110 मीटर पास हुई इंटरलाकिंग और बनी केवल 80 मीटर, प्रधान जी बोले मीडियाकर्मी से आप ज़मीन बराबर करके दे दो, हम करवा देंगे इंटरलाकिंग

मुकेश यादव

मधुबन (मऊ): एक समय था कि लोग मीडिया कर्मियों से अपनी समस्याओ को हल करवाने के लिए खबर लिखने को कहते थे। वैसे तो कहे न कहे मीडिया खबर अपने हिसाब से लिख ही लेती है। आज एक समय ऐसा आ गया है कि गाव की गवई राजनीत करने वाले प्रधान जी को आशा है कि हम उनके यहाँ उनके खुद के द्वारा 30 मीटर कम इंटरलाकिंग करवाने के कारण को पूछने पर कह देते है कि ज़मीन बराबर करवा कर आप दे दो, हम उसके ऊपर इंटरलाकिंग करवा देंगे। कहने में मुझे जा प्रकरण इतना अटपटा लग रहा है तो आप समझ ले कि फिर मौके पर कैसा महसूस हुआ होगा।

मामला मधुबन तहसील क्षेत्र के बेलौली (भोजीपुरा) का कुछ इस तरह है कि तहसील क्षेत्र अंतर्गत बेलौली भोजीपुरा (बसंटोला) गांव में 110 मीटर का इंटरलाकिंग पास हुआ। जिसमें 80 मीटर बनाकर ही अधूरा छोड़ दिया गया। क्योंकि  वहां की जमीन उबड़खाबड़ एवं गड्ढा युक्त थी। प्रधान जी उसको बराबर करा कर  इंटरलॉकिंग करा सकते थे। लेकिन  नहीं कराया। क्योंकि  वहा माटी लगेगा। गिट्टी लगेगी, पाटने में तो बड़ा खर्चा हो जायेगा। अब 20 मीटर की ही तो बात है। चला लेंगे कागजों पर घोडा। कौन सा जनता जानती है। अगर जानती भी है तो क्या फर्क पड़ता है। चुनाव के वक्त मच्कुच कहकर अगले कार्यकाल में काम करवा देने का वायदा कर देंगे। अब वायदा तो वायदा होता है साहब, कोई कसम थोड़ी न है जो पूरी करना ही करना है।

इसलिए प्रधान जी ने अपने नुमाइंदो की बात के अनुसार उन्हीं के घर के बगल की गली में 30 मीटर इंटरलॉकिंग लगा दिए। जिससे उनकी वोट की राजनीति भी हो गई और कोई पूछने वाला भी नही बचा। 10 वर्षों के बाद  जोरदार बारिश के वजह से रास्ते के बीच में पानी लगा हुआ है। तो क्या फर्क पड़ता है चुनाव में कह देंगे कि अगले कार्यकाल में यहाँ बड़ा वाला काम करवा दिया जायेगा। जनता भी खुश और प्रधान जी भी खुश।

अब जनता इस पानी में प्रवेश कर घर जा रही है। उसको समझा दिया जायेगा कि दूर से पैदल चलकर आने से पाँव के तलवे की त्वचा थोडा गर्म हो जाती है तो ठंडा करने की व्यवस्था है। अब अगर 30 मीटर इंटरलॉकिंग हो गई होती तो आज कैसे यहाँ पानी लगा रहता। फिर कैसे पाँव ठन्डे होते। जनता समझती नही है बस सवाल उठा देती है कि 30 मीटर का खर्चा कहा गया।

जब हमने इस प्रकरण में प्रधान जी से बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने काम हमको ही सहेज दिया। उन्होंने कहा कि आप लोग बराबर कर दीजिए तो हम इंटरलाकिंग करवा देंगे। अब भाई बात तो एकदम सही है प्रधान जी, हम अपने काम छोड़ कर आपके यहाँ कि गलियों के इंटरलाकिंग के लिये ज़मीन बराबर करवा कर उनको दे। फिर वो इसके ऊपर इंटरलाकिंग का काम करवा देंगे। वो तो गनीमत रहा कि प्रधान जी ने ये नही कहा कि इतनी दूर से आये हो, बैठो ज़रा झाड़ू पोछा का भी इंतज़ाम करके चले जाओ।

प्रधान जी तनिक सुने, अगर हम काम करने लगे तो फिर आपकी राजनीत का क्या होगा। क्योकि हम तो राजनीत के फ्रेम में खुद को कही न कही फिट कर लेंगे और बढ़िया फिट करेगे। मगर आप हमारे फ्रेम में नहीं फिट हो पायेगे मित्र। ज्ञान देना बहुत आसन है। मगर उसको करना थोडा कठिन है। फैशन बनता जा रहा है मीडिया को गालिया देने का, मगर ध्यान रखे हम सिर्फ अपना काम करते है। इंटरलाकिंग करवाना और ज़मीन बराबर करवाना आपका काम है मित्र, तो आप करो। देखे हमारा काम खबर लिखना है तो लिख दिया।

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