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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा मार्च तक भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन और एयर इंडिया में अपना शेयर सरकार बेच देगी

आफताब फारुकी

नई दिल्ली: तमाम आलोचनाओं के बावजूद केंद्र सरकार ने अपनी दो कंपनियों को बेचने की तैयारी कर लिया है। राज्य के मालिकाना हक़ वाली दो कर्ज के बोझ से दबी कंपनियों क्रमशः एयर इंडिया और भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन को अगले साल मार्च तक सरकार द्वारा बेचे जाने की उम्मीद है।

 टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बात कही है। वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश वित्तीय तनाव का सामना कर रहा है और उस पर लगभग 58 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ा हुआ है। सीतारमण ने कहा है कि हम, दोनों पर इस उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि हम इस साल इसे पूरा कर सकते हैं। इससे जमीनी हकीकत सामने आएगी।

बताते चले कि इस महीने की शुरुआत में एयर इंडिया के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने एयर इंडिया के कर्मचारियों को खुला खत लिखा था। उन्होंने कहा था कि विभाजन एयरलाइन की स्थिरता को सक्षम कर सकता है। वहीं सीतारमण ने कहा है कि एयर इंडिया के लिए इन्वेस्टर्स के बीच काफी रुझान है। बताते चले कि बीते साल सरकार ने एयरलाइन में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी और प्रबंधन नियंत्रण को रद्द करने के लिए एयर इंडिया के लिए ईओएल मंगाई थी लेकिन इसे एक भी बोलीदाता नहीं मिला था। सरकार के पास वर्तमान में एयर इंडिया की 100 प्रतिशत इक्विटी है।   एयर इंडिया की हिस्सेदारी बिक्री को भी पिछले साल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली क्योंकि निवेशकों ने शेष 24 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सरकारी हस्तक्षेप की आशंका जताई थी, विमानन सलाहकार फर्म सेंटर फॉर एशिया पैसिफिक एविएशन ने एक रिपोर्ट में यह बात कही।  अब उस बाधा को हटा दिया गया है।

गौरतलब हो कि तेल की ऊंची कीमतों और विदेशी मुद्रा के नुकसान के कारण एयर इंडिया ने पिछले वित्त वर्ष में  लगभग 4600 करोड़ रुपए का ऑपरेटिंग नुकसान दर्ज किया। लेकिन कर्ज से लदी मालवाहक कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, 2019-20 में परिचालन के लाभदायक होने की उम्मीद है। वही दूसरी तरफ भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के मामले में, सचिवों के एक समूह ने अक्टूबर में सरकार की पूरी 53.29 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए सहमति व्यक्त की थी।  भारत पेट्रोलियम का बाजार पूंजीकरण लगभग 1.02 लाख करोड़ रुपए है। इसकी 53 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री के साथ, सरकार किसी भी प्रवेश प्रीमियम सहित लगभग 65,000 करोड़ रुपये की निकासी की उम्मीद कर रही है।

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