इस बार कहर बरपा सकती है बाढ़, खतरे का निशान पार करेगा पानी

तारिक खान

प्रयागराज। इस बार गंगा और यमुना में बाढ़ का पानी कहर बरपाएगा। जिस रफ्तार से दोनों नदियों का पानी बढ़ रहा है, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि जलस्तर खतरे का निशान पार करेगा। इससे जिले में दोनों नदियों के निचले इलाके में तबाही की आशंका है। मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, पश्चिमी उप्र व बुंदेलखंड में बारिश का पानी प्रयागराज में गंगा और यमुना के जलस्तर पर असर डाल रहा है।

बरियारपुर डैम से पिछले छह दिनों में पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया

दरअसल, मध्य प्रदेश में केन नदी पर बने बरियारपुर डैम से पिछले छह दिनों में पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसका असर गुरुवार से अब तक दिख रहा था। इसी तरह बेतवा नदी के माताटीला डैम से चार दिनों के दौरान छह लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसका असर यहां पर शनिवार शाम से दिख रहा है। धसान नदी पर बने लाचूरा डैम से भी दो लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया था, जिसका असर यहां पर दिख रहा है। चंबल नदी का पानी भी आ रहा है। हरियाणा स्थित हथिनीकुंड बैराज से भी कई दफा पानी छोड़ा गया था। रविवार को भी हथिनीकुंड से 8.24 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिसका असर यहां पर तीन-चार दिन बाद दिखेगा।

एक नजर इधर भी

  • 8.24 लाख क्यूसेक पानी रविवार को हथिनीकुंड बांध से छोड़ा गया जिसका असर तीन दिन बाद दिखेगा
  • 11.25 लाख पानी केन, बेतवा, धसान, चंबल के बांधों से छोड़ा गया था, जिसका दिख रहा प्रभाव
  • 6.55 लाख क्यूसेक पानी टिहरी, नरौरा से भी छोड़ा गया है, जिसका प्रभाव प्रयागराज में दिखने लगा
  • 86 मीटर तक जा सकता है इस बार बाढ़ का पानी, निचले इलाकों में बाढ़ से तबाही की आशंका
  • केन, बेतवा, धसान व चंबल नदियों के पानी का असर कुछ दिन रहेगा

मतलब साफ है कि केन, बेतवा, धसान व चंबल नदियों के पानी का असर अगले तीन दिन तक यहां रहेगा और इसके आगे हथिनीकुंड का पानी आ जाएगा। जानकारों का मानना है कि इस पानी से यहां गंगा व यमुना का जल स्तर 86 मीटर तक पहुंच सकता है। इस दौरान यदि यहां पर बारिश हो गई तो स्थिति और खराब हो जाएगी।

अक्षयवट का द्वार बंद, दर्शन नहीं

गंगा और यमुना में बाढ़ के कारण किला स्थित अक्षयवट का द्वार बंद हो गया। इससे अब पवित्र वटवृक्ष के दर्शन नहीं हो सकेंगे। रविवार शाम को अक्षयवट के मुख्य द्वार पर बाढ़ का पानी आ गया, जिसके कारण द्वार बंद कर दिया गया। गंगा-यमुना का जलस्तर घटने के बाद ही अब अक्षयवट के दर्शन हो सकेंगे।

अफसरों ने बाढग़्रस्त क्षेत्र का किया दौरा

अधिकारियों की टीम दिन और रात में भी बाढग़्रस्त इलाकों का दौरा कर रही है। एसडीएम सदर गौरव रंजन श्रीवास्तव और तहसीलदार अरविंद मिश्रा ने टीम के साथ बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने बाढ़ राहत चौकियों का भी निरीक्षण किया और वहां पर सभी आवश्यक इंतजाम के निर्देश दिए।

शासन को भेजी गई रिपोर्ट

जिला प्रशासन की ओर से रविवार रात को गंगा और यमुना में आई बाढ़ की रिपोर्ट शासन को भेजी गई। इसमें दोनों नदियों में जल स्तर बढऩे तथा प्रभावित इलाकों में राहत कार्य के बारे में पूरी सूचना दी गई है। एडीएम सिटी ने बताया कि बाढ़ की आशंका के मद्देनजर शासन को रिपोर्ट भेजी गई है।

बाढ़ नियंत्रण कक्ष में की बैठक

संगम के पास बांध पर बनाए गए बाढ़ नियंत्रण कक्ष में सिंचाई विभाग फ्लड डिवीजन के अधिशासी अभियंता बृजेश कुमार ने मातहत अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान बाढ़ की स्थिति का आंकलन किया गया। आने समय में जलस्तर की स्थिति की रिपोर्ट भी तैयार की गई।

परेड में रोक दिए गए वाहन

रविवार से संगम की ओर जाने वाले सभी वाहन बांध के नीचे ही परेड में रोक दिए जा रहे हैं। पुलिस ने बांध के नीचे ही बैरिकेडिंग कर दी है। संगम की तरफ बांध के नीचे पानी चढऩे के कारण उस इलाके को नो व्हेकिल जोन घोषित कर दिया गया है। यही नहीं घाटों पर गोताखोरों को भी तैनात कर दिया गया है।

बांध पर आ गईं दुकानें, तीर्थ पुरोहितों ने समेटे सामान

संगम क्षेत्र में स्थित प्रसाद आदि की दुकानें बांध पर आ गईं हैं। तीर्थ पुरोहित भी अपने सामान समेट कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए हैं। रविवार को दिन भर तीर्थ पुरोहित अपने सामानों को समेटते रहे। इस दौरान संगम क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल रहा।

झूंसी के तटीय इलाकों में अफरा-तफरी

गंगा का जलस्तर तेजी से बढऩे के कारण तटीय गांवों में अफरा-तफरी मच गई है। झूंसी-गारापुर मार्ग पर बदरा गांव के सामने बनी पुलिया के आगे तक बाढ़ का पानी पहुंच गया। बाढ़ को देखते हुए मुंसी का पूरा, लपेटुआ, बदरा, सोनौटी, नींबी भदकार व छतनाग के तटीय गांवों में हड़कंप मचा हुआ है।

अब मोरी गेट को भी बंद किया गया

प्रयागराज में बाढ़ का खतरा बढऩे पर दारागंज स्थित मोरी गेट भी बंद कर दिया गया है। इसके पहले बक्शी बांध स्थित स्लूज गेट बंद किया गया था। जलस्तर और बढऩे पर अब चाचर नाले का गेट बंद कराया जाएगा। गंगा का जलस्तर 81 मीटर के ऊपर जाने के बाद मोरी गेट को बंद करने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। गेट के पास रेत की बोरियां रखवा दी गई थीं। देर रात मोरी गेट बंद कर दिया गया। अब चाचर नाले के गेट को बंद किया जाएगा। यह तभी होगा, जब जलस्तर 83 मीटर से अधिक होगा। जलकल विभाग के महाप्रबंधक रतन लाल का कहना है कि अब पंपों के माध्यम से नालों का पानी नदी में छोड़ा जाएगा।

बाढ़ का नजारा देखने पुलों पर जुटे लोग, पिकनिक सा माहौल

गंगा-यमुना के जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोतरी से स्थिति और हो गई है। बाढ़ का पानी अब तेजी से आबादी की ओर बढ़ रहा है। इस बीच रविवार के बाद सोमवार को भी बड़ी संख्या में लोग बाढ़ देखने के लिए निकले। फाफामऊ स्थित कर्जन ब्रिज पर सुबह से लोगों की भीड़ जुटी रही। उधर, बक्शी बांध पर भी बाढ़ देखने के लिए शाम को काफी लोग पहुंचे। नए यमुना पुल पर भी लोगों की भीड़ बढ़ गई है। नैनी में अरैल मार्ग पर भी दिनभर लोगों की भीड़ जुटी रही। वहीं मिंटो पार्क के आसपास मेले जैसे माहौल है। पिकनिक जैसा माहौल हो गया है। खाने-पीने की वहां दुकानें भी लग गई है।

गंगा-यमुना में 16 को नाविकों ने बचाया, 285 मवेशी लापता

गंगा और यमुना में बाढ़ का कहर शुरू हो चुका है। करछना के रवनिका में चार युवक गंगा में स्नान के दौरान रविवार को बहने लगे। मछुआओं ने उन्हें बचा लिया। रत्नेश, सिद्धू यादव, परमेश्वर व बिल्ला घाट के किनारे पेड़ से पानी में कूद रहे थे तभी वे धारा में बहने लगे थे। इसी तरह करछना के लकटहा में भी रामजियावन, कदमराज, बबलू, नीलेश, जयकरन, देवतादीन भी रविवार दोपहर स्नान के दौरान डूबने लगे थे, जिन्हें स्थानीय लोगों ने बचा लिया। उधर, रामपुर में भी दो युवतियां डूबने लगी थीं जिन्हें मछुआरों ने बचाया। दुमदुमा तथा पकरी में भी चार लोग बह गए थे, जिन्हें बचा लिया गया है। वहीं जिले में गंगा और यमुना किनारे के गांवों में पालकों के 285 मवेशी बाढ़ के पानी में बह गए। बताते हैं कि रात में पानी बढऩे पर ये मवेशी बह गए। पशुपालक मवेशियों की तलाश में भटकते रहे।

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