तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – ओह,…तो इसलिए हटाया धारा 370

वैसे ये लगभग ऐसी ही स्थिति है कि मोहल्ले में पडोसी के घर बेटा होता है। सारा उसका परिवार घर पर ताला बंद कर अस्पताल में है, मगर मोहल्ले में जुम्मन मिया खुशियों में मिठाइयाँ तकसीम कर रहे है। पटाखे फोड रहे है।

तारिक आज़मी

जम्मू कश्मीर में धारा 370 खत्म होने के बाद से सोशल मीडिया पर अचानक कश्मीर में ज़मीन बेचने वाले और खरीदने वालो की एक जमात खडी हो गई है। कुछ ने तो बाकायदा मैरेज ब्यूरो तक खोलने का सपना पाल रखा है। एक पोस्ट देखा था जिसमे सीधे सीधे किश्तों में कश्मीर में प्लाट देने का मजाक बनाया जा रहा था। हर बात को राजनैतिक विचारधारा और कुंठित मानसिकता से देखने वालो की कमी कब रही है सोशल मीडिया पर जो आज रहेगी।

ज़मीनी हकीकत तो ये है कि कश्मीर में 370 हटने का नफा जो सरकार गिनवा रही है वह होना कश्मीर को है। मगर सोशल मीडिया और ज़मीन से जुड़े गली नुक्कड़ पर एक भीड़ ऐसी भी है जो इसकी खुशियों को मना रही है। वैसे ये लगभग ऐसी ही स्थिति है कि मोहल्ले में पडोसी के घर बेटा होता है। सारा उसका परिवार घर पर ताला बंद कर अस्पताल में है, मगर मोहल्ले में जुम्मन मिया खुशियों में मिठाइयाँ तकसीम कर रहे है। पटाखे फोड रहे है।

खैर साहब, क्या करना है। प्रशासन और शासन लाख हिदायते देती रहे कि आप कोई ऐसी प्रतिक्रिया न करे जिससे किसी की भावना को ठेस पहुचे, मगर लोग है कि भावना की संभावनाओ को तलाशते हुवे बेगानी शादी में डांस तो पूरा करने को बेताब है। मैं सरकार के हर फैसले पर कटाक्ष करता रहता हु। शायद यही वजह है कि खलिहर बैठे ट्रोलर्स के निशाने पर भी आ जाता हु। आज पहली बार सरकार के किसी फैसले पर मैं कोई भी पक्ष अथवा विपक्ष में प्रतिक्रिया नही देना चाहता हु। हकीकत ये है कि सरकार द्वारा लिए गये फैसले को अभी समझने में थोडा मुझे अथवा किसी भी समझदार लेखक को वक्त चाहिए। इसकी हकीकत हफ्ते दस दिनों में सामने तब आएगी जब कश्मीर में हालात सामान्य होने लगेगे। दूसरी बात भले लोगो ने सोशल मीडिया पर वायरल होता सरकारी कागज़ पढ़ा हो, मगर एक सच तो ये भी है कि हमारे पास जानकारी केवल इतनी है कि पहले क्या था और अब क्या होगा ? इससे अतिरिक्त जानकारी को समझने का भी वक्त चाहिए।

बहरहाल, हम सरकार के इस फैसले का स्वागत तो अभी कर ही सकते है। भले आलोचक इसके सम्बन्ध में कुछ भी कहे और वह आलोचना करते रहे, वैसे कहने वाले तो मुझको भी आलोचक की श्रेणी में ही रखते है। मगर इस बार न आलोचना न समालोचना, क्योकि हकीकत ये है कि मैं कल से लोगो की हालात देख रहा हु सरकार के इस फैसले को समझने का समय ही नहीं मिला। हां मुझको रविश कुमार के एक लेख में एक बात पसंद आई कि आप कुछ ऐसा न कहे अथवा ऐसा सोशल मीडिया पर न लिखे जिससे कश्मीर के मूलनिवासियों को ये लगे कि आप उनको चिढ़ा रहे हो। बात समझ में आने वाली है।

मगर हालात तो साहब ऐसे है कि पूछे न। जिसके लिए फैसले लिए गये वहा के अभी क्या हालात है ? उनकी क्या प्रतिक्रिया है अथवा उनका क्या नजरिया है ये सिर्फ रब जाने या फिर वह खुद जाने, क्योकि अभी तक जम्मू कश्मीर के कई हिस्सों में फोन और इंटरनेट सुविधा बहाल नही हुई है। वहा से किसी भी तरह की कोई प्रतिक्रिया नही आ पा रही है। जो जानकारी है वह जम्मू के आसपास की लगभग की है। रविश कुमार के ब्लाग का आज ही टायटल रहा है जो अभी के हालात पर रोमन मैग्सेसे पुरूस्कार अपने नाम करने वाले निष्पक्ष लेखक का सटीक निशाने पर स्पष्टवादिता के साथ था कि “ताले में बंद कश्मीर और जश्न मना रहा है मुल्क।”

अब कोई इस बात पर बहस न करने बैठ जाये कि ये मुल्क नही देश है। भाई पहले ही बता देता हु कुछ बेमतलब की बहस करने वालो की कमी नही है। एक ने बहस मुझसे कर डाला था कि ये मुल्क नही देश है। आप भले से मुस्कुरा रहे है मगर जिस समय वह शख्स मुझसे सोशल मीडिया पर बहस कर रहा था और कुतर्को से पूरा पेज भर डाला था उस वक्त मुस्कराहट के बीच झुंझलाहट भी थी मेरे चेहरे पर।

बहरहाल, 370 कश्मीर से हट चुकी है। देश में हर तरफ खुशिया मनाई जा रही है। अब सब समस्या का समाधान हो जायेगा। वैसे भी पिछले चार पांच दिनों की सुर्खियों पर नज़र डाले तो वापस हमारा दिमाग फिर वही फ़िज़ूल की बातो की तरफ जा रहा था। वही बेकार की बाते कि देश में बेरोज़गारी बढ़ रही है। वही बेकार की बात थी कि मोबाइल सेक्टर बर्बाद हो गया है और लगभग 2।50 लाख लोग बेरोजगार हो गये है, आटोमोबाइल सेक्टर भी बड़े नुकसान के तरफ है और 3 लाख लोग बेरोजगार हो गये है। सबसे ज्यादा तो ये था कि रेलवे में 3 लाख लोगों की छंटनी हो सकती है। कुछ रिपोर्ट तो ये भी कह रही थी कि स्टील, खनन समेत आठ कोर सेक्टर मंदी की चपेट में आ चुके है। बेरोज़गारी बढेगी। आर्थिक बदहाली पर बाते करके लोगो का वक्त बेकार का ज़ाया हो रहा था, लोग आर्थिक बदहाली पर बात करने लगे थे। कह रहे थे कि नोटबंदी-जीएसटी फ्लाप शो तो नही है। नोटबंदी और जीएसटी पर चर्चा भी लोग करने लगे थे।

अब यह सब समस्या का समाधान एक साथ हो जायेगा। महीनो तक अब 370 पर बहस चलेगी। जमकर सोशल मीडिया पर कश्मीर की घाटियों में ज़मीने खरीदने के दावे होंगे। कुछ तो अभी से मैरेज ब्यूरो खोल रहे है, उनका बस चला तो कश्मीर में एक भी लड़का लड़की कुवारे नहीं बचेगे, सबकी शादियाँ ये फेसबुक के फेकबकिया करवा कर मानेगे। अब बेरोजगारी, बदहाली, कुपोषण, बाढ़, सूखा जैसी समस्याओं का तो दो दिनों में निदान हो जायेगा। ये सब समस्या का मूल ऐसा लग रहा है जैसे कश्मीर का 370 आर्टिकल ही था। को भूल जायें अब सभी समस्याओ को।

इस सबके बीच कोई सवाल न करे, अगर आपने सवाल किया तो सीधा मतलब है कि आपकी देशभक्ति सवालों के घेरे में है। आप वह सवाल कर रहे हैं, जिसके जवाब से दुश्मन देश को फायदा होगा। बस यही चर्चा करते रहिये घाटी में क्या होगा। और अंत में राष्ट्रीय सुरक्षा तो है ही। ये तो आप एकदम न पूछियेगा कि सरकार आर्थिक बदहाली को थामने के लिए क्या कर रही है ? सूखा और बाढ़ से निपटने के लिये क्या कोशिश की जा रही है ? रोजगार पैदा करने के लिए क्या किया जा रहा है ? ये सब समस्या तो अब चुटकियो में कभी भी हल हो जायेगी। बस 370 ख़त्म हुआ है। इस सब समस्या के पीछे तो यही मूल कारण था। अब कारण हल हो गया है। तैयारी करे आप कश्मीर में प्लाट खरीदने की। चेखुर के चाचा ने तो कह दिया है कि बहुत दिन यहाँ पर पकौड़ी का ठेला लगाया है। अब जाकर कश्मीर में एक शिकारा खरीदेगे और वहा सिखारे पर बनारसी पान लगा कर हम बेचेगे।

जुम्मन मिया तो अभी से पैजामे का नारा सब तलाश रहे है, वो सोच के बैठे है कि फतेहपुर के गाव में जो दो कट्टा खेती वाली जमीन है उसको बेच देंगे और कश्मीर में जाकर सेब का एक बाग़ खरीदेगे। मिया खयाली पुलाव पकाने में कौन सी मेहनत और मशक्कत करना है। बेरोज़गारी, घटता कारोबार, गिरती अर्थव्यवस्था सब छोडिये साहब। कुपोषण तो बिहार में दिखाई दिया था न चमकी बुखार के मामले में। अब तो नही है। अब वहा के कुपोषण को अगले साल देखा जायेगा। अभी तो फेसबुक पर प्रापर्टी बेचने का कारोबार शुरू कर दिया जाये।

कल एक की पोस्ट देखा था फेसबुक पर, दो लाइन उन सज्जन के लिये अवश्य बनती है क्योकि उन्होंने तो नया कारोबार शुरू कर दिया था। मैरेज ब्यूरो का कारोबार। भले खुद की शादी के लिए शादी वाला से मिलकर उनको खुद की शादी के लिए एक अदद लड़की के लिए खुशामद कर रहे हो और वह कहे कि खलिहर को कोई लड़की नही मिलेगी, मगर उन्होंने तो पुरे कश्मीर के शादी का ठेका ले रखा था। चाय की दूकान पर उधार की चाय पीकर उधारी की सिगरेट का धुआ उड़ाते हुवे हाथो में पिता के मेहनत की कमाई को फिजूल में खर्च करके महंगा मोबाइल लेकर लोग ज़मीन कई एकड़ कश्मीर में खरीदने की बात कर सकते है।

खैर साहब, लगे रहे, सभी समस्याओं का निस्तारण अब हो जायेगा, 370 अब कश्मीर में हट गई है तो सब समस्या का निस्तारण हो जायेगा। मगर एक बात अब सीरियस कहता हु। देश हमारा अखंड था, अखंड है और अखंड रहेगा। भले कुछ लोग इसको फिरको और धर्मो में बाटने की कोशिश करे मगर ध्यान रहे इलाहाबाद में सिर्फ नदिया गले नही मिलती है मज़हब भी गले मिलते है। आज भी देश में कई बिस्मिल्लाह खान है जो संकटमोचन मंदिर में संगीत साधना करते है। यही नही कई कई कुमार है जो मेरी झोली को भर दे ई खुदा सदके मुहम्मद के का कौल जुबां से बयान करके मुल्क में एकता का परचम लिए खड़े है।

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