कृष्ण जन्माष्टमी के आते ही लोगों के चेहरों पर दिखाई देने लगी खुशी

जाने आखिर क्यों मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी

फारूख हुसैन

लखीमपुर खीरी÷कृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार आते ही जैसे लोगों के चहरे पर खुशी कुछ अलग तरह से ही दिखाई देने लगी हैं बाजारों में भी रौनक दिखाई देने लगी है कोई कृष्ण के लिये झूला खरीदता है तो कोई उनके कपड़े तो कोई कुछ ।मंदिरों को भी सजाया जाने लगा है झाकियों की भी तैय्यारियां की जाने लगी हैं बस चारों ओर रौनक ही दिखाई देने लगी है ।आपको बता दें कि कृष्णजन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जनमोत्स्व है।

योगेश्वर कृष्ण के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।यह हिंदू धर्म का बहुत ही खूबसूरत त्योहार है और इस मौके पर दिखाई जाने वाली झांकिया बरबस ही हर किसी को अपनी ओर आक्रषित कर लेती हैं यह त्योहार इस बार दिन शनीवार चैबिस तारीख सन्र दो हजार उन्नीस को मनाया जायेगा ।

कब और कैसे मनाया जाता है यह त्योहार

हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है. जन्माष्टमी यानी भगवान कृष्ण के जन्म का दिन. जन्माष्टमी का त्यौहार हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. जन्माष्टमी त्योहार की तैयारियां घरों और मंदिरों में दस बारह दिन पहले से ही खूब जोर-शोर से शुरू हो जाती है. लोग जन्माष्टमी के त्यौहार को पूरे जोश और उत्साह से मानते हैं. इस दिन घर, बाज़ार और मंदिर और चारों ओर का वातावरण भगवान श्रीकृष्ण के रंग में ही डूबा रहता है , लोग अपने अपने बच्चों को राधा और कृष्ण के रूप में सजाते हैं वैसे तो भगवान के जन्मस्थल मथुरा है परंतु यह त्योहार आते ही लोग बरबस ही इस ओर आक्रषित हो जाते है और पूरे देश में यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है ।

उल्लेखनीयहै कि हिंदू धर्म में पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने पृथ्वी में बढ़ते पाप और पापियों से अपने भक्तों की रक्षा करने हेतु कृष्ण रूप में अवतार लिया था और यह अवतार कृष्ण के रूप में था जिनका जन्म अष्टमी को मध्यरात्रि बारह बजे देवकी और वासुदेव के पुत्ररूप में हुआ था, श्रीकृष्ण को जन्म माता देवकी ने दिया था लेकिन उनका पालन पोषण माता यशोदा ने किया था ।पुराणों के हिसाब से यह बताया जाता है कि श्रीकृष्ण के मामा कंस को श्राप मिला था की उनका वध माता देवकी की कोख से जन्म लेने वाली उसकी सातवीं संतान करेगी यह जानकर कि एक बार फिर देवकी संतान को जन्म देने वाली है तो बस कंस को अपनी मौत स्पष्ट नज़र आने लगी और उधर मौत के भय से कंस ने देवकी और वासुदेव के छ संतानों को पहले ही मार दिया था कि कहीं इनमें से ही वो संतान न हो, लेकिन जब सातवी संतान हुई तो वह उस संतान को नही मार पाया क्योकि इससे पहले वो उसको मार पाता माता देवकी ने अपनी संतान को वहां से हटा दिया था और यही सातवीं संतान भगवान श्रीकृष्ण थे और इन्ही ने बाद में कंस का वध कर इस दुनिया को उसके पापों से मुक्त किया था इसीलिए भगवान कृष्ण के जन्मदिन को हिंदू धर्म के अनुयायी जन्माष्टमी के पर्व के रूप में मनाते है

परंतु आपको यह जानकारी के लिये बता दें कि क्रष्ण का जन्म जेल में हुआ था क्योकी माता देवकी और वासदेव को वहां बंद रखा गया था ।

छ दिन के बाद मनाई जाती है छठी

जी आपको यह भी बता दे कि यह त्योहार पूरे छ दिन मनाया जाता है और सबसे खाश दिन छ दिन होता है जब भगवान श्रीकृष्ण की छठी मनाई जाती है इस दिन तो मानो लोगों में उत्साह कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन जगह जगह कढ़ी चावल, पूड़ी सब्जी सहित अन्य पकवानों को प्रसाद बांटा जाता है जो हर एक शख्स वह चाहें गरीब हो या फिर अमीर सभी खाते हैं और यह काफी क्रम काफी रात तक चलता है ।

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