आदिल अहमद
नई दिल्ली: अयोध्या भूमि विवाद को लेकर पांच जजों की पीठ ने आज शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को देने का फैसला सुनाया, तो मुसलमानों को दूसरी जगह जमीन देने के लिए कहा है। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने फैसला आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि “मैं कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हूं। सुप्रीम कोर्ट वैसे तो सबसे ऊपर है, लेकिन अपरिहार्य नहीं है। हमें संविधान पर पूरा भरोसा है, हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं, हमें खैरात के रूप में 5 एकड़ जमीन नहीं चाहिए। हमें इस पांच एकड़ जमीन के प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए। हम पर कृपा करने की जरूरत नहीं है।”
ओवैसी ने आगे कहा, ”अगर मस्जिद वहां पर रहती तो सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला लेती। यह कानून के खिलाफ है। बाबरी मस्जिद नहीं गिरती तो फैसला क्या आता है। जिन्होंने बाबरी मस्जिद को गिराया, उन्हें ट्रस्ट बनाकर राम मंदिर बनाने का काम दिया गया है।”
सुप्रीम कोर्ट के पांचों जजों की सहमति से फैसला सुनाया गया है। फैसला पढ़ने के दौरान पीठ ने कहा कि एएसआई रिपोर्ट के मुताबिक नीचे मंदिर था। सीजेआई ने कहा कि एएसआई ने भी पीठ के सामने विवादित जमीन पर पहले मंदिर होने के सबूत पेश किए हैं। सीजेआई ने कहा कि हिंदू अयोध्या को राम जन्म स्थल मानते हैं। हालांकि, एएसआई यह नहीं बता पाया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी। मुस्लिम गवाहों ने भी माना कि वहां दोनों ही पक्ष पूजा करते थे। रंजन गोगोई ने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक खाली जमीन पर मस्जिद नहीं बनी थी। साथ ही सबूत पेश किए हैं कि हिंदू बाहरी आहते में पूजा करते थे।
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