तारिक आज़मी की मोरबतियाँ –6 साल पहले मर चुके बन्ने मियां रूह रही पुकार, कोई मेरी भी ज़मानत भर दो……..

तारिक आज़मी

उत्तर प्रदेश पुलिस अक्सर अपनी कामो से चर्चाओं का केंद्र रहा करती है। जहा एक तरफ नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में उत्तर प्रदेश पुलिस पर काफी गहरे सवालात लगने शुरू हुवे, वही अब हिंसा के दौर के बाद पुलिस अपनी कार्यवाहियों से भी चर्चा का केंद्र बनती जा रही है। कही पुलिस जिनको शांति का ज़िम्मा सौप रही थी उनको नोटिस थमा रही है तो कही पुलिस ने बुजुर्गो को भी शांति भंग की नोटिस थमा डाली है।

इन सब के बीच सबसे ज्यादा अगर किसी मुद्दे ने चर्चा प्राप्त किया है तो वह है फिरोजाबाद पुलिस की कार्यवाही जिसने 6 साल पहले मर चुके बन्ने खान के लिए भी शांति भंग की नोटिस थमा कर कहा कि ज़मानत करवाओ। अब शायद स्वर्ग में बैठी बन्ने मिया कि रूह और कब्र में आराम फरमा रहे बन्ने मिया का जिस्म भी बेचैन हो उठा होगा कि कब्र के आगोश में आराम के 6 सालो के बाद कैसे उसको जगाया जा रहा है।

घटना कुछ इस प्रकार है कि फिरोजाबाद के थाना दक्षिण क्षेत्र मोहल्ला कोटला निवासी बन्ने खां की मृत्यु छह वर्ष पूर्व हो चुकी है। उनके आल औलाद अब अपने बड़े बन्ने मिया की मौत का गम भुला कर रोज़मर्रा की ज़िन्दगी जी रहे थे। शायद कब्र की मिटटी भी इन 6 सालो में बराबर हो चुकी होगी और बन्ने मिया फौत के बाद जन्नत के गलियारे में आराम तलब कर रहे होंगे, तभी न जाने किस सूत्र से स्थानीय पुलिस को पता चल गया कि बन्ने मिया से शांति भंग का खतरा है। फिर क्या था, पुलिस ने आव देखा न ताव और थमा डाला बन्ने मिया के नाम से शांति भंग की नोटिस।

इस नोटिस का तमिला भी गज़ब का रहा। अगर बन्ने मिया के सुपुत्र की बातो पर गौर-ओ-तलब करे तो उन्होंने बताया कि नोटिस लेकर आये पुलिस वालो को उन्होंने अपने वालिद के इन्तेकाल 6 साल पहले हो जाने की जानकारी दिया और कहा कि उनकी फौत तो 6 साल पहले हो चुकी है। इस दौरान उनकी फौती रसीद भी दिखाया। जिसको देख कर पुलिस वालो ने कहा कि ठीक है जाकर ज़मानत करवा लेना। अब परिजन परेशान है कि 6 साल पहले कब्र में आराम फरमा रहे बन्ने मिया को कहा से उठा कर दुबारा लाया जाए।

यही नहीं पुलिस ने इसके आगे भी कुछ और बड़े कारनामे कर डाले है। शांति भंग की नोटिस भेजने की इतनी ज्यादा जल्दी थी कि 90 के उम्र वाले दो अन्य व्यक्तियों को भी नोटिस भेजा गया। एनडीटीवी के समाचार का संज्ञान ले तो 93 वर्षीय फसाहत मीर खान, जो महीनों से बिस्तर पर पड़े है और 90 वर्षीय सूफी अंसार हुसैन, जो निमोनिया से पीड़ित हैं, जो हाल में ही दिल्ली के एक अस्पताल से इलाज के बाद वापस लौटे हैं। दोनों को पुलिस द्वारा नोटिस मिले हैं।

फसाहत मीर खान साहब फिरोजाबाद में एक कॉलेज के संस्थापक है, जबकि सूफी अंसार हुसैन करीब 6 दशकों से स्थानीय मस्जिद में केयरटेकर हैं। दोनों ही स्थानीय शांति समितियों के सदस्य भी हैं, और किसी भी क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस के साथ नियमित रूप से समन्वय करते हैं। दोनों को जारी किए गए नोटिस में, उन्हें एक सरकारी मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने और 10 लाख रुपये का बांड जमा करने के बाद जमानत के लिए आवेदन करने के लिए कहा गया। सवाल ये उठता है कि शांति समिति की बैठकों में जिनको बुला कर पुलिस उनसे शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने में सहयोग मांगती है अगर उनसे ही शांति भंग की आशंका पुलिस को है तो फिर ऐसी शांति समिति से क्या मतलब, ऐसी समितियों को तो भंग कर देना चाहिए।

बहरहाल, इस सम्बन्ध में अंसार हुसैन साहब ने नम आखो से अपने बयान जारी किये है। पत्रकारों को जवाब देते हुवे उन्होंने कहा है कि मैं 25 दिसंबर को दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में था और कल ही लौटा। मुझे नहीं पता कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। मैंने शहर में शांति सुनिश्चित करने के लिए अपना सारा जीवन लगा दिया। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि 90 की उम्र में मेरे साथ ऐसा क्यों किया गया। अंसार हुसैन ने कहा कि 20 दिसंबर को उर्स था और मैंने अधिकारियों को आमंत्रित भी किया था।

अब इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश सरकार कही न कही से पैच मैनेजमेंट का काम शुरू किया है। अब उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि यह एक त्रुटि थी और इसे ठीक किया जाएगा। फिरोजाबाद सिटी मजिस्ट्रेट कुंवर पंकज सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से कहा है कि शांति बनाए रखने के लिए हम पर बहुत दबाव था और ये विभिन्न पुलिस थानों की रिपोर्टों के आधार पर किए गए अंतरिम उपाय थे। उन्होंने कहा कि किसी भी बुजुर्ग के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

वहीं, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता धर्म सिंह यादव ने फिरोजाबाद में 20 दिसंबर को हुए उपद्रव के मामले में पुलिस पर गलत तरीके से कार्रवाई करने का आरोप लगाया है। इसके बाद प्रशासन ने जांच समिति गठित की है। कांग्रेस नेता धर्म सिंह यादव ने कहा कि थाना दक्षिण क्षेत्र मोहल्ला कोटला निवासी बन्ने खां की मृत्यु छह वर्ष पूर्व हो चुकी है जबकि फसाहत मीर खां और सूफी अंसार हुसैन वयोवृद्ध हैं, जिनकी उम्र 90 वर्ष से अधिक है। वे अस्वस्थता के कारण चल फिर भी नहीं सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने ऐसे लोगों को भी शांति भंग करने के मामले में सीआरपीसी धारा 107/116 के तहत नोटिस जारी करते हुए दस -दस लाख रुपये की जमानत राशि और मुचलका दाखिल करने को कहा है। उन्होंने कहा कि यह मामला जब नगर मजिस्ट्रेट कुंवर पंकज के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया। कांग्रेस नेता ने गलत तरीके से कार्रवाई करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। नगर मजिस्ट्रेट कुवर पंकज ने ‘भाषा’ को बताया कि सीओ सिटी के नेतृत्व में जांच समिति गठित की गई है। वहीं, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सचिंद्र पटेल ने बताया कि थाना दक्षिण की लाल बंद चौकी में 70 वर्षीय बनने खान को नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय से शांति भंग की आशंका में निरुद्ध किया गया था।

नगर मजिस्ट्रेट ने कहा कि पुलिस रिपोर्ट के आधार पर व्यक्ति को पाबंद किया गया था। सूची में उसे मृत नहीं दर्शाया गया था जिसकी जानकारी बाद में हुई। मामले की जांच कराई जा रही है। मामला तब सामने आया जब बनने खान के पुत्र सरफराज ने पाबंद होने के बाद नगर मजिस्ट्रेट कार्यालय और पुलिस को अपने पिता का मृत्यु प्रमाणपत्र दिखाया।

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