मौसम बदलने पर होता है वायरल बुखार

फारुख हुसैन

पलिया कलां खीरी. पलिया ही नहीं पूरा तराई इलाका इन दिनों बुखार की चपेट में है जिसको देखो उसे ही वायरल बुखार अपनी चपेट में ले चुका है! वायरल बुखार वायरस से होने वाला संक्रमण है। आमतौर पर इसका प्रभाव मौसम बदलने पर फ्लू के रूप में देखने को मिलता है। बच्चे इसकी गिरफ्त में आसानी से आ जाते हैं। संक्रमित व्यक्ति के छींकने और खांसने से हवा में फैलने वाले वायरस के संपर्क में आने से यह दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक संपर्क में आने से भी यह फैल सकता है। मौसम बदलने के दौरान वायरल बुखार के मामले अधिक सामने आते हैं।

कैसे पता लगा सकते हैं कि बच्चे को वायरल बुखार हुआ है

आमतौर पर इसका पहला लक्षण ठंड लगने के रूप में सामने आता है। दूसरा इसमें बुखार 102 से 103 डिग्री तक पहुंच सकता है। बुखार से पीड़ित बच्चे को शरीर में दर्द, खासतौर पर पीठ और पैरों में दर्द की शिकायत भी होती है। वायरस के आधार पर वायरल इन्फेक्शन कई तरह का हो सकता है।

बच्चे को वायरल बुखार से कैसे बचाया जा सकता है?

बच्चे को वायरल बुखार से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क से दूर रखें। यदि किसी को जुकाम, खांसी या बुखार है तो उन्हें छींकते और खांसते समय टिश्यू पेपर या रुमाल इस्तेमाल करने को कहें। बच्चों के हाथ की सफाई का नियमित ध्यान रखें। यदि किसी को उल्टी या दस्त की शिकायत है तो बच्चों की हाइजीन का खास ध्यान रखने की जरूरत होगी।

वायरल बुखार और बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण में क्या अंतर होता है?

बैक्टीरिया का संक्रमण होने से त्वचा पर लाली, त्वचा का गर्म होना, सूजन आना और शरीर के किसी एक हिस्से में दर्द की शिकायत जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। उदाहरण के लिए यदि आपके बच्चे को गले में बैक्टीरिया से इन्फेक्शन हुआ है तो यह संभावना अधिक होगी कि बच्चे को गले के एक हिस्से में दर्द भी होगा।

बैक्टीरियल इन्फेक्शन का उपचार खास एंटीबायटिक दवाओं से किया जाता है, जो संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया को खत्म करती हैं। दूसरी तरफ वायरल इन्फेक्शन का असर एक समय में शरीर के कई भागों में देखने को मिलता है। यदि बच्चे को वायरल इन्फेक्शन हुआ है तो उसे नाक बहने, खांसी होने और शरीर में दर्द जैसी शिकायत हो सकती है। जुकाम और फ्लू में एंटीबायटिक दवाएं कोई असर नहीं दिखातीं।

इनका भी रखें ध्यान

जल-जनित रोग – आंतों और पेट में जलन, पीलिया, टायफाइड आदि

बचने के लिए: उबला हुआ या क्लोरिनेटेड पानी पिएं। घर से बाहर होने पर बोतलबंद पानी पिएं।

खुले कटे हुए फल व सब्जियां खरीद कर न खाएं। घर में ताजा बनी हुई चीजें खाएं। बासी भोजन न खाएं।

खाने से पहले और बाद में तथा शौच के बाद नियमित रूप से हाथ धोएं।

हवा जनित रोग

सामान्य जुकाम व वायरल संक्रमण

बचने के लिए: खांसते और छींकते समय मुंह को ढंक कर रखें।

रुमाल की जगह टिश्यू पेपर रखें। इस्तेमाल के बाद उसे तुरंत फेंक दें।

रोगी व्यक्ति के साथ खाना, पानी और कपड़े शेयर न करें।

नियमित रुटीन में हाइजीन का ध्यान रखें।

मच्छर जनित रोग

डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया

बचने के लिए

घर के बाहर पानी जमा न होने दें।

अपने आसपास सफाई रखें।

अनावश्यक गमले और बोतलें हटा दें।

मच्छरों से बचाने वाली दवाएं, क्रीम और स्प्रे का इस्तेमाल करें।

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