आफताब फारुकी
बेंगलोर. मोब लीचिंग सभ्य समाज के नाम पर एक कलंक है। भले शासन के तौर पर बयानों में इस प्रकार की घटनाओ की निंदा हो रही हो और वह भी लगातार हो रही हो, मगर वही दूसरी तरफ घटनाओ के विरोध में कोई ठोस कदम न उठाने से सरकार आलोचकों के निशाने पर है। इसी क्रम में कर्नाटक के प्रख्यात रंगकर्मी एस रघुनंनद ने बीते बुधवार को भगवान और धर्म के नाम पर मॉब लिंचिंग के विरोध में साल 2018 का संगीत नाटक अकादमी सम्मान लेने से मना कर दिया। एक दिन पहले ही इस पुरस्कार की घोषणा की गई थी।
इस पत्र में रघुनंनद ने कहा कि इसके लिए सभी माध्यमों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें इंटरनेट भी शामिल है। उन्होंने दावा किया कि एक व्यवस्था बनाने की कोशिश की जा रही है, जो स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों के छात्रों को घृणा और कुतर्क का पाठ पढ़ाएगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि देश के सत्ताधीशों ने कर्तव्यनिष्ठ बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं की आवाज को दरकिनार कर गरीबों और शक्तिहीनों को चुप कराने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में रही हो, हमेशा से ऐसा ही होता चला आ रहा है। यह कोई विरोध नहीं है। यह निराशा से उठाया गया कदम है। इस पुरस्कार को लेने के लिए मैं समर्थ नहीं हूं। एस। रघुनंदन ने कहा है कि मैं संगीत नाटक अकादमी और उन सभी का सम्मान करता हूं, जिन्हें यह पुरस्कार मिला है और जो इससे पहले इसे प्राप्त कर चुके हैं। मैं अकादमी के सदस्यों को धन्यवाद देना चाहता हूं और इस कदम के लिए माफी मांगता हूं
(इनपुट साभार THEWIRE)
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