सेल्फी से अटेंडेंस की खिलाफत में आये शिक्षक, कहा मैं सेल्फी नही दुगा तुम देखते रहियो

आदिल अहमद

लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्राइमरी टीचरों के लिए यह एक लॉन्च किया है। सरकार को लगता है कि इससे टीचरों के काम में पारदर्शिता आएगी। प्राइमरी शिक्षकों से शिकायत है कि तमाम शिक्षक वक्त पर स्कूल नहीं जाते, तमाम शिक्षक रोजाना स्कूल नहीं जाते, तमाम शिक्षक बिल्कुल स्कूल नहीं जाते, तमाम शिक्षक अपनी जगह मामूली पैसों पर किसी और से पढ़वाते हैं। रोज़ न जाने वालों में महिलाएं भी शामिल हैं। इसलिए यह ऐप ज़रूरी है।

इस एप के माध्यम से शिक्षको को रोज़ दिन में तीन बार सेल्फी डालना है जिसके बैक ग्राउंड में स्कूल आना चाहिए। इस नियम के बाद प्रदेश में शिक्षको ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। इस विरोध के क्रम में उनका कहना है कि यह शिक्षको को बदनाम करना है। आप सांसदों, विधायको तथा जिलाधिकारी से सेल्फी ले। नियम केवल शिक्षको के लिए ही क्यों लाया गया है। एक शिक्षिका ने तो यहाँ तक कह दिया है कि मैं सेल्फी नही दूंगी, तुम देखते रहियो,

इस बीच प्राइमरी शिक्षक सेल्फी से हाजिरी देने के खिलाफ सड़कों पर भी उतर आए हैं। उनका कहना हैं कि जब सांसद, एमएलए, डीएम, एसपी किसी की सेल्फी से हाजिरी नहीं होती तो सिर्फ़ उनकी क्यों? सरकार उन्हें विलेन बना रही है। लेकिन सरकार कहती है कि शिक्षक पढ़ाने नहीं जाते इसलिए यह ज़रूरी है।

बताते चले कि अब प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों को स्कूल आने का सबूत सेल्फी के जरिए देना होगा, वह भी सुबह-दोपहर-शाम तीन बार। सेल्फी फोटो शॉप न की जा सके इसलिए हर टीचर को सुबह स्कूल आने पर बच्चों के साथ सेल्फी दोपहर में बच्चों को मिड डे मील खिलाते हुए सेल्फी और शाम को छुट्टी के वक़्त स्कूल से निकलते बच्चों के साथ सेल्फी भेजनी होगी। हर सेल्फी में बैकग्राउंड में स्कूल भी दिखना चाहिए।

सेल्फी हाज़िरी के खिलाफ शिक्षकों ने पूरे उत्तर प्रदेश में आंदोलन शुरू कर दिया है। आज हर जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी के दफ़्तर पर सारे दिन प्रदर्शन होता रहा। बलरामपुर में इसके खिलाफ हेडमास्टर की जिम्मेदारी निभाने वाले 120 शिक्षकों ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया।

शिक्षक कहते हैं की सरकारी स्कूलों में तमाम स्कूलों में सिर्फ एक टीचर है। शौचालय की कमी है। शौचालय साफ करने को कोई कर्मचारी नहीं है। मेज कुर्सी नहीं है। बच्चे जमीन पर बैठते हैं। तमाम जगह लाइट नहीं है, पंखे नहीं हैं। यह सारी समस्याएं सिर्फ़ सेल्फी से दूर नहीं होंगी। लखनऊ के मंतरा प्राथमिक शिक्षक संघ के ज्ञान प्रताप सिंह ने कहा कि बेसिक शिक्षा में गुणवत्ता का पतन हो रहा है। इसके लिए ज़िम्मेदार शिक्षकों को बना रहे हैं। आज भी आप देखिए ऐप हमारे लिए लाया जा रहा है।

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