक्रममें दिया। पूर्व राष्ट्रपति ने कार्यक्रम में कहा कि जो लोग 55 साल के कांग्रेस शासन की आलोचना करते हैं, वे यह बात नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि आज़ादी के वक्त भारत कहां था, और हम कितना आगे आ चुके हैं। हां, अन्य लोगों ने भी योगदान दिया, लेकिन आधुनिक भारत की नींव हमारे उन संस्थापकों ने रखी थी, जिन्हें योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में मज़बूती से भरोसा था, जबकि आज ऐसा नहीं है, जब योजना आयोग को ही खत्म कर दिया गया है।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी ने कहा कि जो 50-55 साल के कांग्रेस शासन की आलोचना करते हैं, वे यह भूल जाते हैं कि हमने कहां से शुरू किया था, और कहां जाकर छोड़ा था। अगर भारत की अर्थव्यवस्था को 50 खरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाना है, तो हमने 18 खरब डॉलर की मज़बूत नींव छोड़ी थी, जो लगभग शून्य से शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि भारत को भविष्य में 50 खरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बना पाने की नींव पिछली सरकारों ने रखी थी, जिनमें जवाहरलाल नेहरू, डॉ मनमोहन सिंह और पी. वी. नरसिम्हा राव की सरकारें भी शामिल थीं।

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा है कि वित्तमंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा था कि वर्ष 2024 तक भारत की अर्थव्यवस्था 50 खरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी। लेकिन यह दर्जा आसमान से उतरकर नहीं आएगा। इसके लिए मज़बूत नींव मौजूद है, और उस नींव को अंग्रेज़ों ने नहीं, आज़ादी के बाद हिन्दुस्तानियों ने ही बनाया था। भारत ने तेज़ी से तरक्की की, क्योंकि जवाहरलाल नेहरू तथा अन्य ने आईआईटी, इसरो, आईआईएम, बैंकिंग नेटवर्क आदि की स्थापना की। इसे डॉ मनमोहन सिंह और नरसिम्हा राव द्वारा अर्थव्यवस्था का उदारीकरण करने से भी मदद मिली, जिससे भारत की आर्थिक संभावनाएं बेहद बढ़ गईं। उसी बुनियाद पर वित्तमंत्री आज यह दावा कर सकते हैं कि भारत 50 खरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

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