सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश की मांग हेतु पड़ी याचिका ख़ारिज किया, याचिकाकर्ता अखिल भारत हिन्दू महासभा से पूछा, आप कौन है ?

तीन सदस्यीय खंडपीठ ने केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश को सही ठहराया कि यह जनहित याचिका प्रायोजित है और ‘सस्ते प्रचार के लिये इसका इस्तेमाल हो रहा है। केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील खारिज करते हुये पीठ ने सवाल किया याचिकाकर्ता से सवाल किया कि ”आप कौन हैं? आप कैसे प्रभावित हैं?

तारिक आज़मी

नई दिल्ली: धार्मिक स्थलों को लेकर चल रही सियासी चालो का सिलसिला आज देश की शीर्ष अदालत ने यह कहते हुवे रोक दिया कि यह सस्ते प्रचार के लिए इस्तेमाल मुदद है और आप कौन है ? मामला शुरू हुआ था सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से। मामले से मिलती जुलती एक और याचिका डाल कर अखिल भारत हिन्दू महासभा की केरल इकाई के अध्यक्ष स्वामी देतात्रेय साई स्वरूप नाथ ने मांग किया था कि मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दिया जाये। इस याचिका पर सुनवाई करते हुवे हाई कोर्ट केरल के तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इसको ख़ारिज कर दिया था।

याचिका ख़ारिज होने के बाद अखिल भारत हिन्दू महासभा की केरल इकाई के अध्यक्ष स्वामी देतात्रेय साई स्वरूप नाथ ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई और केरल हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दिया था। इस याचिका पर सुनवाई करते हुवे सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिदों में नमाज के लिये महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाली इस याचिका को खारिज कर दिया है।

चीफ जस्टिस न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश को सही ठहराया कि यह जनहित याचिका प्रायोजित है और ‘सस्ते प्रचार के लिये इसका इस्तेमाल हो रहा है। केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील खारिज करते हुये पीठ ने सवाल किया याचिकाकर्ता से सवाल किया कि ”आप कौन हैं? आप कैसे प्रभावित हैं? हमारे सामने प्रभावित लोगों को आने दीजिये।

अखिल भारत हिन्दू महासभा की केरल इकाई के अध्यक्ष स्वामी देतात्रेय साई स्वरूप नाथ ने जब न्यायाधीशों के सवालों का जवाब मलयाली भाषा में देने का प्रयास किया तो पीठ ने न्यायालय कक्ष में उपस्थित एक अधिवक्ता से इसका अनुवाद करने का अनुरोध किया। अधिवक्ता ने पीठ के लिये अनुवाद करते हुये कहा कि स्वामी याचिकाकर्ता हैं और उन्हेांने केरल उच्च न्यायालय के 11 अक्टूबर, 2018 के आदेश को चुनौती दी है।

बताते चले कि इस याचिका के बाद अचानक कुछ जगहों पर बेवजह की बहस और डिबेट दिखाने वालो की कमी नही रही। डिबेट में मुख्यरूप से सवाल उठाया जाने लगा कि आखिर मस्जिद में महिलाये क्यों नही जा सकती है। मुख्य मुद्दों से अलग लोगो का ध्यान सिर्फ इस पर टिका रहा कि आखिर ऐसा क्या नियम है। आज इस याचिका को ख़ारिज करके सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि सस्ते प्रचार हेतु इस प्रकार की याचिका डाली गई है।

इनपुट – साभार tv9 भारत

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