अन्नप्राशन दिवस : रीति रिवाजों के माध्यम से दी पोषण की जानकारी

संजय ठाकुर

मऊ – बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की गतिविधियों के तहत जिले के परदहां ब्लाक के अंतर्गत सभी  आंगनबाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर लाभार्थियों को स्वास्थ्य एवं पोषाहार की जानकारी दी गयी।

परदहां ब्लाक की मुख्य सेविका गीता तिवारी ने बताया ब्लाक के 212 आंगनबाड़ी केंद्रों पर अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया गया। छः माह के हो चुके शिशुओं को खीर व हलवा खिलाकर इसकी शुरुआत की गई तथा धात्री महिलाओं को पूरक पोषाहार के विषय में एवं साफ-सफाई के बारे में जानकारी दी गई। सभी माताओं को बताया अनुपूरक आहार शिशु के आने वाले जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। छः माह से दो वर्ष तक के बच्चों के लिए अनुपूरक आहार अति आवश्यक है स्तनपान के साथ पूर्ण रूप से अनुपूरक आहार प्राप्त हो रहा है।

सीडीपीओ दिनेश राजपूत ने बताया छह माह तक शिशु का वजन लगभग दो गुना बढ़ जाता है एवं एक वर्ष पूरा होने तक वजन लगभग तीन गुना एवं लंबाई जन्म से लगभग डेढ़ गुना बढ़ जाती है। इसके लिए अतिरिक्त पोषक आहार की जरूरत होती है। इसलिए छः माह के बाद शिशुओं के लिए स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार देना जरुरी है। बच्चों को पूरक आहार में छः माह से आठ माह के बच्चों के लिए नरम दाल, दलिया, दाल-चावल, दाल में रोटी मसलकर अर्ध ठोस (चम्मच से गिराने पर सरके, बहे नहीं), खूब मसल कर साग एवं फल प्रतिदिन दो बार, दो से तीन भरे हुए चम्मच से देना चाहिए। ऐसे ही नौ माह से ग्यारह माह तक के बच्चों को प्रतिदिन, तीन से चार बार एवं बारह माह से दो वर्ष की अवधि में घर का पका पूरा खाना एवं धुले एवं कटे फल को प्रतिदिन भोजन एवं नाश्ते में देना चाहिए। समेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत छः वर्ष से कम आयु के बच्चों के बेहतर पोषण के लिए पोषाहार वितरित किया जाता है।

सीडीपीओ ने आगे बतायापूरक पोषाहार के विषय में सामुदायिक जागरूकता के अभाव में बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं। इससे बच्चे की शारीरिक विकास के साथ मानसिक विकास भी अवरुद्ध होता है एवं अति कुपोषित होने से शिशु मृत्यु दर में भी बढ़ोतरी होती है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) दुर्गेश कुमार ने बताया इस कार्यक्रम से सरकार का मुख्य उद्देश समाज के रीति-रिवाजों के माध्यम से पोषण अभियान को जोड़ कर समाज को जागरुक करना है। उन्होने बताया जिलाधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी ने पोषण अभियान के तहत सभी अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया है कि कुपोषित बच्चों को पुष्टाहार देकर कुपोषण मुक्त बनाएं, साथ ही गर्भवती महिलाओं के खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाए।

नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे-4 (2015-16) के अनुसार जिले में 6-8 महीने के 48.9 फीसदी बच्चे अर्ध-ठोस भोजन प्राप्त करते हैं। वहीं कुल 6 माह से 23 माह तक 10.1 फीसदी बच्चों को अनुपूरक आहार प्राप्त हुआ है।  6 माह से 23 माह तक के स्तनपान करने वाले 10.7 फीसदी बच्चों को अनुपूरक आहार प्राप्त हुआ है।

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