आफताब फारुकी
पटना. लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिल पास कराने के बाद अब सरकार के सामने इस बिल को राज्यसभा में भी पारित कराने की चुनौती है। इन सब के बीच इस बिल को लेकर पूर्वोत्तर के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन जारी है। दरअसल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से गैर-मुस्लिम अवैध प्रवासियों को भारत की नगारिकता देने का सवाल पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों को सबसे ज़्यादा डरा रहा है।
इस विरोध के बीच सरकार राज्यसभा में अंक गणित को साधने में लगी है। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के दो नेताओं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा के विरोध के बाद पार्टी का राज्यसभा में क्या स्टैंड होगा इसपर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। लेकिन नीतीश कुमार ने अपने सांसदों को साफ़ कर दिया है कि फ़िलहाल राज्यसभा में बिल के समर्थन में लोकसभा की तरह बोलना भी है और वोटिंग भी करनी है। इसके कई कारण गिनाये जा रहे हैं। मगर सबसे मुख्य कारण है कि नितीश इस समय भगवा राजनितिक शक्ति को पहचान रहे है। उन्होंने मुस्लिम मतदाताओ पर से अपने रूझान को ख़त्म करके दलित और अतिदलित तथा पिछडो की सियासत पर ख़ास ध्यान दे रहा है।
ख़ास तौर पर नितीश एक बार फिर सत्ता में आना चाहते है और उन्हें यह बात पता है कि मुस्लिम वोटर्स अगर नाराज़ भी हो गए तो भी उन्हें हिन्दू वोटो के आधार पर 200 का आकडा भाजपा से गठजोड़ के बाद मिल जायेगा। शायद यही वजह है कि नितीश बिहार में लालू यादव के साथ वापस नही जाना चाहते है।
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