तारिक आज़मी
नई दिल्ली: हाल ही में केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि मैनुअल स्कैवेंजर्स को काम पर रखने के लिए किसी भी व्यक्ति को दोषी ठहराने या सजा देने के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। अब इसको मौजूदा हालात में देखा जाए तो लगभग हर शहर में आपको मैनुअल स्कैवेंजर्स मिल जायेगे। जी हां, वो आपके मुहल्लों में सीवर की हाथो से सफाई करता शख्स भी एक इंसान है और उसके जैसे काम करने वालो को ही मैनुअल स्कैवेंजर्स कहते है। वर्ष 2013 में इसके लिए विशेष कानून बनाकर ऐसे रोज़गार वालो के पुर्नार्वास का मसौदा तैयार हुआ था। मगर हकीकी ज़िन्दगी के ज़मीन पर वह मसौदा काम नही कर सका और कागजों पर घोड़े जमकर दौड़ रहे है।
साल 2013 में ये कानून आने के बाद से मैनुअल स्कैवेंजिंग यानी कि मैला उठाने के काम को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया था। हालांकि आज भी ये प्रथा समाज में मौजूद है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि सभी नगर निकाय मशीन इस्तेमाल करने के बजाय मैनुअल स्कैवेंजर्स से काम करा रहे हैं। सेप्टिंक टैंक साफ करने, सीवर सफाई जैसे कामों के लिए मैनुअल स्कैवेंजर्स को रखा जाता है। जबकि ऐसा करना पूरी तरह से गैरकानूनी है।
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